भारतीय शेयर बाजार के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म्स में से एक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने आखिरकार दो साल से खाली पड़े चेयरमैन के पद पर नियुक्ति कर दी है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब निवेशक लंबे समय से अटके NSE IPO का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को अनुभवी पूर्व IAS अधिकारी इंजेती श्रीनिवास को सौंपा गया है। उनकी नियुक्ति को stock exchange के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, खासकर इसके बहुप्रतीक्षित आईपीओ के संदर्भ में।
इंजेती श्रीनिवास: NSE के नए ‘सारथी’
मंगलवार, 9 सितंबर, 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (IFSCA) के पूर्व चेयरमैन इंजेती श्रीनिवास को अपना नया चेयरमैन घोषित किया। यह पद पिछले दो वर्षों से खाली था, जिससे एक्सचेंज के शासन पर सवाल उठ रहे थे। NSE के बोर्ड और प्रबंधन ने श्रीनिवास का गवर्निंग बोर्ड के चेयरपर्सन के तौर पर गर्मजोशी से स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि उनका व्यापक अनुभव एक्सचेंज की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह कदम share market में निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा सकता है।
अनुभव का धनी व्यक्तित्व: कौन हैं इंजेती श्रीनिवास?
Injeti Srinivas ओडिशा कैडर के 1983 बैच के एक अनुभवी IAS अधिकारी हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में बीए (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की है और यूके के स्ट्रैथक्लाइड ग्रेजुएट बिजनेस स्कूल से एमबीए किया है। उनका प्रशासनिक और वित्तीय क्षेत्र का अनुभव असाधारण है:
- वह पहले कॉर्पोरेट अफेयर्स सेक्रेटरी के पद पर रह चुके हैं।
- IFSCA के फाउंडिंग चेयरपर्सन के रूप में, उन्होंने संस्थागत सुधारों और शासन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
- 2017 से 2023 तक, वह भारत की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल (FSDC) के सदस्य भी रहे।
- उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के बोर्ड में भी महत्वपूर्ण सेवाएं दी हैं।
श्रीनिवास ने हाल ही में NSE बोर्ड में पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर के रूप में भी कार्यभार संभाला था, जिससे उनकी एक्सचेंज के आंतरिक कामकाज से पहले से ही परिचित होने की पुष्टि होती है।
NSE IPO: बहुप्रतीक्षित लिस्टिंग का रास्ता
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) पिछले आठ सालों से अटका हुआ है, जिससे निवेशकों में काफी उत्सुकता है। NSE के सीईओ आशीष चौहान ने हाल ही में संकेत दिया था कि आईपीओ को अभी और समय लग सकता है, क्योंकि SEBI approval अभी तक नहीं मिली है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी की मंजूरी मिलने के बाद, आईपीओ लगभग 8 से 9 महीने में लॉन्च हो सकता है। एक बार लिस्टिंग होने के बाद, NSE के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर ट्रेड किए जाएंगे, जो भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
IPO की राह में SEBI की भूमिका और चुनौतियाँ
किसी भी कंपनी के सार्वजनिक होने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ET Now की रिपोर्ट के अनुसार, NSE ने हाल ही में SEBI से NOC के लिए आवेदन किया है। NOC मिलने के बाद, कंपनी ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर सकती है, जो आईपीओ प्रक्रिया का अगला महत्वपूर्ण कदम है।
NSE के सामने कुछ नियामक चुनौतियाँ भी हैं। जुलाई 2025 के पहले तिमाही के परिणामों की घोषणा करते हुए, एक्सचेंज ने खुलासा किया था कि उसने कोलोकेशन और डार्क फाइबर से संबंधित मामलों में SEBI के साथ दो अलग-अलग निपटान आवेदन दायर किए हैं। इन आवेदनों पर नियामक के जवाब का इंतजार है, जो NSE IPO की टाइमलाइन को भी प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
Injeti Srinivas की नियुक्ति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के लिए एक नया अध्याय खोलती है। उनके अनुभव और नेतृत्व से न केवल एक्सचेंज के संचालन में सुधार की उम्मीद है, बल्कि यह भी उम्मीद की जा रही है कि इससे लंबे समय से अटके NSE IPO को गति मिलेगी। निवेशक और पूरा share market इस घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है, क्योंकि NSE का सार्वजनिक होना भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक बड़ा कदम होगा।