कंधे की गंभीर चोट से जूझने के बाद, असम के प्रतिभाशाली ऑलराउंडर रियान पराग ने आखिरकार प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी कर ली है। दिलीप ट्रॉफी में पूर्वी क्षेत्र की कप्तानी करते हुए, उनका प्राथमिक लक्ष्य सिर्फ कुछ मैच खेलना और अपनी लय हासिल करना था, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक हासिल करने पर खुशी व्यक्त की है। पिछले साल के अंत में लगी इस चोट ने उनके आईपीएल प्रदर्शन को भी प्रभावित किया था, और दिलीप ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल तक पराग ने कोई क्रिकेट नहीं खेला था।
चोट के बाद मैदान पर वापसी: लक्ष्य प्रदर्शन नहीं, बस खेलना था
उत्तर क्षेत्र से पहली पारी की बढ़त के आधार पर सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद, पराग ने पत्रकारों से बात करते हुए अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा, “मैच में खेलकर बहुत अच्छा लगा। सच कहूं तो, जब मैं यहां मैच खेलने आया था तो मेरा मुख्य लक्ष्य यही था – बस मैदान पर उतरना। प्रदर्शन पर मैंने अधिक ध्यान नहीं दिया। मैं बस थोड़ा लुत्फ उठाना चाहता था क्योंकि मैंने लंबे समय से प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेला था।”
आईपीएल के तनाव से दिलीप ट्रॉफी के अनुभव तक
रियान ने अपनी वापसी के सफर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आईपीएल के बाद उन्होंने कोई क्रिकेट नहीं खेला था। “आईपीएल में भी मैं काफी तनाव झेल रहा था, लेकिन यह (दिलीप ट्रॉफी) एक अच्छा प्रदर्शन था। हमने जितने ओवर क्षेत्ररक्षण किया, उसे देखते हुए यह अच्छा नहीं था, फिर भी मैंने कुछ ओवर गेंदबाजी की और थोड़ी देर बल्लेबाज़ी भी की। मैं इसे बड़ी पारी में बदल सकता था, लेकिन मैं खुश हूं कि मैं मैदान पर वापस आया।” उन्होंने 47 गेंदों में 39 रन बनाए और उत्तर क्षेत्र की दूसरी पारी में 22 ओवर की गेंदबाजी करते हुए एक महत्वपूर्ण विकेट भी चटकाया।
भविष्य की रणनीति: रणजी, ऑस्ट्रेलिया दौरा और घरेलू क्रिकेट पर फोकस
अब पराग को प्रतिस्पर्धी क्रिकेट के लिए अक्टूबर के मध्य तक इंतजार करना पड़ सकता है। वह रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए या फिर चयन होने पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीमित ओवरों की सीरीज में वापसी कर सकते हैं। पराग ने अपनी भविष्य की रणनीति पर बात करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि अब बुनियादी बातों पर वापस लौटना होगा। मैंने कंधे की चोट के लिए ब्रेक लिया था, और ऐसी चीजें होती रहती हैं। रणजी ट्रॉफी आने वाली है और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरा (अक्टूबर में) है। अगर मेरा वहां चयन होता है, तो मैं वहां खेलूंगा।”
उन्होंने आगे कहा, “वरना मैं घरेलू क्रिकेट में वापस जाऊंगा और वही करूंगा जो पिछले दो-तीन वर्षों से कर रहा हूं – हर मैच में शीर्ष स्कोरर रहने का प्रयास करूंगा, आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करूंगा और देश के लिए फिर से खेलूंगा।” यह दर्शाता है कि उनका ध्यान अपने प्रदर्शन को लगातार बेहतर बनाने और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने पर केंद्रित है।
दिलीप ट्रॉफी में हार पर निराशा और सीख
रियान पराग इस बात से निराश थे कि वे पूर्वी क्षेत्र को दिलीप ट्रॉफी में आगे नहीं ले जा सके। उन्होंने अपनी टीम की हार पर टिप्पणी करते हुए कहा, “उन्होंने (उत्तर क्षेत्र) बेहतर क्रिकेट खेला। मुझे उन्हें इसका श्रेय देना होगा। पहली पारी में उन्होंने पांच विकेट पर 230 रन बनाए थे, और फिर जिस तरह से निशांत ने उनके विकेटकीपर कन्हैया के साथ साझेदारी की और फिर आकिब ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।”
पराग ने स्वीकार किया कि उनकी टीम को बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए था। “इसलिए मुझे लगता है कि हम पहली पारी में गेंदबाजी करते हुए बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे, लेकिन फिर हमें कम से कम 350 के करीब पहुंचना चाहिए था और फिर उन्हें रोकने की कोशिश करनी चाहिए थी।” उन्होंने कहा कि एक बार जब उत्तर क्षेत्र ने पहली पारी में भारी बढ़त बना ली, तो उनकी टीम के लिए वापसी करना बेहद मुश्किल हो गया। “एक बार जब हमने ऐसा नहीं किया (पहली पारी में उत्तर क्षेत्र को जल्दी आउट करना) तो उनके पास लगभग 200 रन की बढ़त थी, और फिर उनके बल्लेबाजों ने बहुत अच्छा खेला और मैच हमारे से छीन लिया।”
चोट के बाद वापसी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन रियान पराग ने दिलीप ट्रॉफी में अपनी वापसी के साथ अपनी दृढ़ता और खेल के प्रति अपने जुनून को साबित किया है। अब देखना यह होगा कि वह अपनी भविष्य की योजनाओं को कैसे साकार करते हैं और भारतीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाते हैं।