भारतीय क्रिकेट टीम के उपकप्तान Shubman Gill इन दिनों अपनी शानदार बल्लेबाजी से ज्यादा एक खास दोस्ती की वजह से सुर्खियों में हैं। एशिया कप 2025 से पहले उनकी और अविनाश कुमार की यह दिल छू लेने वाली `friendship story` सोशल मीडिया पर खूब पसंद की जा रही है। अविनाश कुमार एक जूस बेचने वाले के बेटे हैं, लेकिन गिल ने उन्हें सिर्फ दोस्त ही नहीं, बल्कि अपने साथ दुबई तक का सफर भी कराया। आइए जानते हैं Shubman Gill और अविनाश कुमार की इस अनोखी दोस्ती की पूरी कहानी।
दोस्ती की शुरुआत: मोहाली का जूस ठेला
यह कहानी शुरू होती है उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रामविलास शाह से, जो कई सालों से मोहाली के आईएस बिंद्रा स्टेडियम के गेट नंबर-1 के बाहर जूस का ठेला लगाते हैं। उनके ठेले पर युवा क्रिकेटर Shubman Gill और उनके पिता लखविंदर अक्सर मौसंबी का जूस पीने आते थे। रामविलास का बेटा, अविनाश कुमार, उसी स्टेडियम के पीछे के मैदान में एक तेज गेंदबाज के रूप में ट्रेनिंग करता था। यहीं से Shubman Gill और अविनाश कुमार के बीच एक अनूठा रिश्ता पनपना शुरू हुआ।
जब आर्थिक तंगी ने रोका क्रिकेट का सफर, तब गिल के पिता बने सहारा
साल 2014 की बात है, Avinash Kumar ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था। उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं थी, और परिवार को सहारा देने के लिए अविनाश ने एक फोटो स्टूडियो में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने यह बात Shubman Gill के पिता लखविंदर सिंह को बताई, तो वह काफी नाराज हुए। लखविंदर सिंह ने अविनाश को समझाया कि क्रिकेट पूरे परिवार की जिंदगी बदल सकता है, और उन्हें दोबारा अपना `cricket journey` शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अविनाश को एक साइड-आर्म थ्रोअर के ट्रेनिंग का वीडियो दिखाया और खूब मेहनत करने को कहा। इस घटना ने Shubman Gill और अविनाश की दोस्ती को और गहरा कर दिया।
अविनाश बने शुभमन के ‘पर्सनल साइड-आर्म थ्रोअर’
गिल के पिता की प्रेरणा के बाद, अविनाश ने दोबारा क्रिकेट शुरू किया और Shubman Gill के ‘पर्सनल साइड-आर्म थ्रोअर’ बन गए। अकादमी के दिनों से शुरू हुई यह दोस्ती अब एक अटूट बंधन में बदल चुकी थी। अविनाश रोजाना 150-200 रुपये कमाते थे, लेकिन उन्होंने कभी गिल या उनके पिता से पैसे नहीं लिए। हालांकि, त्योहारों पर जैसे होली और दिवाली पर गिल का परिवार उन्हें पैसे देता था और जरूरत पड़ने पर उनके परिवार की मदद भी की, अस्पताल तक लेकर गए। अविनाश आज भी इस मदद के लिए गिल और उनके परिवार के आभारी हैं।
शुभमन के खेल में भी अविनाश का योगदान
Avinash Kumar ने बताया कि शुरुआती दिनों में Shubman Gill लॉफ्टेड शॉट नहीं खेलते थे। उनके पिता चाहते थे कि वह सिर्फ सीधा खेलें। गिल ने अंडर-19 वर्ल्ड कप और आईपीएल के बाद रेंज-हिटिंग पर काम करना शुरू किया। अविनाश के अनुसार, गिल पहले कहते थे कि दो रन ज्यादा लेने के चक्कर में आउट होने से क्या फायदा? लेकिन बाद में उन्होंने समझा कि टी20 क्रिकेट में छक्के मारना जरूरी है। उन्होंने इस पर काम किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
यह `friendship story` सिर्फ दोस्ती की नहीं, बल्कि संघर्ष, प्रेरणा और एक-दूसरे के प्रति समर्पण की भी है। Shubman Gill ने अपना वादा पूरा किया और Avinash Kumar को अपने साथ दुबई ले गए, जहां `Asia Cup 2025` जैसे बड़े इवेंट्स से पहले उनकी दोस्ती एक मिसाल बन गई है। यह दिखाता है कि कैसे एक सच्ची दोस्ती किसी की भी जिंदगी बदल सकती है।