क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में सारी योजनाएँ तय करके भी, किस्मत आपको किसी बिल्कुल अलग रास्ते पर ले जा सकती है? यही कहानी है विक्रम फडनीस की, जिनके माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन उनका दिल नाच-गाने और रंगमंच में बस गया था। कॉलेज में ही उन्होंने डांस कोरियोग्राफी की शुरुआत की और यहीं से उनकी राह बदल गई।
एक फैशन शो में जब उन्होंने बतौर डिजाइनर काम किया, तो उनकी प्रतिभा ने वहां मौजूद सभी का दिल जीत लिया। देश के नामी डिज़ाइनरों ने उन्हें प्रोफेशनली काम करने के लिए प्रेरित किया। 1991 में विक्रम ने अपना पहला कलेक्शन पेश किया और देखते-देखते फैशन इंडस्ट्री में उनका नाम तेजी से फैलने लगा।
उनकी डिज़ाइनिंग का जादू सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों तक पहुँचा। 2005 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेटर्स जोन्टी रोड्स, ग्लेन मैक्ग्रा और वसीम अकरम के साथ अपना कलेक्शन शोकेस किया। 2009 में उन्होंने मशहूर सुपरमॉडल नाओमी कैंपबेल के लिए भी डिज़ाइनिंग की, जब वह मुंबई में एक चैरिटी इवेंट के लिए आईं। इतना ही नहीं, 2015 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और फर्स्ट लेडी के लिए भी पोशाकें तैयार कीं[1][2]।
विक्रम ने कभी नहीं छुपाया कि उनके करियर के शुरुआती दिनों में सलमान खान ने उन्हें जिस तरह से बिना स्वार्थ के सपोर्ट किया, उससे उनकी जिंदगी ही बदल गई। सलमान खान के साथ उन्होंने लगभग 17 साल तक काम किया, और बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों को अपने डिज़ाइनों से सजाया[1][2][3]। “बिवी नं.1”, “मुझसे शादी करोगी”, “गोलमाल”, “नमस्ते लंदन”, “सलााम-ए-इश्क”, “दुल्हा मिल गया” जैसी फिल्मों में उन्होंने न केवल मुख्य किरदारों बल्कि बैकग्राउंड ऐक्टर्स के भी सैकड़ों कॉस्ट्यूम्स डिज़ाइन किए, “सलााम-ए-इश्क” में तो उन्होंने 800 से भी ज़्यादा कॉस्ट्यूम्स तैयार किए[1][2]।
फैशन की ऊँचाइयों को छूने के बाद भी उनकी रचनात्मकता यहीं नहीं रुकी। उन्हें फिल्म निर्देशन का भी शौक था। उन्होंने दो मराठी फिल्में “हृदयांतर” (2017, जिसमें ऋतिक रोशन की झलक दिखाई दी) और “स्माइल प्लीज़” (2019) डायरेक्ट कीं, जो दर्शकों के दिलों को छू गईं[2][4]।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अपने सपनों को कभी सीमित न करें; जुनून और मेहनत से हर राह को चमकदार बनाया जा सकता है। विक्रम फडनीस ने दिखा दिया कि चाहें शुरुआत कितनी भी साधारण क्यों न हो, दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से शिखर तक पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष:
विक्रम फडनीस केवल एक नाम नहीं, प्रेरणा का पर्याय हैं। डॉक्टर बनने के पारंपरिक रास्ते को छोड़, अपने सपनों का पीछा करते हुए उन्होंने भारतीय फैशन और सिनेमा दोनों में अमिट छाप छोड़ी है। उनका सफर हर उस युवा के लिए उम्मीद की किरण है, जो दिल की आवाज़ का सम्मान करते हुए अपने रास्ते खुद बनाना चाहता है।