भारतीय शेयर बाजार में फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों के लिए एक बड़ी खबर है। करीब 25 साल बाद पूंजी बाजार नियामक SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने F&O कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति (expiry) के नियमों में ऐतिहासिक बदलाव किया है, जिसका सीधा असर निफ्टी और सेंसेक्स की वीकली एक्सपायरी पर पड़ेगा। यह नई व्यवस्था 1 सितंबर 2025 से लागू होगी। आइए समझते हैं कि SEBI का यह फैसला क्या है और इसका भारतीय शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
क्या है SEBI का नया नियम?
SEBI के नए निर्देशानुसार, अब फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति केवल दो निर्धारित दिनों – मंगलवार और गुरुवार को होगी। इस बदलाव के तहत, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर निफ्टी (Nifty) की वीकली एक्सपायरी अब गुरुवार के बजाय मंगलवार को होगी। वहीं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सेंसेक्स (Sensex) की एक्सपायरी गुरुवार को ही जारी रहेगी। यह नियम 1 सितंबर 2025 से प्रभावी हो जाएगा, जो डेरिवेटिव ट्रेडिंग के परिदृश्य को बदल देगा।
Nifty एक्सपायरी का सफर: एक ऐतिहासिक नज़र
निफ्टी फ्यूचर्स की शुरुआत भारत में 12 जून 2000 को हुई थी, जिसकी पहली एक्सपायरी 29 जून 2000 को हुई। उस समय केवल मासिक एक्सपायरी (हर महीने का आखिरी गुरुवार) होती थी। दिसंबर 2019 में, निफ्टी की साप्ताहिक एक्सपायरी की शुरुआत हुई और इसके लिए गुरुवार का दिन तय किया गया था। अब, लगभग 25 वर्षों बाद, NSE ने इस नियम में बदलाव करते हुए निफ्टी की साप्ताहिक एक्सपायरी का दिन मंगलवार कर दिया है। यह डेरिवेटिव बाजार के विकास और अनुकूलन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
बदलाव के पीछे SEBI का क्या तर्क है और इसके क्या फायदे हैं?
बाजार विशेषज्ञों और SEBI का मानना है कि एक्सपायरी की तारीखों में बदलाव से बाजार में अनावश्यक उतार-चढ़ाव (volatility) और तकनीकी जटिलताएं कम होंगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार को स्थिर करना और जोखिम प्रबंधन को सरल बनाना है। पहले जब विभिन्न अनुबंध अलग-अलग दिनों पर समाप्त होते थे, तब बाजार में असामान्य उतार-चढ़ाव देखा जाता था, जिससे निवेशकों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ता था।
नए नियमों से निवेशकों को स्पष्टता मिलेगी, जिससे बाजार में बेवजह की हड़बड़ी कम होगी। इसके अलावा, अलग-अलग एक्सपायरी के दिनों के कारण छोटे निवेशक अक्सर भ्रमित हो जाते थे। नया नियम इस भ्रम को दूर करेगा और दोनों प्रमुख एक्सचेंजों – NSE और BSE के बीच एक संतुलन स्थापित करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव निवेशकों के लिए अधिक फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि अब ट्रेडिंग रणनीतियां पहले से अधिक स्पष्ट होंगी और पूरे हफ्ते में केवल दो ही दिन बाजार पर अतिरिक्त दबाव रहेगा।
निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?
डेरिवेटिव ट्रेडिंग से जुड़े निवेशकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है। SEBI के इस फैसले के बाद, 28 अगस्त 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर निफ्टी का आखिरी गुरुवार वाला साप्ताहिक एक्सपायरी सत्र रहा। 1 सितंबर 2025 से लागू होने वाले नए नियमों के अनुसार, निफ्टी के सभी साप्ताहिक अनुबंधों की समाप्ति अब मंगलवार को होगी। यह बदलाव ट्रेडिंग पैटर्न, रिस्क मैनेजमेंट और मार्केट डायनामिक्स को प्रभावित करेगा, जिसके लिए निवेशकों को अपनी रणनीतियों को नए नियमों के अनुरूप ढालना होगा ताकि वे इस बदलाव का अधिकतम लाभ उठा सकें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, SEBI का यह कदम भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव ट्रेडिंग को अधिक पारदर्शी, सुव्यवस्थित और कुशल बनाने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर है। यह न केवल बाजार की स्थिरता को बढ़ाएगा, बल्कि निवेशकों को भी बेहतर और स्पष्ट ट्रेडिंग अनुभव प्रदान करेगा।