सोचिए, आप पूरी तरह स्वस्थ हों और अचानक पता चले कि आप पिछले 15 सालों से ब्रेन ट्यूमर के साथ जी रहे हैं? बोस्टन की 22 वर्षीय निकोल कटलर के साथ ठीक ऐसा ही हुआ। इस चौंकाने वाली खबर ने उन्हें हिला दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
अचानक बहरापन और एक चौंकाने वाला निदान
यह मई 2021 की बात है, जब 22 वर्षीय निकोल कैलिफोर्निया से बोस्टन लौट रही थीं। उड़ान के दौरान अचानक उनके दाहिने कान की सुनवाई पूरी तरह चली गई। पहले तो उन्हें लगा कि शायद कान बंद हो गए हैं, लेकिन जब उनके पति ने एयरपॉड लगाकर जांच की और कुछ भी सुनाई नहीं दिया, तो उन्हें एहसास हुआ कि कुछ गंभीर गड़बड़ है।
उन्होंने तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया। जब उनके एमआरआई स्कैन के नतीजे आए, तो सब हैरान रह गए। उनके मस्तिष्क में ‘एवोकाडो के आकार’ का एक बड़ा ट्यूमर मिला। डॉक्टरों ने बताया कि यह ट्यूमर पिछले 15 सालों से उनके दिमाग में धीरे-धीरे बढ़ रहा था!
जीवन का सबसे डरावना पल
अपने निदान के उस भयानक पल को याद करते हुए निकोल बताती हैं, ‘जब मुझे बताया गया कि मुझे ब्रेन ट्यूमर है, तो यह मेरे जीवन का सबसे डरावना क्षण था। 22 साल की उम्र में यह सुनना कि आपके दिमाग में 15 साल से एक ट्यूमर पल रहा है, किसी सदमे से कम नहीं था। मेरा पूरा शरीर जैसे काम करना बंद कर चुका था। मैं सिर्फ अपने परिवार के साथ घर जाना चाहती थी।’ निकोल ने बाद में महसूस किया कि वह कुछ समय से अपने दाहिने कान से सुनवाई खो रही थीं, लेकिन मई 2021 में वह पूरी तरह से बहरी हो गईं।
संघर्ष और सर्जरी का कठिन सफर
जुलाई 2021 में निकोल की पहली सर्जरी हुई, जिसमें ट्यूमर का आधा हिस्सा निकाल दिया गया। यह सर्जरी सफल रही, लेकिन इसके गंभीर परिणाम हुए। ऑपरेशन के बाद छह महीने तक निकोल का दाहिना हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। वह चल नहीं पाती थीं और अपने दाहिने हाथ को हिलाने में भी असमर्थ थीं। उनका चेहरा भी दाहिनी ओर से लकवाग्रस्त हो गया था।
निकोल बताती हैं, ‘मैंने अपना सारा संतुलन खो दिया था। मैं काफी समय तक चल नहीं पाई। मेरे दाहिने हाथ की हरकत चली गई थी। सर्जरी के बाद, मुझे दो महीने तक गहन फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी से गुजरना पड़ा, ताकि मैं फिर से चल सकूं, बोल सकूं और अपने चेहरे को सामान्य कर सकूं।’
दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर: एकॉस्टिक न्यूरोमा
सर्जरी के बाद बायोप्सी से पता चला कि निकोल को एक दुर्लभ प्रकार का ब्रेन ट्यूमर था जिसे एकॉस्टिक न्यूरोमा (Acoustic Neuroma) या वेस्टिबुलर श्वानोमा (Vestibular Schwannoma) कहते हैं। यह ट्यूमर आमतौर पर 100,000 लोगों में से लगभग दो को प्रभावित करता है और कई सालों तक धीरे-धीरे बढ़ता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलता, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह जानलेवा हो सकता है, खासकर यदि इससे मस्तिष्क में द्रव का संचय हो जाए।
इसके लक्षणों में थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, एक कान से बहरापन, कानों में घंटियों का बजना (टिनिटस), संतुलन में कमी और चेहरे की कमजोरी या लकवा शामिल हैं। यह आमतौर पर 30 से 60 वर्ष की आयु के वयस्कों को प्रभावित करता है।
मुस्कान वापस पाने के लिए एक और चुनौती
अपने चेहरे पर आई इस चुनौती से उबरने के लिए, निकोल ने अगस्त 2024 में एक और बड़ी सर्जरी करवाई। इसमें उनके बाएं पैर से नसें निकालकर उनके चेहरे पर लगाई गईं, ताकि वह फिर से मुस्कुरा सकें। ‘डॉक्टरों ने मेरे पैर से संवेदी नसें हटाकर उन्हें मेरे चेहरे पर लगाया, ताकि मेरी मुस्कान को फिर से बनाया जा सके,’ निकोल बताती हैं। ‘इसका मतलब था कि मुझे फिर से चलना सीखना पड़ा, नई सीमाओं के साथ। मेरा चेहरा बदल गया था, लेकिन मेरे पास अब एक पूरी तरह से नई मुस्कान थी।’
जागरूकता फैलाने के लिए मैराथन धाविका
आज, निकोल का ट्यूमर स्थिर है और नियमित एमआरआई स्कैनिंग के ज़रिए उस पर नज़र रखी जा रही है ताकि वह दोबारा न बढ़े। अपनी पहली सर्जरी के बाद, निकोल ने एक अद्भुत संकल्प लिया – उन्होंने ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर की छह प्रमुख मैराथन दौड़ने का वादा किया।
अब तक, वह बोस्टन, लंदन, शिकागो और न्यूयॉर्क मैराथन सफलतापूर्वक पूरी कर चुकी हैं। सितंबर में वह बर्लिन मैराथन दौड़ने की तैयारी कर रही हैं, जिसका उद्देश्य ब्रेन ट्यूमर चैरिटी के लिए धन जुटाना है।
ताकत, उद्देश्य और समुदाय की भावना
निकोल कहती हैं, ‘शायद मुझे अपनी पहले जैसी मुस्कान कभी नहीं मिल पाएगी, लेकिन मैं अपने दिल से पूरी तरह मुस्कुराना सीख रही हूं। हर सर्जरी, हर मील और हर पल के साथ, मैं धीरे-धीरे वह सब वापस पाने की कोशिश कर रही हूं जो मैंने खो दिया था।’
वह आगे कहती हैं, ‘यह यात्रा बहुत कठिन थी। मैंने शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से खुद के कई हिस्से खो दिए, लेकिन मुझे कुछ और भी गहरा मिला: ताकत, उद्देश्य और समुदाय की भावना।’ निकोल कटलर की यह कहानी न केवल एक बीमारी से लड़ने की कहानी है, बल्कि अदम्य साहस, आशा और दूसरों को प्रेरित करने की भावना की मिसाल भी है।