भारतीय भालाफेंक के सुनहरे सितारे नीरज चोपड़ा, जिन्होंने अपने हर थ्रो से देश का मान बढ़ाया है, वे सिर्फ पदकों से संतुष्ट होने वालों में से नहीं हैं। उनकी निगाहें हमेशा ‘परफेक्शन’ पर टिकी रहती हैं, और यही उनकी सफलता का राज है। हाल ही में दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर का शानदार थ्रो फेंककर भले ही उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया हो, लेकिन नीरज का मानना है कि उनकी तकनीक अभी भी ‘परफेक्ट’ नहीं है। डायमंड लीग फाइनल्स से पहले पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपनी तकनीक और आगामी चुनौतियों पर खुलकर बात की।
तकनीक पर नीरज का असंतोष: “90 मीटर भी परफेक्ट नहीं था”
नीरज चोपड़ा का मानना है कि उनकी वर्तमान तकनीक में सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने स्वीकार किया, ”मुझे लगता है मेरा रनअप तेज है लेकिन मैं उस रफ्तार का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा हूं। दोहा में 90 मीटर का थ्रो निश्चित रूप से अच्छा था, लेकिन तकनीकी तौर पर यह मेरे लिए परफेक्ट नहीं था।’’ ओलंपिक में दो बार पदक विजेता इस खिलाड़ी ने अपने लक्ष्य को और स्पष्ट करते हुए कहा, ”अगर मेरा बायां पैर सीधा है और मैं ब्लॉक का सही तरीके से इस्तेमाल कर रहा हूं, तो वह एक बेहतर थ्रो होगा और तभी मैं अपनी गति और तकनीक से पूरी तरह संतुष्ट हो सकूंगा।’’ यह दिखाता है कि नीरज सिर्फ दूरी नहीं, बल्कि हर थ्रो की बारीकियों पर भी पूरा ध्यान देते हैं।
भालाफेंक की अप्रत्याशितता और हवा का प्रभाव
भालाफेंक एक ऐसा खेल है जहाँ परिस्थितियाँ पल भर में बदल सकती हैं। जब एक रिपोर्टर ने उनसे बेहतर तकनीक के साथ 92 मीटर के थ्रो की संभावना के बारे में पूछा, तो नीरज ने वास्तविक जवाब दिया, ”भालाफेंक में कुछ भी निश्चित नहीं कहा जा सकता। एक दिन आप उम्मीद से चार या पांच मीटर आगे भी जा सकते हैं या पीछे भी रह सकते हैं।’’ हवा के प्रभाव पर उन्होंने समझाया, ”यह थ्रो करने वाले पर निर्भर करता है कि वह हवा का इस्तेमाल कैसे करते हैं। अगर आप सही लाइन से थ्रो कर रहे हैं, तो हवा से मदद मिल सकती है।’’ उनकी यह बात बताती है कि वह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी खेल की हर चुनौती के लिए तैयार रहते हैं।
मौसम की चुनौती और मानसिक दृढ़ता
ज्यूरिख में आगामी प्रतियोगिता के दौरान बारिश की संभावना पर भी नीरज चोपड़ा ने अपनी दृढ़ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, ”कल हो सकता है कि मौसम अच्छा न हो, शायद बारिश भी हो। लेकिन यह सभी खिलाड़ियों के लिए समान होगा। हमें मानसिक रूप से मजबूत होना होगा, क्योंकि ऐसे हालात कठिन होते हैं। मैं हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता हूं।’’ यह उनका जुझारू रवैया ही है जो उन्हें किसी भी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार रखता है।
डायमंड लीग फाइनल्स की राह
डायमंड लीग के 14 लीग चरणों में से पुरुष भालाफेंक स्पर्धा सिर्फ चार में ही शामिल थी। नीरज चोपड़ा ने इनमें से केवल दो स्पर्धाओं में ही हिस्सा लिया और 15 अंकों के साथ चौथे स्थान पर रहते हुए फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। यह उनकी निरंतरता और कम प्रतिस्पर्धाओं में भी शीर्ष प्रदर्शन करने की क्षमता को दर्शाता है।
नीरज चोपड़ा की यह ‘परफेक्शन’ की तलाश ही उन्हें एक साधारण एथलीट से असाधारण खिलाड़ी बनाती है। उनकी यह प्रतिबद्धता और हर बारीकी पर ध्यान देने का नजरिया निश्चित रूप से उन्हें और नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। डायमंड लीग फाइनल्स में उनका प्रदर्शन देखने लायक होगा, जहाँ वे अपनी तकनीक को निखारने और बेहतर परिणाम हासिल करने का प्रयास करेंगे।