नई दिल्ली, 31 अगस्त 2025: भारतीय दोपहिया वाहन उद्योग, जिसे लंबे समय से ‘मेक इन इंडिया’ की सबसे बड़ी सफलता की कहानी माना जाता है, आज एक अहम मोड़ पर खड़ा है। हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में सुधार को लेकर किए गए ऐलान के बाद वाहनों की कीमत घटने की चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन दूसरी ओर, दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी आयशर मोटर्स लिमिटेड (रॉयल एनफील्ड की मूल कंपनी) के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सिद्धार्थ लाल ने सरकार से गुहार लगाई है कि सभी टू-व्हीलर्स पर एक समान 18% GST लागू किया जाए। उनका मानना है कि ऐसा न होने पर भारत का यह सेक्टर न केवल अपनी वर्तमान बढ़त खो देगा, बल्कि आने वाले दशकों तक ग्लोबल लीडरशिप भी सुनिश्चित नहीं कर पाएगा।
‘मेक इन इंडिया’ की सफलता पर खतरा?
सिद्धार्थ लाल ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर इस विषय को लेकर एक लंबा-चौड़ा लेख लिखा है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “भारत का दोपहिया वाहन उद्योग ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है। यह एकमात्र मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है जहाँ भारतीय ब्रांड ग्लोबल लेवल पर लीडर की भूमिका निभा रहे हैं। मज़बूत सरकारी सहयोग और बड़े घरेलू बाज़ार की बदौलत, भारतीय निर्माता बेमिसाल पैमाना और क्षमता हासिल कर चुके हैं। दोपहिया वाहन निर्माताओं ने तकनीक, गुणवत्ता, कॉस्ट-इफिशिएंसी और डिस्ट्रीब्यूशन में अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित किए हैं। यही ताक़त आज वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को भी भारत में निर्माण करने के लिए आकर्षित कर रही है।”
उन्होंने आगे बताया कि भारतीय ब्रांड पहले से ही दुनिया भर में स्मॉल-कैपेसिटी वाले सेगमेंट में हावी हैं और बड़े निवेश के माध्यम से अब मिड-कैपेसिटी वाली मोटरसाइकिलों में भी गहरी पैठ बना रहे हैं। किफायती दामों में भारतीय कंपनियां दुनिया भर के राइडर्स को बड़ी और अधिक इंजन क्षमता वाली मशीनों से भारत में निर्मित मिड-साइज़ मोटरसाइकिलों की ओर आकर्षित कर रही हैं।
क्यों है एक समान GST की मांग?
सिद्धार्थ लाल ने इस मोमेंटम को बनाए रखने के लिए सभी दोपहिया वाहनों पर 18% की एक समान जीएसटी दर को बेहद ज़रूरी बताया है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए लिखा कि, “350cc से कम इंजन क्षमता वाली बाइक्स पर जीएसटी घटाने से ग्राहकों तक हमारी पहुंच बढ़ेगी, लेकिन 350cc से अधिक इंजन क्षमता वाली बाइक्स पर जीएसटी बढ़ाने से उस सेगमेंट को नुकसान होगा जो भारत की वैश्विक बढ़त के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।”
बंटे हुए टैक्स सिस्टम के नुकसान
सिद्धार्थ लाल के अनुसार, बंटा हुआ टैक्स सिस्टम (split tax regime) विदेशी वाहन निर्माताओं को मौका देगा, और जिन सेग्मेंट में आज भारत आगे है, वो पीछे छूट जाएगा। उन्होंने कुछ ख़ास बिंदुओं को ज़ाहिर करते हुए यह समझाने की कोशिश की कि आखिर बंटा हुआ टैक्स सिस्टम किस तरह से प्रभावित करेगा:
- सीमित होगी ग्लोबल रीच: “विदेशी बाज़ार में सफलता के लिए बड़े और प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट रेंज की ज़रूरत होती है। 350 सीसी से ज़्यादा इंजन क्षमता वाले सेग्मेंट पर भारी जीएसटी हमें छोटे इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों तक ही सीमित कर देगा। और भारतीय ब्रांड्स की मज़बूत डीलर नेटवर्क और ग्लोबल लेवल पर ब्रांड इक्विटी बनाने की क्षमता को कमज़ोर करेगा।”
- विदेशी प्रतिद्वंदियों को मिलेगा मौका: “जिन देशों में ऐसी टैक्स असमानताएं नहीं हैं, वहां के प्रतिद्वंद्वी ग्लोबल लेवल पर मिड-साइज़ सेगमेंट पर कब्ज़ा कर लेंगे और फिर छोटे इंजन क्षमता वाले बाज़ार में भी घुसपैठ करेंगे, जहां मौजूदा समय में भारत अग्रणी है।”
- राजस्व में मामूली बढ़ोतरी, लेकिन सेगमेंट सिकुड़ जाएगा: “महत्वपूर्ण यह है कि 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलें भारत के दोपहिया बाज़ार का केवल लगभग 1% हिस्सा बनाती हैं। इन पर GST बढ़ाने से राजस्व में मामूली बढ़ोतरी होगी, लेकिन यह सेगमेंट सिकुड़ जाएगा। भारतीय राइडर्स के लिए ये मोटरसाइकिलें लग्ज़री सामान नहीं हैं, बल्कि ये कारों का कुशल और किफायती विकल्प हैं, जो कम ईंधन खपत और लो मेंटेनेंस जैसे लाभ देती हैं। और यह भारत के फ्यूल इंपोर्ट को कम करने में भी मदद करती है।”
EV भविष्य और ग्लोबल हब बनने का मौका
सिद्धार्थ लाल ने यूनिफॉर्म GST के दूरगामी परिणामों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही दोपहिया वाहनों के मामले में चीन, जापान, यूरोप और अमेरिका से आगे है। यदि यूनिफॉर्म 18% GST लागू होता है तो भारत न सिर्फ पेट्रोल-डीजल टू-व्हीलर्स में, बल्कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (EVs) में भी दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। इससे बैटरी, सेमीकंडक्टर और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा और भारत नेक्स्ट जेनरेशन मोबिलिटी का ग्लोबल हब बन जाएगा।
सिद्धार्थ लाल की यह अपील ऐसे समय में आई है जब सरकार GST सुधारों पर गंभीरता से विचार कर रही है। अब देखना यह होगा कि इस महत्वपूर्ण सेक्टर की वैश्विक आकांक्षाओं को बनाए रखने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है।