भारत सरकार अपनी GST दरों को सरल बनाने और केवल दो स्लैब – 5% और 18% – में लाने की योजना बना रही है। इस नए प्रस्ताव के तहत कार, बाइक और अन्य महंगी वस्तुओं पर 18% की दर से कर लगने की संभावना है। हालांकि, टू-व्हीलर सेगमेंट के लिए यह बदलाव थोड़ा जटिल है, जहां 350cc से कम क्षमता वाली बाइकों पर 5% टैक्स जबकि 350cc से अधिक क्षमता वाली बाइकों पर 18% टैक्स का प्रावधान किया जा रहा है (जो पहले 28% था)।
इस प्रस्तावित बदलाव पर बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इस नीति को भेदभावपूर्ण बताते हुए सवाल उठाया है कि आखिर क्यों सभी टू-व्हीलर्स को समान श्रेणी में नहीं रखा जा रहा है।
GST कटौती पर राजीव बजाज का सीधा सवाल: ‘18% भी ज्यादा है!’
हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान, बजाज के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज ने नई GST दरों में कटौती और 350cc से अधिक क्षमता वाली बाइकों को इस लाभ से बाहर रखने पर अपने विचार साझा किए। साक्षात्कार की शुरुआत में मेजबान ने बताया कि नई GST कटौती के अनुसार, 350cc से अधिक क्षमता वाले टू-व्हीलर्स पर अब 28% के बजाय 18% की दर से टैक्स लगेगा।
इस पर राजीव बजाज ने बेबाकी से जवाब दिया कि भारत सरकार टैक्स की दर को 28% से घटाकर 18% करके कोई उपकार नहीं कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 18% की दर अभी भी बहुत ज्यादा है और यह 12% के औसत से 50% अधिक है। हालांकि उन्होंने इस कटौती का स्वागत किया और इसे ‘शानदार’ बताया, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि यह अभी भी पर्याप्त नहीं है।
भेदभावपूर्ण नीति से बाजार में विकृतियां: बजाज
साक्षात्कार के दौरान, बजाज ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि भारत में बिकने वाले 97 से 98% टू-व्हीलर्स 350cc से कम क्षमता के हैं। ऐसे में, 350cc और उससे ज्यादा क्षमता वाले वाहनों को उच्च टैक्स से बाहर रखना कोई खास मायने नहीं रखता। बजाज ने सवाल किया कि सरकार ने चीजों को सरल क्यों नहीं रखा और सभी टू-व्हीलर्स पर एक समान 18% टैक्स क्यों नहीं लगाया।
राजीव बजाज ने आगे कहा कि ऐसी विभेदक कारक बनाने से कोई मदद नहीं मिलती। बल्कि, ऐसी दरें लागू करने से दो बड़ी विकृतियां पैदा होती हैं। पहला यह कि सरकार टैक्स दरों में अंतर लाकर अप्रत्यक्ष रूप से वाहन निर्माताओं को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में फेरबदल करने पर मजबूर कर रही है। सरल शब्दों में, विभिन्न cc क्षमता वाले वाहनों के बीच एक रेखा खींचकर, सरकार वाहन निर्माताओं को कम टैक्स दरों वाली कैटेगरी में अधिक नए प्रोडक्ट बनाने के लिए प्रेरित कर रही है।
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ऐसी नीतियां बनाने वाले अधिकारी और व्यवसायी एक तरह से भारतीय उपभोक्ताओं को मूर्ख बना रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कम cc वाले टू-व्हीलर्स को प्रोत्साहन देकर, लोग महंगे टू-व्हीलर्स खरीदने से हतोत्साहित होंगे, जो लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है।
राजीव बजाज के विचारों को मिला जनसमर्थन
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने टिप्पणियों में उल्लेख किया कि राजीव बजाज द्वारा उठाए गए मुद्दे बिल्कुल सही हैं। उन्होंने आगे कहा कि बजाज ऑटो खुद 350cc से ऊपर की मोटरसाइकिलें ज्यादा नहीं बेचता है, फिर भी राजीव बजाज ने इस नीति पर सवाल उठाया ताकि पूरे भारतीय टू-व्हीलर उद्योग को इसका लाभ मिल सके। एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने टिप्पणी की कि टैक्स दरों में यह अंतर कर संग्रह में कोई खास वृद्धि नहीं करता, बल्कि यह संदेश देने के लिए किया गया है कि भारत में विलासिता की चीजें खरीदना अब भी ‘बुरी बात’ मानी जाती है।
यह बहस भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए एक संतुलित कर नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, जो बाजार में विकृतियां पैदा किए बिना विकास को प्रोत्साहित करे। सरकार का अगला कदम इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।