आज के दौर में शायद ही कोई ऐसा शहर होगा जहां सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ और ट्रैफिक जाम की समस्या न हो। दुनिया भर के बड़े शहरों में इस समस्या से निपटने के लिए लाखों ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, दुनिया में एक ऐसा भी अनोखा देश है जहां एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं है, और इसके बावजूद वहां की सड़कों पर जाम का नामोनिशान नहीं है! यह बात सुनकर आप ज़रूर हैरान रह जाएंगे। आइए जानते हैं इस अजब देश की दिलचस्प कहानी।
ट्रैफिक जाम और ट्रैफिक लाइट का सफर
हर जगह गाड़ियां ही गाड़ियां, किसी भी बड़े शहर में यह नजारा आम है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समय दुनिया में लगभग 1.5 बिलियन कारें हैं। यानी हर 5 में से 1 व्यक्ति के पास कार है, और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में तो हर तीसरे व्यक्ति के पास। जितनी ज़्यादा गाड़ियां, उतना ही ज़्यादा जाम का डर। भारत के दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में अक्सर लोग घंटों जाम में जूझते हुए नज़र आते हैं।
शहरी यातायात को सुचारु बनाने के लिए ट्रैफिक लाइटें एक अनिवार्य व्यवस्था बन गई हैं। दुनिया में ट्रैफिक लाइट सिस्टम की शुरुआत सैकड़ों साल पहले 1868 में लंदन में हुई थी। आज दुनिया के लगभग हर देश में ट्रैफिक लाइटें दिखती हैं, लेकिन एक देश ऐसा है जहां यह व्यवस्था है ही नहीं। फिर भी वहां की सड़कें व्यवस्थित रहती हैं।
कहां है यह अद्भुत देश भूटान?
यह अनोखा देश हमारा पड़ोसी, भारत और चीन के बीच बसा ‘भूटान’ है। दक्षिण एशिया का यह छोटा, सुंदर और पहाड़ी देश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। भूटान की राजधानी थिम्फू है और आधिकारिक भाषा जोंगखा है। यहां का प्रमुख धर्म बौद्ध धर्म है, हालांकि कुछ लोग हिंदू धर्म को भी मानते हैं।
भूटान को ‘लैंड ऑफ द थंडर ड्रैगन’ (Land of the Thunder Dragon) भी कहा जाता है। यह अपनी हरी-भरी वादियों, ऊंचे पहाड़ों और बर्फ से ढकी चोटियों के लिए प्रसिद्ध है। भूटान एक संवैधानिक राजशाही वाला देश है, जहां राजा और चुनी हुई सरकार दोनों हैं। यहां के लोग अपने राजा को बहुत सम्मान देते हैं। भूटान के राजा को ड्रैगन किंग कहा जाता है। यह दुनिया का इकलौता देश है जो ‘खुशी’ को आर्थिक विकास से ज़्यादा महत्व देता है।
लगभग 8 लाख की आबादी वाला भूटान एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, खासकर उन लोगों के लिए जो शांति, बौद्ध संस्कृति और प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं।
भूटान में क्यों नहीं लगाई गईं ट्रैफिक लाइटें?
भूटान दुनिया का एकमात्र देश है जहां कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है। देश में ट्रैफिक लाइटें न लगाने का फैसला यहां के राजा ने लिया था। भूटान एक पहाड़ी देश है, और यहां के मुख्य इलाकों में तो सड़कें हैं, लेकिन अंदरूनी इलाकों में सड़कों की पहुंच थोड़ी कम है। पूरे भूटान में सड़कों का नेटवर्क लगभग 8 हज़ार किलोमीटर लंबा है।
यहां कम आबादी होने की वजह से जाम जैसी स्थिति बनती ही नहीं। पहाड़ों में लोग अपने जानवरों के साथ आराम से निकलते हैं। भूटान में लोग बहुत इत्मीनान से गाड़ियां चलाते हैं, और यहीं ओवर-स्पीडिंग के कारण सड़क दुर्घटनाओं के मामले भी कम देखने को मिलते हैं। इस देश में कोई राहगीर सड़क पार करता है, तो सामने वाली गाड़ी खुद-ब-खुद रुक जाती है। भूटान में लोगों को सड़क पर चलते समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि गाड़ी चालक पैदल चलने वालों पर पूरा ध्यान देते हैं और उनके निकलने पर ही अपनी गाड़ी आगे बढ़ाते हैं।
कम आबादी और सड़क सुरक्षा का बेहतरीन उदाहरण
भूटान में जाम न लगने की सबसे बड़ी वजह यहां की कम आबादी है। इस छोटे से देश की जनसंख्या कम है, इसलिए सड़कों पर भीड़ और जाम की समस्या देखने को नहीं मिलती है। इसके अलावा, भूटान में सड़कों को इस तरह से बनाया गया है कि गाड़ियां ज़्यादा स्पीड में नहीं चल पातीं। यहां के लोग भी गति सीमा का काफी ध्यान रखते हैं।
भूटान के शहरों में भी ट्रैफिक लाइटें नहीं हैं। थिम्फू दुनिया की इकलौती राजधानी है जहां कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि यहां ट्रैफिक का प्रबंधन नहीं होता। भूटान के शहरों में हर चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात रहते हैं जो यातायात को कुशलता से नियंत्रित करते हैं। साथ ही, यहां के लोग ट्रैफिक नियमों का पूरी ईमानदारी से पालन करते हैं।
दुनिया का सबसे खुशहाल देश: भूटान की अनोखी पहचान
भूटान को दुनिया का सबसे खुशहाल देश भी कहा जाता है। यह देश अपने लोगों की खुशी को पैसों से ऊपर रखता है। यहां विकास का पैमाना ‘ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस’ (GNH) है, जबकि ज़्यादातर देश ‘जीडीपी’ (GDP) को आधार मानते हैं। इसका मतलब है कि भूटान की सरकार सिर्फ आर्थिक प्रगति पर ध्यान नहीं देती, बल्कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य, शांति, स्वास्थ्य, पर्यावरण और संस्कृति पर भी बराबर ध्यान देती है।
भूटान पूरी तरह पर्यावरण संरक्षण पर जोर देता है। यह दुनिया का पहला और एकमात्र कार्बन नेगेटिव देश है, जहां 70% से ज़्यादा इलाका जंगलों से ढका हुआ है। भूटान सरकार अपने लोगों को मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ भी प्रदान करती है, जिससे उनकी जिंदगी आसान होती है और भविष्य की चिंता कम रहती है। कम आबादी, मजबूत सामाजिक बंधन और आपसी सहयोग भी यहां के लोगों को तनाव-मुक्त और संतुष्ट बनाते हैं। इन्हीं वजहों से भूटान को दुनिया का सबसे खुशहाल देश कहा जाता है। यहां की नीतियां, संस्कृति और जीवनशैली यह संदेश देती है कि असली खुशी मानसिक शांति और सामंजस्य से मिलती है।