पलवल जिले में एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण के बढ़ते मामले गहरी चिंता का विषय बन गए हैं। इस वर्ष के शुरुआती आठ महीनों में ही 101 नए केस सामने आ चुके हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। पिछले पांच वर्षों (2020-2024) में जिले में लगभग 650 से अधिक लोग एचआईवी संक्रमण की चपेट में आए हैं, जिनमें 40 से अधिक गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं, जिससे उनके नवजात शिशुओं में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। यह आंकड़ा HIV Palwal में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती की ओर इशारा करता है।
पलवल में एचआईवी का बढ़ता ग्राफ: आंकड़े और अलार्मिंग स्थिति
आंकड़ों पर गौर करें तो HIV infection की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। वर्ष 2020 में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 में बढ़कर 82 हो गए। इसके बाद 2022 में 147, 2023 में 145 और 2024 में 160 नए मामलों की पुष्टि हुई। मौजूदा वर्ष में आठ महीने के भीतर ही 101 नए मामले सामने आना बेहद चिंताजनक है। यह वृद्धि न केवल आंकड़ों में है, बल्कि समुदाय में संक्रमण के प्रसार को भी दर्शाती है।
संक्रमण के मुख्य कारण: लापरवाही से बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, एचआईवी संक्रमण के पीछे असुरक्षित यौन संबंध सबसे प्रमुख कारण है। इसके अलावा, संक्रमित सिरिंज का उपयोग कर नशा करने वाले कई लोग भी इस बीमारी का शिकार हुए हैं। एचआईवी पीड़ित का संक्रमित खून चढ़ाना भी संक्रमण का एक कारण बन सकता है। थोड़ी सी भी लापरवाही एक बड़ा खतरा पैदा कर सकती है, जिससे HIV prevention और जागरूकता की आवश्यकता और बढ़ जाती है।
गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर मंडराता खतरा
बीते पांच वर्षों में 40 से अधिक गर्भवती महिलाओं में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है। ऐसे में उनके होने वाले शिशुओं में भी संक्रमण फैलने का पूरा खतरा रहता है। जिला नागरिक अस्पताल के डॉ. संजीव तंवर बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं में संक्रमण पाए जाने पर शिशुओं में वायरस के प्रसार को कम करने के लिए विशेष दवाइयां दी जाती हैं। यह दर्शाता है कि Sexual health पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर गर्भावस्था के दौरान।
जांच, उपचार और जागरूकता: स्वास्थ्य विभाग के प्रयास
जिला नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 50 लोगों की एचआईवी जांच की जाती है, जिनमें बड़ी संख्या गर्भवती महिलाओं की होती है। संक्रमित पाए जाने पर मरीजों को समुचित उपचार के लिए फरीदाबाद के बादशाह खान अस्पताल रेफर किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, और सेक्स वर्करों व ट्रांसजेंडर का नियमित टेस्ट भी किया जाता है। डॉ. संजीव तंवर ने लोगों से अपील की है कि घबराने की बजाय नियमित रूप से दवा का सेवन करें, जिससे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकता है। समय पर जांच और उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। AIDS awareness के माध्यम से इस रोग के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना भी आवश्यक है।
पलवल में उपचार की चुनौती: एआरटी केंद्र की कमी
जिले में एचआईवी संक्रमण के उपचार की पूरी व्यवस्था न होना एक बड़ी चुनौती है। जिला नागरिक अस्पताल में एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) केंद्र मौजूद नहीं है। इस कारण, सभी एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को उपचार और काउंसलिंग के लिए फरीदाबाद के बादशाह खान अस्पताल जाना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पलवल में एक एआरटी केंद्र की स्थापना बेहद जरूरी है ताकि मरीजों को उनके घर के पास ही उपचार मिल सके और HIV Palwal के मरीजों की दिक्कतें कम हों।
जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव: सामाजिक कलंक से लड़ना
डॉ. संजीव तंवर जोर देते हैं कि इस रोग से अधिक घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि जीवन में की गई लापरवाही से बचना ही सबसे महत्वपूर्ण है। एचआईवी से बचाव के लिए जागरूकता ही सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार लोग सामाजिक कलंक या डर के कारण एचआईवी जांच कराने से बचते हैं, जो भविष्य में उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। HIV prevention के लिए यह समझना आवश्यक है कि सही जानकारी और समय पर मदद ही सबसे प्रभावी हथियार है।