क्या कभी आपने सोचा है कि एक छोटे से गांव का साधारण लड़का भारतीय सिनेमा का वह नाम बनेगा जिसे दर्शक और सितारे समान रूप से सलाम करते हैं? यह कहानी है **AR मुरुगदॉस** की, जिनकी फिल्मों ने लाखों दिलों को छुआ और सिनेमा की परिभाषा को बदल दिया[1][2]।
मुरुगदॉस का जन्म 25 सितंबर 1974 को तमिलनाडु के किलकुरिचि नामक छोटे से कस्बे में हुआ था[1][2]। साधारण परिवार, सीमित संसाधन लेकिन बड़ा सपना—कहानी पढ़ने और दिखाई देने वाले शख्स के अंदर सिनेमा के लिए जुनून कूट-कूट कर भरा था। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के बिशप हिबर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और कॉलेज के दिनों में ही सांस्कृतिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया[2]। मिमिक्री, चित्रकारी, और कहानियों में रुचि ने उनका मार्ग प्रशस्त किया, मगर जिंदगी इतनी आसान कहां थी?
कॉलेज के बाद उन्होंने मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए कोशिश की, लेकिन अस्वीकृति मिली। ऐसे पल किसी को भी झुका सकते हैं, लेकिन मुरुगदॉस न थके, न झुके[2]। संघर्ष के रास्ते पर वे चेन्नई में टिके रहे—कभी संवाद लेखन, कभी सहायक निर्देशक की भूमिका, उन्होंने हर छोटे-बड़े मौके को अनुभव में बदला। डायरेक्टर बनने पहले उन्होंने कई फिल्मों के लिए संवाद लिखे, ताकि फिल्मी दुनिया से रिश्ता बना रहे[2][3]।
2001 में ‘धीना’ नामक फिल्म से उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला[1]। इसके बाद उन्होंने जो भी किया, उसमें समाज का दर्द, आम आदमी की लड़ाई और दिल छू लेने वाले किरदार रहे। 2005 में फिल्म ‘गजिनी’ ने उन्हें रातों-रात स्टार निर्देशक बना दिया। इस फिल्म का हिंदी रीमेक भी उन्होंने ही किया और आमिर खान अभिनीत ‘गजिनी’ ने 100 करोड़ क्लब का रास्ता खोला, जो भारतीय सिनेमा में एक माइलस्टोन था[1][3]।
‘थुप्पक्की’, ‘काठी’, ‘सरकार’ जैसी फिल्मों ने उन्हें हर दिल अजीज बना दिया[1][3][5]। उनकी फिल्में सिर्फ मसाला एंटरटेनमेंट नहीं, सामाजिक संदेश का आईना भी हैं—आम आदमी का दर्द, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज, और समाज को बदलने की प्रेरणा। उनके निर्देशन का यही खास अंदाज है—ऐक्शन, इमोशन और संदेश, सब कुछ एक साथ।
मुरुगदॉस के जीवन की सबसे बड़ी खूबी है कभी हार न मानना। फिल्मों में आने की जिद, बार-बार मिलने वाली असफलता और चुनौतियों के बावजूद उनकी मेहनत नहीं रुकी। आज वे तमिल और हिंदी दोनों फिल्म इंडस्ट्री में ऊंचाईयों पर हैं, दर्जनों अवॉर्ड उनके नाम हैं। उनके भाई दिलीपान भी उनके प्रॉडक्शन से अभिनय की दुनिया में आए[1][2][3]।
उनकी निजी कहानी भी रूह को छूती है—छोटे शहर से बड़े सपने देखने वाला लड़का, जो कभी फिल्म संस्थान में एडमिशन न पा सका, आज उसी इंडस्ट्री के सितारों का मार्गदर्शक है। उनका नाम अब हर उभरते फिल्ममेकर के लिए प्रेरणा है; सोशल मुद्दों पर फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर की मिसाल मानी जाती है।
निष्कर्ष:
AR मुरुगदॉस का सफर हिम्मत, जुनून और शानदार सिनेमाई सोच का प्रतीक है। उनकी लाइफ और फिल्में सिखाती हैं कि सपनों का कोई सीमांत नहीं होता—अगर आपका इरादा और मेहनत सच्ची है, तो किस्मत भी झुकती है। मुरुगदॉस आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, और उनकी कहानी बताती है—हर मुश्किल के बाद रोशनी जरूर आती है।