हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम अनजाने में ही कई ऐसी आदतें अपना लेते हैं जो धीरे-धीरे हमारे शरीर को अंदर से खोखला कर देती हैं। प्रोसेस्ड फ़ूड, चीनी, नमक का ज़्यादा सेवन, धूम्रपान और शराब जैसी चीज़ें हमारी सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं। इन पर अक्सर चर्चा होती है, लेकिन एक और गंभीर मुद्दा है जिस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता: युवाओं में स्टेरॉयड यूज का बढ़ता चलन। यह एक ख़तरनाक प्रवृत्ति है जो हमारी युवा पीढ़ी की सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा रही है।
युवाओं की हड्डियों का दुश्मन बन रहा स्टेरॉयड
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कम उम्र में स्टेरॉयड का सेवन कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहा है। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि भारतीय युवा ‘जिम कल्चर’ की अंधी दौड़ में तेज़ी से स्टेरॉयड यूज के शिकार हो रहे हैं। इसका सबसे भयानक असर हड्डियों पर पड़ रहा है। हड्डियां इतनी कमज़ोर हो रही हैं कि 20 से 25 साल के युवाओं को भी हिप रिप्लेसमेंट की ज़रूरत पड़ रही है।
एम्स दिल्ली के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि स्टेरॉयड यूज के कारण हड्डियों के गलने (एवास्कुलर नेक्रोसिस) के कई नए मामले हर महीने सामने आ रहे हैं। एम्स के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश मल्होत्रा ने बताया है कि पिछले दो वर्षों में स्टेरॉयड यूजर्स में एवास्कुलर नेक्रोसिस के मामले 200% तक बढ़े हैं। यह डेटा दर्शाता है कि हड्डी स्वास्थ्य पर इसका कितना गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कानूनी पाबंदी के बावजूद आसान उपलब्धता
भारत में स्टेरॉयड ‘शेड्यूल-एच’ दवाओं की श्रेणी में आते हैं, जिसका मतलब है कि इन्हें डॉक्टर की पर्ची के बिना बेचना अवैध है। इसके बावजूद, ये दवाएं मेडिकल स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध हैं, जो इस समस्या को और भी गंभीर बना रहा है। बिना डॉक्टरी सलाह के इन दवाओं का सेवन जानलेवा साबित हो सकता है।
कब ज़रूरी, कब हानिकारक? स्टेरॉयड का सही और गलत इस्तेमाल
डॉक्टर आमतौर पर स्टेरॉयड युक्त दवाओं का इस्तेमाल कुछ विशेष बीमारियों जैसे अस्थमा, एलर्जी, गठिया या ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में करते हैं। ये दवाएं शरीर में सूजन को कम करने और दर्द से राहत देने में मदद करती हैं। हालांकि, जब इनका इस्तेमाल लंबे समय तक या ज़रूरत से ज़्यादा किया जाता है, तो इनके साइड इफेक्ट्स ऑफ स्टेरॉयड गंभीर हो सकते हैं।
स्टेरॉयड का सबसे बड़ा नुकसान हड्डियों पर होता है। हमारी हड्डियां कैल्शियम, विटामिन डी और हार्मोन की मदद से मज़बूत रहती हैं। लंबे समय तक स्टेरॉयड लेने से शरीर कैल्शियम को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे हड्डियों में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और वे धीरे-धीरे कमज़ोर होने लगती हैं। यह सीधे तौर पर हड्डी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
सिर्फ हड्डियां ही नहीं, पूरे शरीर पर कहर
हड्डियों के अलावा, साइड इफेक्ट्स ऑफ स्टेरॉयड शरीर की कई अन्य प्रणालियों को भी प्रभावित करते हैं। सबसे पहले, ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को दबा देते हैं, जिससे शरीर संक्रमण से लड़ने में कमज़ोर हो जाता है और आप आसानी से बीमार पड़ सकते हैं। दूसरा, ये शरीर में पानी और नमक को रोक कर रख सकते हैं, जिससे सूजन, हाई ब्लड प्रेशर और वज़न बढ़ने जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
स्टेरॉयड यूज का अधिक इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालता है। इसके कारण चिंता (एंग्जायटी), चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या और डिप्रेशन जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। लंबे समय तक उपयोग से हार्मोनल असंतुलन भी पैदा हो सकता है, जिससे पुरुषों में कमज़ोरी और महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता जैसी दिक्कतें देखने को मिलती हैं।
निष्कर्ष: समझदारी और जागरूकता ही बचाव
युवाओं में स्टेरॉयड के बढ़ते चलन और उसके गंभीर परिणामों को समझना बेहद ज़रूरी है। जिम कल्चर में शॉर्टकट्स अपनाने की बजाय, प्राकृतिक तरीकों से स्वस्थ और मज़बूत शरीर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। अपने हड्डी स्वास्थ्य और समग्र सेहत को बनाए रखने के लिए, किसी भी सप्लीमेंट या दवा का सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह लें। जागरूकता और सही जानकारी ही इस ख़तरनाक प्रवृत्ति से बचने का एकमात्र रास्ता है।