उत्तर प्रदेश की राजनीति में Mulayam Singh Yadav और Shivpal Yadav का रिश्ता हमेशा से ही गहरा रहा है। ‘नेताजी’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव उनके राजनीतिक सफर के शुरुआती दिनों से ही साये की तरह साथ रहे हैं। हाल ही में, शिवपाल यादव ने एक ऐसा हैरतअंगेज किस्सा साझा किया है, जब उन्हें अपने बड़े भाई को गिरफ्तारी से बचाने के लिए मजबूरन एक कमरे में बंद कर ताला लगाना पड़ा था। यह कहानी 1975 Emergency के दौरान की है, जिसने भारतीय राजनीति में एक भूचाल ला दिया था।
जब शिवपाल को ट्रांजिस्टर पर मिली इमरजेंसी की खबर
शिवपाल यादव ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में बताया कि 1975 में जब देश में इमरजेंसी की घोषणा हुई, तब वह इटावा में किराए के मकान में रहकर बी.ए. के छात्र थे। उन्हें इमरजेंसी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। शाम करीब 7 बजे उन्होंने ट्रांजिस्टर पर इमरजेंसी लागू होने की घोषणा सुनी। इस घोषणा के होते ही पुलिस की गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ने लगी थीं और उनका मकान भी पुलिस की गिरफ्त में आने वाला था।
पुलिस को चकमा देने की रणनीति
पुलिस उनके घर पर यह पूछने आई थी कि विधायक जी (मुलायम सिंह यादव) कहाँ हैं। उस वक्त Mulayam Singh Yadav घर पर नहीं थे, वह एक शादी में गए हुए थे। पुलिस को चकमा देने के लिए युवा शिवपाल ने बड़ी सूझबूझ दिखाई। उन्होंने पुलिस को गलत दिशा की जानकारी दी। मुलायम सिंह यादव पूरब दिशा में भरथना की तरफ गए थे, लेकिन शिवपाल ने पुलिस को पश्चिम दिशा के एक इलाके का नाम बताकर भ्रमित कर दिया। किसी तरह टेलिफोन के जरिए मुलायम तक पुलिस के आने की सूचना पहुँचायी गई।
कमरे में बंद नेताजी: गिरफ्तारी से बचने का अनोखा तरीका
शिवपाल यादव, जिनकी उस समय उम्र महज 20 साल थी, ने आगे बताया, ‘नेताजी शादी से देर रात घर लौटे तो हमने उन्हें एक कमरे में बंद करके बाहर से ताला लगा दिया।’ ऐसा इसलिए किया गया ताकि पुलिस अगर दोबारा आए तो बताया जा सके कि घर पर कोई नहीं है। अगली सुबह करीब 4 बजे, Shivpal Yadav ने अपने एक सहयोगी रामसवेक यादव के साथ मुलायम सिंह यादव को मोटरसाइकिल से सैफई गाँव भेज दिया। इस तरह, मुलायम सिंह यादव करीब 10-15 दिनों तक गिरफ्तारी से बचते रहे। यह घटना Uttar Pradesh Politics में आज भी एक दिलचस्प अध्याय मानी जाती है।
लखनऊ से सैफई तक का संघर्ष
सैफई पहुँचने के बाद, Mulayam Singh Yadav ने अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह यादव से सलाह ली। दाँत की समस्या का बहाना बनाकर, उन्होंने भेष बदलकर लखनऊ की यात्रा की। पैंट-शर्ट पहनकर उन्हें उल्टी तरफ से ट्रेन में बिठाकर लखनऊ भेजा गया। डॉक्टर को दिखाने के बाद वे फिर से पुलिस से बचते हुए सैफई लौटे। अंततः, उन्होंने गिरफ्तारी दे दी और लगभग 18-19 महीने जेल में रहे। यह दौर Samajwadi Party के संस्थापक के लिए राजनीतिक संघर्ष का एक अहम पड़ाव था।
यह किस्सा Mulayam Singh Yadav और Shivpal Yadav के अटूट रिश्ते और 1975 Emergency के दौरान के उन मुश्किल भरे दिनों की याद दिलाता है, जब देश की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी।