हाल के दिनों में भारतीय सर्राफा बाजार में सोने ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। देश में सोने की कीमतें पहली बार ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई हैं, जिससे निवेशकों और आम जनता दोनों में कौतूहल बढ़ गया है। हालांकि, इस ऐतिहासिक उछाल के बाद विशेषज्ञ अगले कुछ दिनों में कीमतों में उतार-चढ़ाव की आशंका जता रहे हैं। वैश्विक आर्थिक संकेतों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बयानों को देखते हुए, सोने का बाजार अब एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ा है।
सोने ने छुआ नया रिकॉर्ड: ₹1,04,090 के शिखर पर
पिछले हफ्ते, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर का सबसे ज्यादा कारोबार वाला सोना कॉन्ट्रैक्ट शुक्रवार को ₹1,04,090 प्रति 10 ग्राम के शिखर पर पहुंच गया। हालांकि बाद में इसमें थोड़ी गिरावट देखी गई, लेकिन यह नई ऊंचाई इस बात का प्रमाण है कि सोने में निवेश को लेकर लोगों का रुझान कितना मजबूत हुआ है। इस तेजी को कमजोर रुपये से भी बल मिला, जो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ₹88.09 के निचले स्तर पर बंद हुआ। रुपये में यह 51 पैसे की गिरावट विदेशी फंडों की भारी बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर बढ़ते तनाव के कारण हुई।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय? कम होंगी या बढ़ेंगी कीमतें?
जानकार बताते हैं कि सोने की कीमतों में निकट भविष्य में कुछ सुधार देखा जा सकता है, बावजूद इसके कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है।
- JM Financial Services के प्रणव मेर का कहना है कि आने वाले हफ्ते में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर के PMI डेटा, अमेरिकी रोजगार रिपोर्ट, भारत में त्योहारी मांग, रूस-यूक्रेन शांति समझौते की अनिश्चितता और भारत-अमेरिका संबंधों पर सबकी नजर रहेगी। उनके अनुसार, कुछ मुनाफावसूली हो सकती है, लेकिन कुल मिलाकर सोने की कीमतें मजबूत रहेंगी। छोटी अवधि के लिए, वे कीमतों को ₹1,08,000 से ₹1,10,000 प्रति 10 ग्राम तक जाते हुए देखते हैं।
- इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की अक्षा कांबोज ने भी रुपये की कमजोरी को घरेलू सोने की कीमतों को ऊंचा रखने वाला प्रमुख कारक बताया। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में सोना ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम से ऊपर बना रहेगा। कांबोज ने यह भी उल्लेख किया कि व्यापारी हाल ही में अमेरिकी अपील कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को अवैध घोषित किए जाने के बाद आगे की प्रगति पर बारीकी से नजर रखेंगे।
- एंजल वन के प्रथमेश माल्या ने वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में दिसंबर डिलीवरी के लिए कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स की स्थिति पर प्रकाश डाला, जो 1.2% बढ़कर $3,530.70 प्रति औंस पर बंद हुए, जो 8 अगस्त के ऐतिहासिक उच्च स्तर $3,534.10 के करीब है। उन्होंने बताया कि 20 अगस्त से अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमतों में 6.6% की तेजी आई है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि कीमतों में तेज उछाल के बाद निकट भविष्य में कुछ सुधार हो सकता है। माल्या के अनुसार, आने वाले हफ्ते में सोने की कीमतों में कुछ गिरावट हो सकती है क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं और डॉलर इंडेक्स भी 100 के महत्वपूर्ण स्तर पर है।
वैश्विक संकेत और अमेरिकी फेडरल रिजर्व का रुख
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने हाल ही में लेबर मार्केट के जोखिमों पर जोर दिया, जिससे 16-17 सितंबर की नीति बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, ट्रंप की ओर से फेड गवर्नर लिसा कुक को हटाने की कोशिशों ने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई है। ये सभी कारक वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
आगे क्या? निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने में अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत में त्योहारी मांग और मौद्रिक नीति में ढील की उम्मीद से दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है, लेकिन अल्पकाल में कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार पर बारीकी से नजर रखें और सोच-समझकर निर्णय लें। मौजूदा वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य में, सोना एक आकर्षक संपत्ति बना रहेगा, लेकिन समझदारी से निवेश करना महत्वपूर्ण होगा।