हाल ही में अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS) की एक नई रिपोर्ट ने अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। यह पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाला एक खतरनाक कैंसर है, जो कई बार जानलेवा भी साबित होता है। अक्सर जब किसी बड़ी बीमारी पर कोई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट आती है, तो हमें लगता है कि यह किसी और देश की समस्या है। लेकिन यह सच नहीं है। इतिहास गवाह है कि कई बार पश्चिमी देशों में दिखने वाले ट्रेंड हमें भविष्य के खतरों के प्रति आगाह कर सकते हैं। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी बीमारियाँ भी एक समय में पश्चिमी दुनिया की समस्याएँ मानी जाती थीं, लेकिन आज भारत में भी करोड़ों लोग इनसे जूझ रहे हैं। प्रोस्टेट कैंसर के साथ भी कुछ ऐसा ही हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 में अमेरिका में प्रोस्टेट कैंसर के लगभग 3.13 लाख नए मामले सामने आने की आशंका है, और लगभग 35,770 मौतें हो सकती हैं। पिछले एक दशक में वहाँ प्रोस्टेट कैंसर के मामले हर साल लगभग 3% की दर से बढ़े हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ज़्यादातर मामलों में व्यक्ति को प्रोस्टेट कैंसर का पता काफी देर से चलता है, जिसके कारण समय पर इलाज न मिल पाने से स्थिति और गंभीर हो जाती है।
प्रोस्टेट कैंसर: जब देर से पता चलता है खतरा
पुणे के डॉ. डी.वाई. पाटिल मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और एचओडी, डॉ. समीर गुप्ता बताते हैं, “प्रोस्टेट कैंसर के कई मरीजों में लक्षण देर से दिखते हैं। इसके अलावा, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) से मिलते-जुलते हैं, जो प्रोस्टेट की एक सामान्य समस्या है। इस वजह से सही पहचान और निदान करना कई बार डॉक्टर्स के लिए भी मुश्किल हो जाता है। एडवांस्ड प्रोस्टेट कैंसर कई मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि कैंसर की कोशिकाएँ लसिका नलिकाओं और खून के ज़रिए शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल जाती हैं।”
प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण जिन्हें पहचानना है बेहद ज़रूरी
डॉक्टर समीर गुप्ता के अनुसार, यदि प्रोस्टेट कैंसर के कुछ लक्षणों को सही समय पर नोटिस करके डॉक्टर से संपर्क किया जाए, तो इसे शुरुआती अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है। ये लक्षण इस प्रकार हैं:
- बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में।
- पेशाब शुरू करने या रोकने में दिक्कत होना।
- पेशाब की धार का कमज़ोर होना।
- पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना।
- पेशाब या वीर्य में खून आना।
- पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों या जाँघों में लगातार दर्द रहना।
भारत में जागरूकता की कमी और जांच की अहमियत
भारत में अभी भी प्रोस्टेट कैंसर को लेकर जागरूकता बहुत कम है। PSA टेस्ट जैसी बेसिक स्क्रीनिंग सुविधाएँ अभी शहरों में भी हर जगह उपलब्ध नहीं हैं, तो ग्रामीण इलाकों की बात ही क्या करें। ग्रामीण क्षेत्रों में तो कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और अक्सर अस्पताल पहुँचते-पहुँचते बीमारी अंतिम स्टेज में पहुँच चुकी होती है। इसलिए इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।
50 साल से ऊपर हर पुरुष को PSA टेस्ट की जानकारी होनी चाहिए। जिनके परिवार में प्रोस्टेट कैंसर का इतिहास है, उन्हें और भी जल्दी जाँच शुरू कर देनी चाहिए।
बचाव के तरीके: अपनी जीवनशैली में करें ये बदलाव
नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, रेड मीट और फास्ट फूड से दूरी बनाकर प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, सिगरेट और शराब का सेवन करने से भी इस कैंसर का खतरा बढ़ता है, इसलिए इनसे परहेज़ करना चाहिए।
ध्यान रखें, कैंसर का इलाज आज मौजूद ज़रूर है, लेकिन यह एक गंभीर बीमारी है, जो न केवल शारीरिक कष्ट देती है, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति और उसके परिवार को परेशान कर देती है। इसलिए इससे बचाव बहुत ज़रूरी है। समय पर पहचान और जागरूकता ही इस बीमारी के खिलाफ हमारे असली हथियार हैं। अगर अमेरिका में यह ट्रेंड दिख रहा है, तो भारत के लिए यह एक चेतावनी है कि हम अभी से सही कदम उठाएँ, अन्यथा यहाँ भी प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे एक बड़ी समस्या बन सकता है।