भारतीय रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक का सबसे निचला स्तर छू लिया है। यह गिरावट भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ के भारी दबाव और बाजार में निवेशकों की बढ़ती घबराहट के कारण हुई है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 87.9650 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंताजनक संकेत है।
डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम!
शुक्रवार का दिन भारतीय रुपये के लिए ऐतिहासिक गिरावट लेकर आया, जब यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 87.9650 पर पहुँच गया। इस बड़ी गिरावट के पीछे भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ का भारी दबाव है, जिससे निवेशकों में गहरी चिंता और घबराहट फैल गई है। हाल ही में, अमेरिका ने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिससे भारत का कुल टैरिफ दोगुना होकर 50% हो गया। इस कदम से भारतीय बाजार में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली और रुपये पर इसका सीधा असर पड़ा।
युआन के सामने भी कमजोर पड़ा रुपया: टैरिफ गैप का असर
लेकिन रुपये की कहानी सिर्फ डॉलर के सामने कमजोर पड़ने तक ही सीमित नहीं है। विदेशी चीनी युआन के मुकाबले भी भारतीय रुपये में भारी गिरावट दर्ज की गई है। रुपया 12.3307 के स्तर पर पहुँच गया, जो इस हफ्ते 1.2% और महीने भर में 1.6% की गिरावट को दर्शाता है। पिछले चार महीनों में, युआन के मुकाबले भारतीय रुपया लगभग 6% गिर चुका है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह गिरावट टैरिफ गैप को दर्शाती है, जहाँ भारतीय निर्यात पर 50% का टैरिफ लगता है, वहीं चीनी वस्तुओं पर 30% का कम टैरिफ लग रहा है।
एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने इस बारे में बताया, “युआन के मुकाबले रुपये में गिरावट टैरिफ गैप को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जिसका सीधा असर उन भारतीय सेक्टरों पर पड़ता है जो अमेरिकी बाजारों में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जैसे कि कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और केमिकल।”
निर्यातकों को राहत? RBI का रुख
एक कमजोर रुपया कुछ हद तक भारतीय निर्यातकों के लिए आंशिक राहत ला सकता है, खासकर उन उद्योगों के लिए जो अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हैं। युआन के मुकाबले रुपये का कमजोर होना भारतीय उत्पादों को चीनी प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता बना सकता है, जिससे प्रतिस्पर्धा में मदद मिल सकती है। यह कदम चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे को कम करने में भी सहायक हो सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) युआन-रुपया क्रॉस पर बारीकी से नजर रखे हुए है।
एक प्रमुख विदेशी मुद्रा रणनीतिकार ने कहा कि RBI युआन के मुकाबले रुपये में गिरावट का स्वागत करेगा क्योंकि इसमें डॉलर के मुकाबले कोई खास गिरावट शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, “RBI को युआन के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी का स्वागत करना चाहिए, यह और भी बेहतर होगा।” इस हफ्ते युआन के मुकाबले रुपया 1% से ज़्यादा गिरा है, लेकिन डॉलर के मुक़ाबले यह सिर्फ़ 0.3% कमज़ोर हुआ है, और मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण 88 प्रति डॉलर के स्तर से ऊपर बना हुआ है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां
मुद्रा विनिमय में यह बदलाव भारत की अर्थव्यवस्था के लिए जटिलता की एक और परत जोड़ देगा, जो पहले से ही व्यापार मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे देश को 55-60 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है, जिससे कपड़ा, जूते, आभूषण और रत्न जैसे रोजगार-गहन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होंगे। ऐसे में सरकार और RBI को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी।