कन्नड़ फिल्म ‘मुंगारू मले’ ने भारतीय सिनेमा में सफलता की एक नई मिसाल कायम की है। 2006 में रिलीज़ हुई इस रोमांटिक ड्रामा ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी खास जगह बनाई। फिल्म का निर्देशन योगराज भट्ट ने किया और इसे ई. कृष्णप्पा ने प्रोड्यूस किया। मुख्य भूमिकाओं में गणेश और पूजा गांधी नजर आए, जिनके अभिनय ने इस फिल्म को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
‘मुंगारू मले’ ने अपनी सफलता के झंडे किस तरह गाड़े, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत की पहली ऐसी फिल्म बनी, जिसने किसी मल्टीप्लेक्स में एक साल से भी अधिक समय तक लगातार चलने का रिकॉर्ड बनाया। बेंगलुरु के PVR मल्टीप्लेक्स में यह 460 दिनों तक चली, जो आज भी एक अद्वितीय उपलब्धि मानी जाती है। फिल्म का वर्ल्डवाइड कलेक्शन लगभग 75 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जबकि इसका बजट एक करोड़ से भी कम था। इसने अपनी लागत का 100 गुना मुनाफा कमाकर पूरे देशभर में अपनी धाक जमा दी।
विशेषज्ञों की मानें तो ‘मुंगारू मले’ ने न सिर्फ गणेश और पूजा गांधी जैसे कलाकारों का करियर संवार दिया, बल्कि संगीतकार मनो मुरथी, गीतकार जयंत कैकिनी समेत कई नए उभरते प्रतिभाओं को भी पहचान दिलाई। फिल्म के गीत—जिनमें सोनू निगम और कुणाल गांजावाला जैसे बॉलीवुड गायकों की आवाज थी—कर्नाटक समेत दक्षिण भारत में जबरदस्त लोकप्रिय हुए।
फिल्म ने अपनी थीम, संगीत, संवाद और प्राकृतिक दृश्यों के कारण युवा वर्ग में खूब लोकप्रियता हासिल की। साथ ही, ‘मुंगारू मले’ का कथानक प्रेम, संघर्ष और संवेदना से भरपूर रहा, जिससे हर आयु वर्ग के दर्शकों ने खुद को जुड़ा महसूस किया।
हालांकि, फिल्म की बेमिसाल कमाई के बाद इसके निर्माता को इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी जैसी परेशानियों का भी سامنا करना पड़ा। विभाग ने फिल्म की कुल कमाई 67.5 करोड़ रुपये घोषित करते हुए उस पर टैक्स की माँग की थी। इसके बावजूद फिल्म के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड ने कन्नड़ सिनेमा को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई, जो करीब एक दशक से अधिक समय तक बरकरार रहा।
‘मुंगारू मले’ की ऐतिहासिक सफलता देखते हुए इसे और भी कई भाषाओं में रीमेक किया गया। इन रीमेक्स ने भी अपनी-अपनी क्षेत्रीय इंडस्ट्री में खास प्रदर्शन किया।
आगामी समय में कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से यह उम्मीद की जाती है कि वह इसी तरह नई क्रिएटिव सोच और सशक्त कंटेंट के साथ दर्शकों का दिल जीतती रहेगी। ‘मुंगारू मले 2’ नामक इसका सीक्वल भी 2016 में दर्शकों के बीच आया, जिसने मूल फिल्म की लोकप्रियता को ताजा यादों में बदल दिया। आने वाले वर्षों में ऐसे प्रयोगों और नई फिल्मों के जरिए कन्नड़ सिनेमा देशभर में अपनी पैठ और मजबूत कर सकता है।