पड़ोसी देश नेपाल इस वक्त एक गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के पतन और ‘Gen-Z’ के विरोध प्रदर्शनों के बाद, देश को एक स्थायी नेतृत्व की सख्त जरूरत है। ऐसे में, अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए पूर्व जस्टिस सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे चल रहा था। लेकिन अब उन्होंने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है, जिससे Nepal political crisis और गहरा गया है।
सुशीला कार्की का इनकार: उम्मीदों को लगा झटका
शुरुआत में, पूर्व जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कार्की शुरू से ही यह जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती थीं, लेकिन युवाओं और सेना के औपचारिक अनुरोध पर उन्होंने अस्थायी रूप से सहमति जताई थी। उन्हें मनाने के लिए सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने बुधवार देर रात तक उनके आवास पर लंबी बातचीत भी की थी। हालांकि, राजनीतिक मतभेद और सार्वजनिक आलोचनाओं के चलते Sushila Karki ने अंततः अपना नाम वापस ले लिया। इस घटनाक्रम ने देश की राजनीतिक अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है।
जनता की आवाज़: नई पीढ़ी का नेतृत्व
काठमांडू में लोगों की मिली-जुली राय सामने आई। कई नागरिकों का मानना था कि सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए, क्योंकि वे पहले भी विवादों में रह चुकी हैं और जनता उन्हें पसंद नहीं करती। आम लोग नई पीढ़ी के किसी नेता को आगे देखना चाहते हैं, जैसे काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह। एक अन्य नागरिक ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि Nepal Prime Minister पद किसी ऐसे नेता को मिले जो जनता से जुड़ा हो और देश को इस संकट से बाहर निकाल सके।’ इस प्रकार, जनता की उम्मीदें अब किसी ऐसे चेहरे पर टिकी हैं जो देश को स्थिरता प्रदान कर सके।
कुलमन घिसिंग: ‘लोडशेडिंग हीरो’ अब PM पद के दावेदार
Sushila Karki के नाम वापस लेने के बाद, अब एक नया नाम सामने आया है जो अंतरिम प्रधानमंत्री के सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरा है। यह नाम है Kulman Ghising। घिसिंग नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) के पूर्व सीईओ रह चुके हैं और उन्हें ‘लोडशेडिंग खत्म करने वाले हीरो’ के नाम से जाना जाता है। उनके नेतृत्व में नेपाल ने सालों पुरानी बिजली कटौती की समस्या पर काबू पाया था, जिससे आम जनता में उनकी छवि एक ईमानदार और काम करने वाले नेता की बनी है। यही कारण है कि इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच कई लोग Kulman Ghising को ही interim government का चेहरा देखना चाहते हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और जन-जुड़ाव उन्हें इस पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
नेपाल को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर एक ऐसे नेता की आवश्यकता है जो देश को स्थिरता और विकास की दिशा में ले जा सके। क्या Kulman Ghising, जो पहले ही बिजली संकट सुलझाकर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं, अब नेपाल के राजनीतिक संकट को भी सुलझा पाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल का भविष्य किस दिशा में करवट लेता है।