हालिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) डेटा ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक दिलचस्प मोड़ पेश किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए सख्त टैरिफ के बावजूद, भारत सहित अधिकांश एशियाई देशों की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। यह आंकड़ा बताता है कि घरेलू मांग और मजबूत व्यावसायिक आत्मविश्वास ने कई अर्थव्यवस्थाओं को बाहरी दबावों से उबरने में मदद की है।
भारत का मैन्युफैक्चरिंग जलवा: रिकॉर्ड उछाल
अगस्त 2025 में, भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI 59.3 के प्रभावशाली स्तर पर पहुँच गया, जो 2008 के बाद से सबसे ऊंचा आंकड़ा है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत में फैक्ट्री गतिविधियां अपने चरम पर हैं और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस मजबूती के पीछे मुख्य कारण घरेलू मांग की स्थिरता और कंपनियों की बेहतर मूल्य निर्धारण क्षमता (pricing power) है। भारतीय व्यवसायों का आत्मविश्वास तीन साल के निचले स्तर से उबर चुका है और वे भविष्य में मजबूत मांग की उम्मीद कर रहे हैं। एक प्रमुख वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने इस बात पर जोर दिया कि घरेलू ऑर्डर में वृद्धि ने टैरिफ से जुड़े किसी भी संभावित दबाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई है।
एशियाई विकासशील देशों का मजबूत प्रदर्शन
भारत अकेला नहीं है; एशिया के अन्य विकासशील देशों ने भी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में शानदार सुधार दिखाया है। चीन का PMI जुलाई में 49.5 से बढ़कर 50.5 हो गया, जो दर्शाता है कि वहां मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां फिर से विस्तार मोड में आ गई हैं। मलेशिया ने 15 महीने का उच्चतम स्तर, थाईलैंड ने 13 महीने का उच्चतम स्तर और इंडोनेशिया ने 5 महीने का उच्चतम स्तर छुआ। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि अधिकांश एशियाई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में फैक्ट्री गतिविधियां तेजी से मजबूत हो रही हैं, और चीन और फिलीपींस जैसे देशों में निर्माता व कारोबारी भविष्य के प्रति अधिक आशावादी नजर आ रहे हैं।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियां और उम्मीद की किरण
एक तरफ जहां एशियाई देश चमक रहे हैं, वहीं विकसित अर्थव्यवस्थाएं अभी भी संघर्ष कर रही हैं। ब्रिटेन का PMI लगातार 50 से नीचे बना हुआ है, जो वहां उत्पादन में गिरावट का संकेत देता है। जापान और दक्षिण कोरिया में मामूली सुधार देखा गया है, लेकिन वे अभी भी सिकुड़न के क्षेत्र में बने हुए हैं। हालांकि, यूरोजोन ने 50.7 पर फैक्ट्री आउटपुट बढ़ाकर एक उम्मीद की किरण दिखाई है, जो 41 महीने का उच्चतम स्तर है। इस सुधार का श्रेय अमेरिका के साथ हुए हालिया व्यापार समझौते को दिया जा सकता है, जिसने यूरोजोन के लिए सकारात्मक माहौल बनाया है।
कुछ देशों में गिरावट: अपवाद भी मौजूद
हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि सभी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मैन्युफैक्चरिंग में उछाल आया हो। पाकिस्तान का PMI गिरकर 50.1 पर आ गया, जो मई 2024 के बाद का सबसे कमजोर स्तर है। इसी तरह, ब्राजील भी अमेरिकी टैरिफ के दबाव में मध्य 2023 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिसने वहां की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को प्रभावित किया है।
विकसित बाजारों में अनिश्चितता का माहौल
विकसित बाजारों में अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। यूरोजोन में व्यावसायिक भावना (सेंटिमेंट) में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है, जबकि ब्रिटेन में भविष्य का परिदृश्य अभी भी धुंधला है। एक वैश्विक बाजार खुफिया प्रदाता के डायरेक्टर रॉब डॉबसन के अनुसार, कई निर्माता इस बात से चिंतित हैं कि सरकार की संभावित नीतियां, जैसे कि टैक्स बढ़ोतरी, उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जापान के निर्माता भी पिछले तीन महीनों में अगले साल के लिए सबसे कम आश्वस्त दिखे हैं, जो वैश्विक आर्थिक रिकवरी की राह में विकसित देशों के लिए चुनौतियों को उजागर करता है।