क्या आपकी आंखों का सफेद हिस्सा असामान्य रूप से पीला दिख रहा है? यह एक ऐसा संकेत हो सकता है जिसे भूलकर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अक्सर हम इसे सामान्य पीलिया मानकर छोड़ देते हैं, लेकिन यह Leukemia नामक एक गंभीर Blood Cancer का प्रारंभिक लक्षण भी हो सकता है, जो खून की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और समय रहते न पहचाने जाने पर जानलेवा साबित हो सकता है।
क्यों पीली पड़ती हैं आंखें?
आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ना शरीर में बिलीरुबिन (bilirubin) नामक पदार्थ के स्तर बढ़ने का संकेत होता है। आमतौर पर यह पीलिया (Jaundice) का लक्षण माना जाता है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि कैंसर और लिवर की खराबी के कारण भी शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे आंखों और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है। Leukemia, बोन मैरो (bone marrow) में असामान्य ब्लड सेल्स के बनने से होता है, जो शरीर की सामान्य रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए, यदि आप Yellow Eyes का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना बेहद ज़रूरी है।
ल्यूकेमिया के 9 प्रमुख Cancer Symptoms
ल्यूकेमिया के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य बीमारियों जैसे लगते हैं, लेकिन इन्हें समझना और उन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। यहां ल्यूकेमिया के कुछ प्रमुख Cancer Symptoms दिए गए हैं:
- रात में तेज पसीना आना और अत्यधिक थकान महसूस होना
- बार-बार बुखार आना
- लगातार संक्रमण (infections) होते रहना
- वजन का अनियमित या अचानक घटना
- हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द
- सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ
- लिम्फ नोड्स (lymph nodes) में सूजन
- मसूड़ों या नाक से बिना कारण खून आना
- हल्की चोट लगने पर भी त्वचा पर नीला निशान पड़ जाना
किसे है ल्यूकेमिया का अधिक खतरा?
कुछ लोगों में Leukemia विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इनमें शामिल हैं:
- बच्चे और बुजुर्ग
- जिनके परिवार में Blood Cancer का इतिहास रहा हो
- रेडिएशन (radiation), कीमोथेरेपी (chemotherapy) या रेडियोथेरेपी (radiotherapy) के संपर्क में रहे लोग
- कमजोर इम्यून सिस्टम (immune system) वाले व्यक्ति, जैसे AIDS मरीज
- अधिक सिगरेट पीने वाले लोग
ल्यूकेमिया से बचाव के उपाय
हालांकि ल्यूकेमिया को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ जीवनशैली अपनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है:
- संतुलित और पौष्टिक आहार लेना
- हानिकारक रसायनों और रेडिएशन के संपर्क से दूरी बनाए रखना
- धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से बचना
- पर्याप्त नींद लेना और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाना
- नियमित चिकित्सीय जांच और Early Detection पर ध्यान देना
याद रखें, शरीर में कोई भी असामान्य बदलाव महसूस होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। समय पर पहचान और उचित इलाज ही इस गंभीर बीमारी से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें और किसी भी संकेत को नजरअंदाज न करें!