जीवन की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी, क्या मन में अशांति बनी रहती है? जब दुनिया आपकी सफलताओं पर तालियाँ बजा रही हो, तब भी क्या भीतर ही भीतर शांति की तलाश रहती है? ऐसे ही कुछ गहरे सवाल लेकर भारतीय बैडमिंटन की चमकती स्टार Saina Nehwal पहुंचीं पूज्य Premanand Maharaj के पास। उनका प्रश्न लाखों लोगों के मन की उलझन को दर्शाता है: आखिर Mantra Jaap और मंदिर जाने के बाद भी चिंताएँ क्यों पीछा नहीं छोड़तीं?
साइना नेहवाल का मन: सफलता के बावजूद भविष्य की चिंता
ओलंपिक पदक विजेता और पहली भारतीय शटलर, Saina Nehwal ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, “मुझे मंदिर जाना बहुत पसंद है और मैं काफी मंत्र भी जपती हूं, लेकिन जब मेरे… जैसे इतनी बड़ी प्लेयर होने के बाद कुछ लोग इवेंट्स में बुलाते हैं, तो उस टाइम का न सोचकर… मैं थोड़ा स्ट्रेस में आ जाती हूं… कल क्या होगा… कल के इवेंट्स का क्या होगा।” यह प्रश्न केवल एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जो भविष्य की अनिश्चितता से घबराता है, भले ही वर्तमान कितना भी सफल क्यों न हो। यह Anxiety एक आम मानवीय समस्या है, जो मन को भीतर से परेशान करती है।
अज्ञान की वृद्धि: चिंता का मूल कारण प्रेमानंद महाराज की दृष्टि में
Premanand Maharaj ने इस गहन समस्या का अद्भुत और शाश्वत समाधान बताया। उन्होंने कहा, “अज्ञान की वृद्धि जब तक नष्ट नहीं होगी, तब तक वह चिंता फेंकती रहती है।” महाराज ने समझाया कि हमारा मन व्यर्थ में कभी भूतकाल का चिंतन करता है, तो कभी भविष्य की काल्पनिक चिंताओं में डूब जाता है। बीते हुए पल या आने वाले कल के काल्पनिक भय – यही सब हमें डर और शोक में धकेलते हैं। इसी ‘अज्ञान’ से बचाने के लिए Naam Jap का विधान है, यह एक गहरी Spiritual Guidance है।
वर्तमान में जियो: नामजप से भूत और भविष्य दोनों सुधरते हैं
महाराज जी ने आगे कहा, “वर्तमान के समय को यदि हम भगवान के नाम में लगा दें तो हमारा भूत भी ठीक हो जाएगा और भविष्य भी ठीक हो जाएगा।” उनका कहना है कि जब हमारी बुद्धि मलिन हो जाती है, तो वह नकारात्मक (Negative) विचारों को अधिक फेंकने लगती है, और यही नकारात्मकता अंततः डिप्रेशन (Depression) में बदल जाती है। लेकिन यदि बुद्धि सकारात्मक (Positive) बनी रहे, तो हम बड़ी से बड़ी समस्या में भी आनंदित रह सकते हैं। यह सकारात्मकता कहाँ से आएगी?
सकारात्मकता का स्रोत: पवित्र नाम और भोजन
Premanand Maharaj ने इसका उत्तर दिया: “वह Naam Jap से आएगा।” उन्होंने सलाह दी कि राधा, कृष्ण, राम – जो भी नाम हमें प्रिय हो, उसका जप करें और पवित्र भोजन ग्रहण करें। ऐसा करने से हमारे भीतर की चिंता और उद्विग्नता (Anxiety) समाप्त हो जाती है और हम हर समय प्रसन्न रहने लगते हैं। भगवान के सच्चे भक्तजन हर परिस्थिति में आनंदित रहते हैं, क्योंकि उनकी नकारात्मक सोच खत्म होकर केवल सकारात्मकता ही शेष रह जाती है। यह Mantra Jaap का सीधा प्रभाव है।
हर परिस्थिति में आनंद: प्रेमानंद महाराज का अद्भुत उदाहरण
महाराज जी ने एक उदाहरण दिया, “यदि कोई व्यक्ति गाली दे रहा है, तो भक्त सोचते हैं कि भगवान ने कृपा करके इसे मेरे किसी पाप का निवारण करने के लिए निमित्त बनाया है।” वे उसके प्रति भी बुरा नहीं सोचते, बल्कि यह मानते हैं कि इससे उनके किसी पाप का मार्जन हो रहा है। ऐसे में मन के अंदर कोई नकारात्मक बात नहीं आती, बल्कि एक आनंद आ जाता है। “हम हर परिस्थिति में आनंद को प्राप्त करें, इसलिए Naam Jap करो।” यह Spiritual Guidance हमें सिखाती है कि कैसे बाहरी परिस्थितियों के बावजूद आंतरिक शांति बनाए रखी जाए।
Saina Nehwal को मिला यह अनमोल जवाब केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक है जो जीवन की भागदौड़ में शांति और संतोष की तलाश में हैं। ‘अज्ञान’ की जंजीरों को तोड़कर, नामजप के माध्यम से वर्तमान में जीना और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना ही वास्तविक आनंद की कुंजी है।