भारत की सबसे प्रतिष्ठित बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक, पीवी सिंधु, को पेरिस में चल रही वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप 2025 में एक और झटका लगा है। ओलंपिक में दो बार पदक जीतने वाली सिंधु का सफर क्वार्टर फाइनल में ही थम गया, जब उन्हें इंडोनेशिया की उभरती हुई खिलाड़ी कुसुमा वर्दानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। यह हार उनके इस साल के प्रदर्शन को देखते हुए कई सवाल खड़े करती है, क्योंकि 2025 उनके लिए अब तक कुछ खास नहीं रहा है। भारतीय फैन्स को हमेशा उनसे अच्छे प्रदर्शन की आस रहती है, लेकिन मौजूदा समय में उनकी चमक थोड़ी कम होती दिख रही है।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में थमा सिंधु का सफर
29 अगस्त (शुक्रवार) को पेरिस में हुए रोमांचक मुकाबले में, 15वीं वरीयता प्राप्त पीवी सिंधु को 9वीं वरीयता प्राप्त कुसुमा वर्दानी ने 1 घंटा 8 मिनट चले कड़े संघर्ष में 14-21, 21-13, 16-21 से हराया। इस हार के साथ ही विश्व चैम्पियनशिप में छठे पदक का इंतजार कर रही सिंधु का अभियान समाप्त हो गया।
2025: निराशाजनक प्रदर्शन का साल
देखा जाए तो पीवी सिंधु के लिए साल 2025 कुछ खास नहीं रहा है। इस साल उन्होंने अब तक 13 मैच हारे हैं, जबकि सिर्फ नौ में जीत हासिल की है। विश्व चैम्पियनशिप से पहले, सिंधु केवल एक बार किसी टूर्नामेंट (इंडिया ओपन) के क्वार्टर फाइनल तक पहुंच पाई थीं।
- इंडिया ओपन के बाद, इंडोनेशिया मास्टर्स में वह राउंड ऑफ 32 में बाहर हो गईं।
- ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप और स्विस ओपन में तो वह अपने पहले राउंड के मुकाबले भी गंवा बैठीं।
- बैडमिंटन एशियन चैम्पियनशिप में उन्हें राउंड ऑफ 16 में जापान की अकाने यामागुची ने हराया था।
- मलेशिया मास्टर्स में भी सिंधु पहले राउंड में ही हार गईं, जबकि सिंगापुर ओपन और इंडोनेशिया ओपन में उन्हें राउंड ऑफ 16 में हार झेलनी पड़ी।
- जापान ओपन में भी उनका सफर पहले ही दौर में समाप्त हो गया, और चाइना ओपन में हमवतन उन्नति हुड्डा ने उन्हें राउंड ऑफ-16 में मात दी।
इन लगातार हारों ने उनके प्रशंसकों को निराश किया है और उनके फॉर्म पर चिंता बढ़ा दी है।
इतिहास रचने से चूकीं पीवी सिंधु
पीवी सिंधु का विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में रिकॉर्ड शानदार रहा है। उन्होंने 2019 में स्वर्ण पदक जीता था, और इसके अलावा दो रजत और दो कांस्य पदक भी अपने नाम किए हैं। यदि वह कुसुमा वर्दानी को हरा देतीं, तो यह विश्व चैम्पियनशिप में उनका छठा पदक होता और वह महिला सिंगल्स में छह पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन जातीं। यह एक ऐसा इतिहास था जिसे रचने से वह बाल-बाल चूक गईं।
इस टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में वर्ल्ड नंबर-2 चीनी खिलाड़ी झी यी वांग के खिलाफ उनके शानदार प्रदर्शन से एक उम्मीद जगी थी कि सिंधु फॉर्म में लौट आई हैं। लेकिन इंडोनेशियाई खिलाड़ी के खिलाफ वह अपनी सर्वश्रेष्ठ खेल का प्रदर्शन नहीं कर पाईं।
ओलंपिक मेडलिस्ट का संघर्ष और वापसी की उम्मीद
रियो ओलंपिक (2016) में रजत और टोक्यो ओलंपिक (2020) में कांस्य पदक जीतकर पीवी सिंधु ने भारत को गौरव दिलाया है। वह हमेशा भारतीय फैन्स के लिए एक प्रेरणा रही हैं। हालांकि, हालिया प्रदर्शन को देखते हुए अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या समय के साथ उनकी चमक कम हो रही है, या यह सिर्फ एक बुरा दौर है जिससे वह जल्द उबरेंगी। 30 साल की सिंधु के पास अभी भी अपनी लय हासिल करने का समय है। उनके अनुभव और दृढ़ संकल्प को देखते हुए, उनके वापसी की उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं और भारतीय खेल प्रेमी उनके दमदार कमबैक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।