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वित्त और व्यापार

अगस्त में ₹35,000 करोड़ का झटका: विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से मोहभंग!

Rajput
Last updated: 2025/08/31 at 11:22 PM
Rajput
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5 Min Read
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अगस्त 2025 का महीना भारतीय शेयर बाजार के लिए विदेशी निवेशकों की बेरुखी का गवाह बना। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ और वैश्विक व्यापार में मची हलचल के बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय इक्विटी बाजारों से रिकॉर्ड तोड़ निकासी की। इस एक महीने में लगभग 35,000 करोड़ रुपये की निकासी ने निवेशकों के सेंटिमेंट को हिला दिया है, और यह बीते छह महीनों में सबसे बड़ी बिकवाली दर्ज की गई है।

Contents
छह महीने में सबसे तेज बिकवाली: आंकड़ों की जुबानीट्रंप के टैरिफ और वैश्विक हलचल: निकासी के मुख्य कारणआईपीओ बाजार में जारी है विदेशी निवेशकों का भरोसाशेयर बाजार पर गहराता असर: सेंसेक्स में बड़ी गिरावटआगे क्या? बाजार में अनिश्चितता और चुनौतियां

छह महीने में सबसे तेज बिकवाली: आंकड़ों की जुबानी

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला अगस्त में और तेज हो गया। आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2025 में FPIs ने भारतीय इक्विटी मार्केट से कुल 34,993 करोड़ रुपये की निकासी की। यह आंकड़ा बीते छह महीनों में की गई बिकवाली में सबसे बड़ा है। इससे पहले, जुलाई महीने में विदेशी निवेशकों ने 17,741 करोड़ रुपये निकाले थे, जो अगस्त में लगभग दोगुना हो गया। गौरतलब है कि साल 2025 में अब तक कुल निकासी 1.3 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। फरवरी 2025 के बाद यह सबसे बड़ी मासिक बिकवाली है, जब FPIs ने 34,574 करोड़ रुपये निकाले थे।

ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक हलचल: निकासी के मुख्य कारण

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि FPIs की इस तेज निकासी के पीछे कई कारण हैं। इनमें सबसे अहम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को माना जा रहा है। ये टैरिफ न सिर्फ भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं, बल्कि इसने निवेशकों के सेंटिमेंट पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, इन टैरिफ ने ग्रोथ को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं और व्यापार चुनौतियों को उजागर किया है। इसके अलावा, घरेलू बाजार में शेयरों का उच्च मूल्यांकन और कई कंपनियों के जून तिमाही के नतीजे उम्मीदों पर खरा न उतरना भी विदेशी निवेशकों के मोहभंग का एक बड़ा कारण बना है।

आईपीओ बाजार में जारी है विदेशी निवेशकों का भरोसा

दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर विदेशी निवेशक इक्विटी मार्केट से पैसे निकाल रहे हैं, वहीं प्राइमरी मार्केट (IPO) में उनकी मजबूत मौजूदगी बरकरार है। साल 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने IPO में 40,305 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो बाजार के एक हिस्से में उनके विश्वास को दर्शाता है। यह स्थिति दिखाती है कि निवेशक नए अवसरों की तलाश में हैं, भले ही मौजूदा इक्विटी बाजारों में वे सतर्क रुख अपना रहे हों।

शेयर बाजार पर गहराता असर: सेंसेक्स में बड़ी गिरावट

विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला है। ट्रंप टैरिफ के चलते मची हलचल के बीच, बीते सप्ताह सेंसेक्स में 1,497.2 अंक की जोरदार गिरावट दर्ज की गई। बाजार में इस उथल-पुथल से सेंसेक्स की टॉप-10 कंपनियों में से आठ की मार्केट वैल्यू में 2.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संयुक्त कमी आई। रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक के निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह गिरावट बाजार में अनिश्चितता का स्पष्ट संकेत देती है और निवेशकों को भविष्य की दिशा के बारे में सोचने पर मजबूर कर रही है।

आगे क्या? बाजार में अनिश्चितता और चुनौतियां

अगस्त महीने की यह बिकवाली भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए एक चुनौती पेश करती है। वैश्विक व्यापार युद्ध की बढ़ती आशंकाएं और घरेलू आर्थिक कारक मिलकर निवेशकों के भरोसे को कमजोर कर रहे हैं। आने वाले समय में वैश्विक नीतिगत बदलावों और घरेलू आर्थिक आंकड़ों पर निवेशकों की पैनी नजर रहेगी।

(नोट: शेयर बाजार में किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह अवश्य लें।)

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TAGGED: Foreign investors, FPI withdrawal, India market, share market India, Trump tariffs

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