शेयर बाजार में हाल ही में एक बड़ी हलचल देखने को मिली, जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा F&O (Futures & Options) ट्रेडिंग नियमों में संभावित बदलावों की खबर सामने आई। इस खबर के बाद, कैपिटल मार्केट से जुड़ी कई कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल है। BSE share समेत कई ब्रोकरेज कंपनियों को भी दबाव का सामना करना पड़ा।
खबर के बाद शेयर बाजार में भूचाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 11 सितंबर, 2025 को BSE share लगभग 3% टूटकर ₹2,201 पर आ गया। यह गिरावट तब आई जब बाजार में यह चर्चा गर्म हुई कि SEBI जल्द ही साप्ताहिक F&O कॉन्ट्रैक्ट्स को खत्म करने पर विचार कर रहा है और इसकी जगह मासिक एक्सपायरी की ओर बढ़ने की योजना बना रहा है। बाजार की मुख्य चिंता यह है कि लंबे टेन्योर वाले **derivatives** से ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी आ सकती है, जिससे BSE और ब्रोकरेज कंपनियों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा। निफ्टी कैपिटल मार्केट्स इंडेक्स भी 1% गिरकर 4,292 पर आ गया, जिसमें Angel One को करीब 4% का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
SEBI के संभावित प्रस्ताव क्या हैं?
SEBI के प्रस्तावित बदलावों में कुछ महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं:
- साप्ताहिक F&O कॉन्ट्रैक्ट्स को पूरी तरह से खत्म करने का सुझाव।
- मासिक एक्सपायरी की ओर एक परिभाषित ग्लाइड पाथ के साथ बढ़ने की योजना।
- सभी एक्सचेंजों पर F&O की एक्सपायरी के लिए एक ही दिन तय करने का विचार।
- यह भी बताया गया है कि 12 सितंबर की बोर्ड मीटिंग में लॉन्ग-टेन्योर derivatives पर विस्तृत चर्चा होगी।
- एक्सचेंजों के साथ इस विषय पर कंसल्टेशन अगले सप्ताह शुरू होने की उम्मीद है।
- SEBI चेयरमैन ने हाल ही में लंबी अवधि वाले derivatives लाने पर विचार करने की बात कही थी, जिसके “फॉर्म, टाइमलाइन और प्रोसेस पर कंसल्टेशन होगा।”
- नियामक पहले ही प्रति एक्सचेंज केवल एक साप्ताहिक कॉन्ट्रैक्ट और तय एक्सपायरी दिन लागू कर चुका है।
बाजार और निवेशकों पर क्या होगा असर?
इन संभावित बदलावों का stock market और निवेशकों पर गहरा असर पड़ सकता है:
- BSE share और ब्रोकिंग कंपनियों को वॉल्यूम लॉस के कारण दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
- Retail traders, जो साप्ताहिक ऑप्शंस में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, उनकी ट्रेडिंग रणनीति प्रभावित होगी।
- यह कदम कैश मार्केट को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि ट्रेडिंग F&O से इक्विटी में शिफ्ट हो सकती है।
- लंबे समय में, ये कदम बाजार में अस्थिरता (वोलैटिलिटी) को कम कर सकता है और बाजार को अधिक स्थिरता प्रदान कर सकता है।
आगे क्या?
SEBI का यह कदम भारतीय stock market के डेरिवेटिव्स सेगमेंट में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। निवेशकों और बाजार सहभागियों को आगामी SEBI बोर्ड मीटिंग और कंसल्टेशन पेपर्स पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए ताकि वे इन बदलावों के लिए खुद को तैयार कर सकें। इन नियमों का अंतिम स्वरूप क्या होगा और इनका बाजार पर कितना गहरा असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।