शेयर बाजार के निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए यह हफ्ता बेहद अहम रहने वाला है। एक तरफ जहां 5 सितंबर की तारीख को बाजार में बड़े मूवमेंट की संभावना जताई जा रही है, वहीं जीएसटी काउंसिल की बैठक, ग्लोबल मार्केट के संकेत, अमेरिकी टैरिफ से लेकर विदेशी निवेशकों की खरीद-बिक्री और कई तकनीकी कारक बाजार की चाल तय करेंगे। आइए, विस्तार से समझते हैं कि इस हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में क्या कुछ हो सकता है और किन बातों पर रहेगी सबकी नजर।
इस हफ्ते बाजार के लिए क्यों खास है 5 सितंबर की तारीख?
वेल्थव्यू एनालिटिक्स के डायरेक्टर हर्षुभ शाह के मुताबिक, इस हफ्ते 5 सितंबर की तारीख शेयर बाजार के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है। उनका अनुमान है कि इस दिन बाजार में एक बड़ा और निर्णायक मूवमेंट देखने को मिल सकता है, जो आने वाले दिनों की दिशा तय कर सकता है।
बाजार की दिशा तय करने वाले 5 बड़े फैक्टर
बाजार की चाल केवल एक कारक पर निर्भर नहीं करती, बल्कि कई घरेलू और वैश्विक कारक मिलकर उसकी दिशा तय करते हैं। इस हफ्ते ये 5 प्रमुख फैक्टर बाजार पर अपना असर दिखा सकते हैं:
1. जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक
3 और 4 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। बाजार की पैनी नजर इस बैठक पर होगी, खासकर इसलिए क्योंकि इसमें दो-स्लैब टैक्स सिस्टम को मंजूरी मिल सकती है। यदि ऐसा होता है, तो ऑटो और कंज्यूमर स्टॉक्स में एक नई तेजी देखने को मिल सकती है, जिससे इन सेक्टरों को बड़ी राहत मिलेगी।
2. ट्रम्प के टैरिफ पर अमेरिकी कोर्ट का फैसला
हाल ही में, अमेरिका की एक अपील कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए ज्यादातर टैरिफ गैरकानूनी हैं। हालांकि, यह फैसला अभी अंतिम नहीं है और टैरिफ कम से कम 14 अक्टूबर तक लागू रहेंगे, ताकि ट्रम्प प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। इस खबर से वैश्विक बाजारों में थोड़ी राहत की उम्मीद जगी है, लेकिन अनिश्चितता का माहौल अभी भी बना हुआ है।
3. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली का दबाव
बाजार की चाल काफी हद तक फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) की खरीद-बिक्री पर निर्भर करती है। पिछले हफ्ते शुक्रवार को FIIs ने भारतीय बाजारों से 8,312.66 करोड़ रुपये की बड़ी बिकवाली की थी, जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (DII) ने 11,487.64 करोड़ रुपये की खरीदारी करके बाजार को कुछ सहारा दिया। 2025 में अब तक FIIs ने कुल 1,30,635 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जिसमें अकेले अगस्त महीने में 34,993 करोड़ रुपये की बिकवाली शामिल है। यह बिकवाली बाजार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
4. अमेरिकी बाजारों की चाल
दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजारों में से एक वॉल स्ट्रीट की चाल का असर अन्य वैश्विक बाजारों पर भी पड़ता है। भारतीय बाजारों पर भी इसका कुछ प्रभाव दिख सकता है। अमेरिकी बाजारों में कोई भी बड़ा उतार-चढ़ाव भारतीय इक्विटी मार्केट को भी प्रभावित कर सकता है।
5. तकनीकी स्तर (टेक्निकल आउटलुक)
एंजेल वन के सीनियर एनालिस्ट ओशो कृष्ण का कहना है कि निफ्टी का तकनीकी आउटलुक अभी कमजोर दिख रहा है। निफ्टी अपने 100-DEMA (डेली एक्सपोनेनशियल मूविंग एवरेज) से नीचे ट्रेड कर रहा है, जिसे मंदी का संकेत माना जाता है। यह 24,350 के हाल के निचले स्तर के करीब है। अगर यह महत्वपूर्ण स्तर टूटता है, तो निफ्टी 24,150-24,100 (जो 200-दिवसीय सिंपल मूविंग एवरेज है) तक गिर सकता है। वहीं, ऊपरी तरफ 24,600-24,800 के स्तर पर इसे मजबूत रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रेडर्स के लिए क्या हैं सपोर्ट और रेजिस्टेंस जोन?
ट्रेडर्स के लिए सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों को समझना बेहद महत्वपूर्ण होता है। ये स्तर बाजार की संभावित चाल का अनुमान लगाने में मदद करते हैं।
सपोर्ट जोन (सहारा स्तर)
- स्तर: 24,380 / 24,331 / 24,140 / 23,875 / 23,820 / 23,320
- मतलब: सपोर्ट वह स्तर होता है जहां शेयर या इंडेक्स को नीचे गिरने से सहारा मिलता है। इन स्तरों पर खरीदारी बढ़ने से कीमत आसानी से नीचे नहीं जाती। ट्रेडर्स को इन स्तरों पर खरीदारी का मौका मिल सकता है।
रेजिस्टेंस जोन (रुकावट स्तर)
- स्तर: 24,460 / 24,540 / 24,650 / 24,800 / 25,001 / 25,080
- मतलब: रेजिस्टेंस वह स्तर होता है जहां शेयर या इंडेक्स को ऊपर जाने में रुकावट आती है। ऐसा बिकवाली बढ़ने से होता है। अगर निफ्टी रेजिस्टेंस जोन को सफलतापूर्वक पार करता है, तो एक नई तेजी या अपट्रेंड शुरू हो सकता है।
पिछले हफ्ते बाजार का हाल: सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन, शुक्रवार 29 अगस्त को भारतीय बाजारों में गिरावट दर्ज की गई थी। सेंसेक्स 271 अंक गिरकर 79,810 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी में भी 74 अंक की गिरावट रही और यह 24,427 के स्तर पर बंद हुआ।
- सेंसेक्स: 30 शेयरों में से 17 में तेजी और 13 में गिरावट रही। ITC और BEL सहित 6 शेयरों में 2% तक की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि M&M, रिलायंस और इंफोसिस के शेयरों में 3% तक की गिरावट रही।
- निफ्टी: 50 में से 23 शेयरों में तेजी और 27 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। NSE के रियल्टी, ऑटो और ऑयल एंड गैस इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट रही, जबकि FMCG और मीडिया इंडेक्स में तेजी देखने को मिली।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ जानकारी और सीखने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। ऊपर दी गई राय और सलाह व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों की हैं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि कोई भी निवेश फैसला लेने से पहले सर्टिफाइड विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें।