हाल ही में शिल्पा शेट्टी के पति, बिजनेसमैन राज कुंद्रा, वृंदावन में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज से मिले। इस मुलाकात के दौरान, राज कुंद्रा ने गुरुजी को अपनी एक किडनी दान करने की इच्छा जताई, जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर काफी आलोचना और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। अब, एक इंटरव्यू में राज कुंद्रा ने अपनी इस भावना के पीछे की वास्तविक वजह का खुलासा किया है और ट्रोलर्स को करारा जवाब भी दिया है।
प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात और आध्यात्मिक सफर
राज कुंद्रा ने बताया कि वह लंबे समय से एक आध्यात्मिक गुरु को फॉलो कर रहे हैं और पिछले दो सालों से प्रेमानंद जी महाराज के संदेशों को रीपोस्ट कर रहे थे। उन्हें और शिल्पा शेट्टी को प्रेमानंद जी से मिलने का दुर्लभ अवसर मिला, क्योंकि गुरुजी एक दिन में केवल 50-60 लोगों से ही मिलते हैं और उनसे मिलने के लिए लगभग एक साल की वेटिंग लिस्ट होती है। राज ने इस मुलाकात को अपनी जिंदगी का ‘सबसे बेहतरीन दिन’ बताया।
किडनी दान करने की भावुक वजह
अक्सर लोग आध्यात्मिक गुरुओं से जीवन से जुड़े सवालों के जवाब और ज्ञान की तलाश में जाते हैं, लेकिन राज कुंद्रा जब प्रेमानंद जी के सामने गए, तो वे हक्के-बक्के रह गए। उन्होंने समझाया, “हम सभी सोचते हैं कि हमारे जीवन में समस्याएं हैं। हमें लगता है कि हमारे पास पैसे नहीं हैं, या हम कोई लग्जरी आइटम खरीदना चाहते हैं। लेकिन प्रेमानंद जी, पिछले 20 सालों से, अपनी दो किडनी खराब होने के बावजूद, दिन में 5 घंटे डायलिसिस पर रहकर, मुस्कुराते हुए, खुश रहते हैं, ये कितना बढ़िया मैसेज है।” राज कुंद्रा प्रेमानंद जी की इस अदम्य भावना से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें लगा कि वे गुरुजी को कुछ देना चाहते हैं।
ट्रोलर्स को राज कुंद्रा का जवाब
जब राज कुंद्रा ने प्रेमानंद जी महाराज को अपनी एक किडनी दान करने की पेशकश की, तो उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। इस पर राज कुंद्रा ने सख्त लहजे में कहा, “सर, मैं अपनी एक किडनी दान करना चाहता हूं। मुझे यकीन है कि मेरे जैसे हजारों लोग होंगे लेकिन लोगों ने मुझे मुझे इसके लिए भी ट्रोल करना शुरू कर दिया। और मैं सोच रहा था कि यह मेरी किडनी है, मैं इसे जिसे चाहूं दे सकता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि लोग इसे पीआर प्रमोशन कह रहे हैं, जबकि असलियत यह है कि अंदर फोन भी ले जाने की इजाजत नहीं होती। राज कुंद्रा ने स्पष्ट किया कि उन्हें ट्रोलिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी भावना सच्ची थी और गुरुजी के प्रति उनकी भक्ति ही सबसे महत्वपूर्ण है।
राज कुंद्रा का यह कदम उनकी गहरी आस्था और प्रेरणा को दर्शाता है, भले ही इसे लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हों।