नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रविवार, 31 अगस्त 2025 को एक बयान में कहा कि उन्हें संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई बहस के लिए पार्टी के वक्ताओं की सूची से बाहर रखे जाने पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि नेतृत्व ने शायद उन्हें अपने रुख का प्रतिनिधित्व करने के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं माना होगा।
‘मुझे कोई पछतावा नहीं’, बोले मनीष तिवारी
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के पास लगभग 100 सांसद हैं और स्वाभाविक रूप से हममें से कई लोग बोलना चाहते थे। मैं उनमें से एक था। हालांकि, पार्टी ने तय किया कि संसद में हमारी स्थिति को सबसे बेहतर तरीके से कौन रख सकता है। हो सकता है कि उन्हें लगा हो कि मैं अपना पक्ष प्रभावी ढंग से नहीं रख पाऊंगा, लेकिन मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। मुझे कोई पछतावा नहीं है।”
कांग्रेस के प्रति 45 साल की निष्ठा
अपनी राजनीतिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए मनीष तिवारी ने कहा, “मैं 45 साल से कांग्रेस में हूं। मेरा पूरा जीवन कांग्रेस में बीता है। इसलिए वैचारिक रूप से, मेरा मानना है कि कांग्रेस इस देश के लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने एक प्रतीकात्मक टिप्पणी भी की, जिसमें उन्होंने कहा, ‘जुगनू को दिन के वक्त परखने की जिद करें, बच्चे हमारी आजादी के चालक हो गए’। उन्होंने आगे कहा कि भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले इस महान संगठन को आगे बढ़ाने के लिए पूर्ण समर्पण और वैचारिक दृढ़ता वाले लोगों की जरूरत है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे, फिर भी बोलने से वंचित
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में मंत्री रहे मनीष तिवारी उन कांग्रेस नेताओं में से एक थे, जिन्हें मोदी सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाबी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में वैश्विक कूटनीतिक बातचीत के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए चुना था। हालांकि, कांग्रेस ने उन विदेशी प्रतिनिधिमंडलों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी को नामित नहीं किया था और न ही उन्हें संसद के मानसून सत्र के दौरान हुई ऑपरेशन सिंदूर बहस में बोलने के लिए चुना गया।
सोशल मीडिया पर अप्रत्यक्ष संदेश
29 जुलाई को मनीष तिवारी ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर ‘पूरब और पश्चिम’ फिल्म का एक प्रसिद्ध गाना पोस्ट करते हुए लिखा था, “प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं। भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं।” इसके तुरंत बाद उन्होंने एक और पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘यदि आप मेरी खामोशियों को नहीं समझते हैं, तो आप मेरे शब्दों को कभी नहीं समझ पाएंगे।’ इन पोस्ट्स को उनके मन की बात को अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्त करने के तौर पर देखा गया था।
ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा
संसद के 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चले मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हुई। लोकसभा में 28-29 जुलाई को 18 घंटे 41 मिनट तक चर्चा हुई और 73 सदस्यों ने इसमें भाग लिया। राज्यसभा में 29-30 जुलाई तक चली बहस 16 घंटे 25 मिनट तक चली और इसमें 65 सदस्यों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च सदन में इसका जवाब दिया था।