क्रिकेट प्रेमियों के लिए भारत और पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा एक रोमांचक अवसर होता है, लेकिन जब यह ‘India Pakistan match’ एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में होता है, तो इसका जुनून और भी बढ़ जाता है। हालांकि, इस बार खेल के मैदान से ज्यादा, यह मैच सियासी मैदान में चर्चा (Boycott India Pakistan Match) का विषय बन गया है। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को लेकर नेताओं से लेकर पूर्व क्रिकेटरों और आम जनता तक, हर तरफ ‘Cricket Controversy’ और जोरदार ‘Political Reactions’ देखने को मिल रहे हैं।
सियासी गलियारों में गरमाई बहस: पक्ष और विपक्ष
इस ‘Asia Cup’ मुकाबले को लेकर नेताओं की बयानबाजी ने माहौल को और गर्मा दिया है। एक तरफ जहां कुछ नेता अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का हवाला दे रहे हैं, वहीं कई इस मैच को राष्ट्रीय भावना के खिलाफ बता रहे हैं और इसकी ‘Boycott Call’ का समर्थन कर रहे हैं।
मैच के विरोध में मुखर आवाज़ें
- असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM प्रमुख): उन्होंने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने के फैसले पर सवाल उठाते हुए सरकार से जान-माल के नुकसान की तुलना में होने वाले आर्थिक लाभ पर जवाब मांगा। ओवैसी ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या सरकार के पास मैच खेलने से इनकार करने का अधिकार नहीं है।
- जगत सिंह नेगी (हिमाचल प्रदेश राजस्व मंत्री): उन्होंने केंद्र पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब भारतीय सैनिक सीमा पर बलिदान दे रहे हैं और नागरिक मारे जा रहे हैं, ऐसे में दुश्मन के साथ क्रिकेट खेलना अजीब है।
- उद्धव ठाकरे (शिवसेना UBT): उन्होंने मैच को ‘राष्ट्रीय भावना का अपमान’ करार दिया और रविवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया। उनकी पार्टी ‘सिंदूर रक्षा अभियान’ चलाएगी और महिला कार्यकर्ता सिंदूर इकट्ठा कर पीएमओ भेजेंगी।
- इमरान मसूद (कांग्रेस सांसद): उन्होंने केंद्र सरकार पर दोस्तों को व्यापार का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। मसूद ने कहा कि यह मैच खेल नहीं, बल्कि दो सेनाओं की लड़ाई जैसा लगता है, जिससे पैसा कमाया जा रहा है।
- पवन खेड़ा (कांग्रेस नेता): उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच भी संभव नहीं। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ द्वारा मैच को ‘राष्ट्रद्रोह’ कहने का भी समर्थन किया।
- शमा मोहम्मद (कांग्रेस प्रवक्ता): उन्होंने मैच का कड़ा विरोध करते हुए खुद भी बहिष्कार का ऐलान किया। शमा ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी है और ऐसे में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना शहीदों का अपमान है। उन्होंने ‘जय शाह’ और ‘अनुराग ठाकुर’ पर पैसे कमाने के लिए मैच करवाने का आरोप लगाया।
- कानपुर में AIMIM कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: उन्होंने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नारे लगाते हुए मैच रद्द करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी क्रिकेटर अक्सर भारत और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सोशल मीडिया पर अपमान करते हैं और पहलगाम हमले के शहीद शुभम द्विवेदी का अपमान है यह मैच।
- केदार जाधव (पूर्व भारतीय क्रिकेटर, भाजपा नेता): उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का खेल संबंध ठीक नहीं है और यह मैच खेला ही नहीं जाना चाहिए।
मैच के पक्ष में या नीति समझाने वाली आवाज़ें
