हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पंजाब दौरे के दौरान गुरुद्वारा बाबा बूढ़ा साहिब, रामदास में उन्हें सिरोपा भेंट करने का मामला गरमा गया है। इस घटना पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे सिख मर्यादा का उल्लंघन बताया है। SGPC ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह घटना अब एक बड़े Gurdwara Siropa Controversy का रूप ले चुकी है।
क्या है सिरोपा विवाद की जड़?
कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi जब Punjab दौरे पर थे, तो उन्होंने गुरुद्वारा बाबा बूढ़ा साहिब, रामदास का दौरा किया। इस दौरान उन्हें गुरुद्वारा साहिब के अंदर सिरोपा (सम्मान का प्रतीक) भेंट किया गया। हालांकि, SGPC अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने इस पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए इसे गुरुद्वारा साहिब के नियमों का सीधा उल्लंघन करार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरुद्वारा साहिब के गर्भगृह में किसी भी प्रमुख शख्सियत को सिरोपा देना प्रतिबंधित है।
SGPC के नियम और अध्यक्ष का बयान
SGPC अध्यक्ष धामी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि आंतरिक समिति के पिछले फैसलों के अनुसार, गुरु दरबार में सिरोपा देने का सम्मान केवल धार्मिक हस्तियों, रागी सिंहों और सिख विद्वानों तक ही सीमित है। किसी भी राजनीतिक या अन्य प्रमुख व्यक्ति को यह सम्मान गुरुद्वारे के पवित्र स्थान के अंदर नहीं दिया जा सकता। उनका यह बयान SGPC की सख्त रुख को दर्शाता है।
आंतरिक जांच शुरू: दोषियों पर कार्रवाई का वादा
SGPC ने इस पूरी घटना की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। धामी ने बताया कि जांच रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त हो जाएगी, जिसके आधार पर दोषियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सिख मर्यादा को भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह जांच Punjab में धार्मिक मर्यादाओं को बनाए रखने के SGPC के संकल्प को दर्शाता है।
“यह सिख भावनाओं का अपमान है”
एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अपने बयान में आगे कहा कि 1984 के दुखद Sikh Genocide के आरोपी कांग्रेस पार्टी के नेता और गांधी परिवार के सदस्य Rahul Gandhi को गुरुद्वारा साहिब से सिरोपा देना किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिख समुदाय की भावनाओं का अपमान है और SGPC ऐसी घटनाओं को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। उनका मानना है कि यह कार्य सिख धर्म और उसके इतिहास के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है। यह Gurdwara Siropa Controversy अब राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गई है।
आगे क्या होगा?
जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी, SGPC द्वारा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है। यह घटना SGPC की सिख मर्यादा और परंपराओं को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है और यह भी दर्शाती है कि धार्मिक स्थलों पर प्रोटोकॉल का पालन कितना महत्वपूर्ण है।