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सिर्फ 9 दिन की दुल्हन, 20 साल का संघर्ष: जानिए MLA पूजा पाल की दिल दहला देने वाली कहानी

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सिर्फ 9 दिन की दुल्हन, 20 साल का संघर्ष: जानिए MLA पूजा पाल की दिल दहला देने वाली कहानी

Kapil Mehra
Last updated: 2025/08/18 at 10:21 AM
Kapil Mehra
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4 Min Read
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क्या आपने कभी सुना है कि शादी के सिर्फ 9 दिन बाद किसी नवविवाहित दुल्हन ने अपने पति को गोली का शिकार होते देखा हो? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में सशक्त छवि बना चुकीं MLA पूजा पाल की असली जिंदगी है। उनका जीवन इतना उतार-चढ़ाव भरा और साहसिक रहा है कि हर पाठक उनसे जुड़ाव महसूस करेगा[5]।

साल 2005 की एक सर्द दोपहर थी जब प्रयागराज के विधायक और पूजा पाल के पति राजू पाल को सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया गया। शादी हुए महज़ 9 दिन ही हुए थे, और पूजा के सिर से सुहाग का साया उठ गया। हत्या का आरोप दबंग-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर लगा। मातम के साए में भी पूजा पाल टूटी नहीं, बल्कि इंसाफ की जंग में उन्होंने अपना पूरा जीवन झोंक दिया[5][1]।

पति की मौत के बाद अतीक अहमद का खौफ इलाके पर छा गया था। पर, पूजा ने हार नहीं मानी। 2007 के विधानसभा चुनाव में पूजा पाल ने खुद चुनाव लड़ा और उसी सीट से जीत हासिल की, जहां से उनके पति विधायक थे। उन्होंने अतीक के भाई को चुनावी मैदान में हराया। तब से कड़ा संघर्ष, बदला और न्याय उनकी पहचान बन गई[3]।

राजनीति की ऊबड़-खाबड़ राहों में चलते हुए, पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपनी पहचान पुख़्ता की। अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने न सिर्फ प्रशासनिक लड़ाई लड़ी, बल्कि लगातार विधानसभा में आवाज़ उठाती रहीं। उनकी मांग पर ही सीबीआई जांच हुई और अंत में जिन अतीक अहमद को कभी “अपराजेय” माना जाता था, उन्हें सिस्टम ने सलाखों के पीछे पहुंचाया[3][5]।

साल 2022 में चायल से एक बार फिर विधायक चुनी गईं। लेकिन उनकी जिद, बेबाकी और न्याय की चाहत ने हाल ही में उन्हें राजनीतिक कठघरे में भी खड़ा कर दिया। 2025 के अगस्त महीने में, यूपी विधानसभा के एक विशेष सत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की न्यायप्रियता और अपराधियों पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति की खुलेआम प्रशंसा की। पूजा ने विधानसभा में साफ शब्दों में कहा, “जब मेरी फरियाद कोई नहीं सुन रहा था, तब मुख्यमंत्री ने मेरे और अन्य पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाया।”[1][4][5]

उनकी यह खुली तारीफ पार्टी नेतृत्व को नागवार गुज़री। पार्टी अनुशासन के उल्लंघन और “एंटी पार्टी एक्टिविटी” के आरोप में उन्हें तत्काल पार्टी से निष्कासित कर दिया गया[1][4][5]। बगावत के इस दौर में भी पूजा ने हिम्मत नहीं हारी और कहा कि वे अगला राजनीतिक कदम अपनी जाति और समर्थकों से बात करने के बाद ही उठाएंगी, और फिलहाल किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने का इरादा नहीं है[2]।

पूजा पाल की कहानी सिर्फ राजनीतिक उलझनों की नहीं, बल्कि असाधारण साहस, पीड़ा, और बदलाव के प्रतीक की है। एक पत्नी से विधवा बनीं, एक पीड़िता से जन प्रतिनिधि और एक आम महिला से मिसाल बन चुकीं पूजा पाल आज लाखों महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण हैं।

निष्कर्ष:
पूजा पाल का जीवन संघर्षों की मिसाल है। उन्होंने एक निजी त्रासदी को न सिर्फ व्यक्तिगत शक्ति में बदला, बल्कि व्यवस्था और माफिया के चुनौतीपूर्ण गठजोड़ के आगे डटकर न्याय की राह बनाई। उनकी कहानी यह सिखाती है कि विपरीत हालातों से लड़कर इंसान इतिहास बदल सकता है। आज पूजा पाल, नारी शक्ति और सत्य के लिए आवाज़ उठाने वालों की प्रेरणा हैं।

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TAGGED: Atiq Ahmed, MLA Uttar Pradesh, Pooja Pal, Raju Pal murder, Samajwadi Party expulsion

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