2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार द्वारा रिहा किए गए 11 दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार का दोषियों को रिहा करने का आदेश “धोखाधड़ी” और “अमान्य” था। इसमें पाया गया कि गुजरात सरकार रिहाई का निर्णय लेने के लिए “उचित सरकार” नहीं थी, क्योंकि मामला महाराष्ट्र में हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बिलकिस बानो के साहस और 20 साल के संघर्ष की एक बड़ी जीत है। यह फैसला जघन्य अपराधों के दोषियों को सजा दिलाने और न्याय सुनिश्चित करने के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हालांकि यह फैसला सकारात्मक है, लेकिन बिलकिस बानो की पूरी न्याय की लड़ाई अभी बाकी है। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कानून का सख्ती से पालन आवश्यक है।