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वित्त और व्यापार

अमेरिका पर गहराया आर्थिक संकट: भारत से तनाव और रिकॉर्ड बेरोजगारी, क्या मंदी की आहट?

Rajput
Last updated: 2025/09/08 at 3:57 PM
Rajput
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6 Min Read
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अमेरिका में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, जिससे मंदी (Recession Fears) की आशंकाएं बढ़ गई हैं। अगस्त में नौकरियों में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ गई और बेरोजगारी दर (US Unemployment Rate) अपने चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इस गंभीर स्थिति के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की व्यापारिक नीतियां और भारत (India) के साथ बढ़ते तनाव को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अब अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) पर ब्याज दरें (Interest Rates) घटाने का भारी दबाव है।

Contents
अमेरिका में नौकरियों का हाल और मंदी का डरभारत से तनाव और टैरिफ का असरअर्थशास्त्रियों की राय: मंदी की चौखट पर अर्थव्यवस्थाट्रंप के निशाने पर फेडरल रिजर्व के प्रमुखहर सेक्टर में दिख रही कमजोरी

अमेरिका में नौकरियों का हाल और मंदी का डर

अमेरिका में नौकरियों के बढ़ने की रफ्तार अगस्त में बेहद धीमी रही, जिसके कारण बेरोजगारी दर बढ़कर 4.3% पर पहुंच गई। यह लगभग चार साल में सबसे अधिक है और जॉब मार्केट में कमजोरी का स्पष्ट संकेत है। लेबर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट बताती है कि जून में भी पहली बार साढ़े चार साल में नौकरियों में कमी आई थी, जिससे आर्थिक मंदी का डर और गहरा गया है। अप्रैल से ही नौकरियों की वृद्धि सुस्त है, और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।

भारत से तनाव और टैरिफ का असर

अमेरिका में ये आर्थिक चुनौतियां भारत के साथ तनाव के बीच सामने आई हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसका मुख्य कारण भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बताया जा रहा है। इस कदम से दोनों देशों के राजनीतिक और व्यापारिक रिश्तों में खटास पैदा हुई है, जिसका सीधा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा रहा है।

अर्थशास्त्रियों की राय: मंदी की चौखट पर अर्थव्यवस्था

फीडबॉन्ड्स (FWDBONDS) के चीफ इकॉनमिस्‍ट क्रिस्टोफर रूपकी ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की कगार पर है। उनका कहना है कि वाशिंगटन की आर्थिक नीतियों के कारण कंपनियां नई भर्तियां करने से बच रही हैं। रूपकी के अनुसार, फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरें (Interest Rates) घटाना ही इस स्थिति से निपटने का एकमात्र उपाय है। श्रम विभाग के ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (BLS) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में सिर्फ 22,000 नौकरियां बढ़ीं, जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 79,000 था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने अगस्त में 75,000 नौकरियों की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था, जो वास्तविक आंकड़ों से काफी अधिक है।

आंकड़ों में बदलाव से पता चला कि जून में 13,000 नौकरियां कम हुईं, जबकि पहले 14,000 की बढ़ोतरी बताई गई थी। दिसंबर 2020 के बाद यह पहली बार था जब नौकरियों में कमी देखी गई। इन बदलावों के बाद, ट्रंप ने बीएलएस की कमिश्नर एरिका मैकएंटरफर को बिना किसी सबूत के आंकड़ों में हेरफेर के आरोप में नौकरी से निकाल दिया था। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह बदलाव ‘जन्म और मृत्यु’ मॉडल की वजह से हुआ, जिसका इस्तेमाल बीएलएस नई कंपनियों के खुलने या बंद होने से नौकरियों पर पड़ने वाले असर का अनुमान लगाने के लिए करता है।

ट्रंप के निशाने पर फेडरल रिजर्व के प्रमुख

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने रोजगार रिपोर्ट पर सीधे टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, “जेरोम ‘टू लेट’ पॉवेल को बहुत पहले ब्याज दरें कम कर देनी चाहिए थीं। हमेशा की तरह, वह ‘टू लेट!’ हैं।” इस बयान से स्पष्ट है कि ट्रंप मौद्रिक नीति पर अपने विचारों को लेकर काफी मुखर हैं।

ट्रंप ने ई.जे. एंटनी को बीएलएस का प्रमुख चुना है, जिन्होंने पहले इस एजेंसी की आलोचना की थी और मासिक रोजगार रिपोर्ट को बंद करने का सुझाव भी दिया था। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एंटनी इस पद के लिए योग्य नहीं हैं। ट्रंप के टैरिफ की वजह से देश में टैक्स की दर 1934 के बाद सबसे ज्यादा हो गई है, जिससे महंगाई बढ़ने का डर है। इसके चलते फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें घटाना रोक दिया है। हालांकि, व्यापार नीति को लेकर कुछ अनिश्चितता कम होने लगी थी, लेकिन अमेरिका की एक अदालत ने हाल ही में कई टैरिफों को गैरकानूनी करार दिया, जिससे कारोबारियों में फिर से अनिश्चितता बढ़ गई है।

हर सेक्टर में दिख रही कमजोरी

अगस्त के पेरोल में कमजोरी साफ दिख रही है। पिछले तीन महीनों में हर महीने औसतन 29,000 नौकरियां बढ़ी हैं, जबकि 2024 में इसी अवधि में यह आंकड़ा 82,000 था। बीएलएस मंगलवार को रोजगार के स्तर में बदलाव का अनुमान जारी करेगा, जिससे नौकरी बाजार की हालत और खराब होने की आशंका है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि रोजगार का स्तर 8,00,000 तक कम हो सकता है।

अगस्त में ज्यादातर नौकरियां स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बढ़ीं, जहां 31,000 नौकरियां जोड़ी गईं। हालांकि, यह भी पिछले 12 महीनों के औसत 42,000 से कम है। सामाजिक सहायता उद्योग में 16,000 नौकरियां बढ़ीं। संघीय सरकार के पेरोल में 15,000 की कमी आई है, जिसका कारण व्हाइट हाउस द्वारा खर्च में कटौती है। जनवरी से इस क्षेत्र में 97,000 नौकरियां कम हुई हैं, और अक्टूबर में इसमें और कमी आने की उम्मीद है क्योंकि कर्मचारियों को मिलने वाला सेवेरेंस पे बंद हो जाएगा। यह स्थिति व्यापक आर्थिक कमजोरी की ओर इशारा करती है।

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TAGGED: Donald Trump, Federal Reserve, India-US Tensions, Recession Fears, US Unemployment Rate

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