कनाडा, एक ऐसा देश जो दशकों से अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर Indian students Canada के लिए उच्च शिक्षा और बेहतरीन करियर अवसरों का पर्याय रहा है। यहां से ग्रेजुएट होने के बाद छात्रों को आसानी से नौकरी मिलने की उम्मीद रहती थी। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। हालिया रिपोर्टें बताती हैं कि कनाडा में छात्रों को नौकरी पाने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं, और इसके पीछे कंपनियों द्वारा On-the-job training में की गई कटौती एक बड़ा कारण है।
कनाडा में ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग की घटती प्रथा
एक समय था जब कनाडा में ‘ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग’ पर बहुत जोर दिया जाता था। कंपनियां अपने कर्मचारियों को काम के दौरान ही प्रशिक्षण देती थीं, जिससे वे जरूरी स्किल्स सीख पाते थे। इससे कर्मचारियों का कौशल विकास होता था और वे कंपनी के प्रति वफादार भी रहते थे। हालांकि, अब यह प्रथा लगभग खत्म हो चुकी है। कंपनियां कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने में दिलचस्पी नहीं ले रहीं, जिसका सीधा नुकसान युवाओं के भविष्य को हो रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में कनाडाई कंपनियों ने कर्मचारियों की ट्रेनिंग और एजुकेशन पर होने वाले खर्च में 40% तक की भारी कटौती की है। अब एक कंपनी औसतन एक कर्मचारी पर साल भर में केवल 240 डॉलर खर्च कर रही है। इस वजह से स्किल डेवलपमेंट का जिम्मा अब पूरी तरह से यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों पर आ गया है। उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे ऐसे छात्र तैयार करें जो डिग्री पूरी करते ही बिना किसी अतिरिक्त ट्रेनिंग के कंपनियों में काम शुरू कर सकें।
बदलती टेक्नोलॉजी और यूनिवर्सिटीज की चुनौती
दशकों से यूनिवर्सिटीज को रिसर्च और क्रिटिकल थिंकिंग (महत्वपूर्ण सोच) के हब के तौर पर जाना जाता रहा है। लेकिन अब कनाडाई कंपनियां ऐसे ग्रेजुएट्स की तलाश में हैं जिनके पास सीधे जॉब मार्केट में सफल होने के लिए आवश्यक स्किल्स हों। खुद ट्रेनिंग पर खर्च में कंजूसी करने के बावजूद, वे यूनिवर्सिटीज से उच्च-कुशल ग्रेजुएट्स की उम्मीद कर रही हैं।
कनाडाई यूनिवर्सिटीज मुख्य रूप से रिसर्च पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे अक्सर यहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र तुरंत कंपनियों की जॉब डिमांड को पूरा नहीं कर पाते। फैकल्टी द्वारा सिखाई जा रही चीजें और बाजार की मांग वाली स्किल्स के बीच अक्सर तालमेल नहीं बैठ पाता। यहां तक कि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने वाले कॉलेज और वोकेशनल संस्थान भी तेजी से बदल रही टेक्नोलॉजी और बाजार की नई मांगों को संभालने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति उन छात्रों के लिए और भी मुश्किल पैदा कर रही है, जो Student visa Canada पर आकर अपने करियर के सपने देख रहे हैं।
युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और चिंताजनक आंकड़े
कंपनियों की इस ‘कंजूसी’ और यूनिवर्सिटीज की चुनौतियों का खामियाजा सीधे तौर पर छात्रों और युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। इस साल की पहली तिमाही में नए ग्रेजुएट्स के बीच Unemployment Canada दर 11.2% तक पहुंच गई, जो पिछले दो दशकों में सबसे अधिक है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बढ़ोतरी का 80% हिस्सा 35 साल से कम उम्र के कनाडाई युवाओं से संबंधित है।
इसी दौरान, लगभग 77% कनाडाई कंपनियां ऐसी हैं जो अपने यहां खाली पड़े पदों पर योग्य उम्मीदवारों को नहीं ढूंढ पा रही हैं, क्योंकि उन्हें सही स्किल्स वाले कैंडिडेट नहीं मिल रहे हैं। यह एक विरोधाभासी स्थिति है जहां एक तरफ युवा बेरोजगार हैं और दूसरी तरफ कंपनियां योग्य वर्कर की तलाश में हैं। कनाडा में Canada jobs के लिए यह बदलता परिदृश्य छात्रों और नीति-निर्माताओं दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।