उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में फर्जीवाड़े का एक और बड़ा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग को करोड़ों का चूना लगाया है। यह मामला एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती से जुड़ा है, जहां एक ही नाम पर छह लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल कर ली। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस बड़े उत्तर प्रदेश स्कैम की Fraud Investigation शुरू हुई है और एफआईआर दर्ज की गई है। सरकार ने इस मामले में CBI Inquiry की बात भी दोहराई है, जो पहले से ही चल रही थी।
‘अर्पित सिंह’ के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा
लखनऊ में एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े ने सबको चौंका दिया है। वर्ष 2016 में अखिलेश यादव सरकार के दौरान हुई इस भर्ती में, अर्पित सिंह नामक एक सफल उम्मीदवार के नाम पर छह अलग-अलग लोगों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर नौकरी हथिया ली। इन फर्जी नियुक्तियों से Health Department को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। निदेशक पैरामेडिकल, डॉ. रंजना खरे ने लखनऊ के वजीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने 403 एक्स-रे टेक्नीशियन की सूची जारी की थी, जिसमें क्रमांक संख्या 80 पर अर्पित सिंह पुत्र अनिल कुमार सिंह का नाम दर्ज था। इसी नाम का इस्तेमाल कर बलरामपुर, फर्रुखाबाद, रामपुर, बांदा और शामली जैसे पांच जिलों में अन्य लोगों ने फर्जीवाड़ा किया। यहां तक कि अमरोहा में भी अलग पता देकर एक और फर्जी अर्पित ने नौकरी हासिल की। हैरान करने वाली बात यह है कि इन सभी फर्जी अर्पितों ने अलग-अलग आधार कार्ड नंबर भी उपलब्ध कराए थे, सिवाय शामली के।
कैसे हुआ खुलासा और क्या हुई कार्रवाई?
इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा जन सूचना अधिकार (RTI) के तहत हुआ, जिससे पता चला कि एक ही नाम से छह अन्य लोग फर्जी तरीके से जिलों में काम कर रहे हैं। मानव संपदा पोर्टल पर भी इनके नाम दर्ज थे। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इसकी गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की। जांच शुरू होते ही सभी फर्जी अर्पित फरार हो गए। रविवार को छह जिलों से कथित अर्पित सिंह की नियुक्ति के दस्तावेज संबंधित सीएमओ द्वारा जमा कराए गए। जांच में नियुक्तियां फर्जी पाए जाने के बाद सोमवार को सभी छह कथित अर्पित सिंह के नाम से धोखाधड़ी और आर्थिक नुकसान पहुंचाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। असली अर्पित सिंह हाथरस जिले की मुरसान सीएचसी में कार्यरत हैं।
नौ साल में 3.5 करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एक्स-रे टेक्नीशियन का वेतनमान 4200 रुपये होता है, जिससे उन्हें शुरुआत में लगभग 50 से 55 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। फर्जी तरीके से नियुक्त हुए इन छह लोगों में से प्रत्येक ने 2016 से 2025 तक, यानी नौ साल में 58 लाख रुपये से अधिक का वेतन उठाया है। इस तरह, सभी छह फर्जी नियुक्तियों ने मिलकर Health Department को 3.5 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक चूना लगाया है। यह उत्तर प्रदेश स्कैम सरकारी तंत्र में सेंधमारी की गंभीर तस्वीर पेश करता है।
‘अंकित’ और ‘अंकुर’ के नाम पर भी जांच जारी
केवल अर्पित सिंह का मामला ही नहीं, स्वास्थ्य महानिदेशालय ने UPSSSC की सूची में क्रमांक संख्या 127 पर दर्ज ‘अंकित’ और क्रमांक संख्या 166 पर दर्ज ‘अंकुर’ के मामलों में भी Fraud Investigation शुरू कर दी है। अंकित पुत्र राम सिंह के नाम पर भी पांच अन्य लोगों ने फर्जी तरीके से नौकरी ली थी, जिनमें से कुछ लखीमपुर खीरी, गोंडा और बदायूं (जहां एक फर्जी अंकित पहले ही बर्खास्त हो चुका है) में पहचाने गए हैं। इसी तरह, अंकुर पुत्र नीतू मिश्रा के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया, जिसमें एक फर्जी अंकुर मुजफ्फरपुर की शाहपुर सीएचसी में नियुक्त हुआ था। इन सभी मामलों में भी जल्द ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।
निष्कर्ष
यह एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती फर्जीवाड़ा सरकारी भर्तियों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू की गई इस व्यापक जांच से उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जाएंगे। CBI Inquiry इस मामले की तह तक जाकर सभी जिम्मेदारों को कटघरे में लाएगी और जनता का सरकारी व्यवस्था पर भरोसा बहाल करने में मदद करेगी।