महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक आजकल सुर्खियों में हैं। बीते दिनों उनके पोते को उपहार में दी गई भारत की पहली टेस्ला कार ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह लगभग 61 लाख रुपये की टेस्ला मॉडल Y इलेक्ट्रिक SUV की खरीद उनकी 333 करोड़ रुपये की घोषित संपत्ति और ‘मेक इन इंडिया’ के नारे के कथित उल्लंघन को लेकर सवाल खड़े कर रही है। यह कोई पहली बार नहीं है जब सरनाईक विवादों में घिरे हों; इससे पहले रैपिडो ऐप से जुड़े एक मामले ने भी उन्हें चर्चा में ला दिया था। आखिर क्या है पूरा मामला और क्या यह कार खरीद सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला है या राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा?
भारत की पहली टेस्ला कार और मंत्री जी का तर्क
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने अपने पोते को उपहार में देने के लिए भारत की पहली टेस्ला कार, एक टेस्ला मॉडल Y इलेक्ट्रिक SUV खरीदी है, जिसकी कीमत लगभग 61.07 लाख रुपये बताई जा रही है। इस खरीद पर उठे विवादों के बीच, प्रताप सरनाईक ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि यह खरीदारी सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की पर्यावरण-अनुकूल महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है। उनका दावा है कि वह इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह कार खरीदना चाहते थे।
कौन हैं प्रताप सरनाईक? एक संक्षिप्त राजनीतिक परिचय
प्रताप सरनाईक महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिवसेना से एक वरिष्ठ नेता हैं और वर्तमान में देवेंद्र फडणवीस सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 1997 में थाणे नगर निगम में पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और लगातार तीन बार चुने गए। शुरुआत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से जुड़े रहे सरनाईक 2008 में शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने 2009 में ओवला-माजीवाड़ा से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2014, 2019 और 2024 में भी भारी बहुमत से जीत हासिल की।
करोड़ों की संपत्ति के मालिक प्रताप सरनाईक
साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान प्रताप सरनाईक ने अपने हलफनामे में जानकारी दी थी कि उनके पास कुल 333 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनका मुख्य व्यवसाय रियल एस्टेट और होटल का है, जो उनकी आय का प्रमुख स्रोत है।
‘मेक इन इंडिया’ पर सवाल और विपक्ष का हमला
टेस्ला कार की खरीद को लेकर विपक्ष ने प्रताप सरनाईक को जमकर घेरा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि एक तरफ प्रधानमंत्री ‘मेक इन इंडिया’ के नारे को बुलंद कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार के एक मंत्री अमेरिकी उत्पाद खरीद रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह देश के आत्मनिर्भरता के अभियान के विपरीत है। फिलहाल, इसपर सरनाईक ने सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया है।
रैपिडो विवाद: जब मंत्री खुद बन गए शिकायतकर्ता
यह कोई पहली बार नहीं है जब प्रताप सरनाईक विवादों में घिरे हों। जुलाई 2025 में, वह रैपिडो ऐप से जुड़े एक बड़े विवाद में भी शामिल थे। सरनाईक ने खुद रैपिडो ऐप के जरिए एक बाइक टैक्सी बुक की और उसे अवैध बताते हुए पकड़ा। उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि रैपिडो जैसी कंपनियां बिना सरकारी अनुमति के चल रही हैं, जो मौजूदा परिवहन नियमों का उल्लंघन है। उनके निर्देश पर रैपिडो की कई बाइक टैक्सियां जब्त की गईं और कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई।
प्रायोजन और आरोपों का सामना: रैपिडो विवाद का दूसरा पहलू
रैपिडो विवाद ने एक नया मोड़ तब लिया जब यह खुलासा हुआ कि रैपिडो उसी ‘प्रो गोविंदा लीग 2025’ की मुख्य प्रायोजक थी, जिसका आयोजन सरनाईक के बेटे पूर्वेश सरनाईक ने 7-9 अगस्त 2025 तक वरली डोम में किया था। यह लीग एक दही हांडी प्रतियोगिता थी। विपक्ष ने इस पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि सरनाईक ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग कर रैपिडो पर दबाव डाला और स्पॉन्सरशिप हासिल की।
भारी विवाद के बाद, परिवहन मंत्री ने सफाई दी। सरनाईक ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि रैपिडो पिछले तीन वर्षों से प्रो गोविंदा लीग का स्पॉन्सर रहा है और प्रायोजन 26 मई 2025 को तय हुआ था, जबकि कार्रवाई 2 जुलाई को की गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनी के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की और इस आयोजन को राजनीति से जोड़ना गलत है। उनके बेटे पूर्वेश ने भी कहा कि दही हांडी जैसे सांस्कृतिक आयोजन को राजनीति से दूर रखना चाहिए।
निष्कर्ष
प्रताप सरनाईक का टेस्ला कार खरीदना और रैपिडो विवाद, दोनों ही मामलों ने उनकी राजनीतिक छवि और फैसलों पर सवाल खड़े किए हैं। चाहे वह ‘मेक इन इंडिया’ बनाम विदेशी उत्पाद की बहस हो या मंत्री पद के दुरुपयोग के आरोप, ये घटनाएँ महाराष्ट्र की राजनीति में गरमाहट बनाए हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन विवादों का सरनाईक के राजनीतिक सफर और भविष्य पर क्या असर पड़ता है।