- मनोज तिवारी (भाजपा सांसद): उन्होंने कहा कि भारतीय टीम पाकिस्तान में द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलेगी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेना नियमों के तहत होता है। उन्होंने याद दिलाया कि दोनों टीमें पहले भी विश्व कप जैसे बड़े आयोजनों में आमने-सामने हो चुकी हैं।
- मनोहर लाल खट्टर (केंद्रीय मंत्री): उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत-पाक संबंध गंभीर मुद्दे हैं, लेकिन उनकी तुलना क्रिकेट मैच से नहीं की जानी चाहिए। खट्टर ने खेल की भावना से मैच को देखने की वकालत की।
- अजित पवार (महाराष्ट्र डिप्टी सीएम, NCP): उन्होंने कहा कि इतने बड़े देश में अलग-अलग राय होना सामान्य है। पवार ने दावा किया कि उचित स्तर पर फैसला लिया जा चुका है और मैच तय समय पर होगा। उन्होंने सरकार की नई खेल नीति का भी जिक्र किया जिसके तहत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं होगी, लेकिन बहुपक्षीय टूर्नामेंट में मुकाबले जारी रहेंगे।
- आर.पी. सिंह (भाजपा नेता): उन्होंने कहा कि यह कोई द्विपक्षीय मैच नहीं है, बल्कि ‘अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड’ के तहत हो रहा है, इसलिए इसमें राजनीति नहीं करनी चाहिए।
- एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना: उन्होंने उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के दौर में भी भारत-पाक मैच खेले गए थे, जब रिश्ते तनावपूर्ण थे। उन्होंने आरोप लगाया कि ठाकरे ने सत्ता के लिए हिंदुत्व छोड़ा और अब चुनाव से पहले देशभक्ति याद आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘एनडीए सरकार’ का रुख साफ है कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं होता, सामान्य संबंध संभव नहीं और ‘आईपीएल’ में पाक खिलाड़ियों पर अब भी रोक है।
- मदन लाल (पूर्व भारतीय क्रिकेटर): उन्होंने कहा कि जब सरकार ने अनुमति दी है तो इसमें समस्या नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मेजबान हैं और मेजबान पाकिस्तान को मना नहीं कर सकता (बहुपक्षीय टूर्नामेंट में)। उन्होंने जोर दिया कि पहलगाम जैसी घटनाएं दुखद हैं, लेकिन उसका जवाब मैदान पर दिया जाना चाहिए और खेल को खेल की तरह देखना ही बेहतर है क्योंकि इसमें लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी है।
क्रिकेटरों और प्रशंसकों का नज़रिया
सियासी शोर-शराबे के बीच, खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रशंसकों की निगाहें मैदान पर टिकी हैं।
- सैम अयूब (पाकिस्तान बल्लेबाज): उन्होंने कहा कि पुराने मैच मायने नहीं रखते, असली फोकस इस टूर्नामेंट और जीत पर है। उन्होंने साफ किया कि ‘भारत-पाक मैच’ का रोमांच अलग जरूर है, लेकिन उनकी नजर सिर्फ खिताब जीतने पर है।
- रयान टेन डोएशेट (भारत के फील्डिंग कोच): उन्होंने माना कि बहिष्कार की आवाज़ें उठना संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन खिलाड़ी राजनीति से दूर रहकर सिर्फ खेल पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीम ने इस विषय पर मीटिंग की और बीसीसीआई और भारत सरकार के निर्देशों का पालन करना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- अशोक असवलकर (सूर्यकुमार यादव के बचपन के कोच): उन्होंने विश्वास जताया कि पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया को जीतने में कोई मुश्किल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यूएई के खिलाफ बड़ी जीत से खिलाड़ियों को अच्छा अभ्यास मिला है और भारत मजबूत स्थिति में है।
- कपिल पांडेय (कुलदीप यादव के कोच): उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जीत हर भारतीय के लिए दिवाली जैसी खुशी होगी।
- टी. नटराजन (भारतीय तेज गेंदबाज): उन्होंने कहा कि मौजूदा भारतीय टीम युवा और ऊर्जावान है और टीम इंडिया इस बार ‘Asia Cup’ जीतकर खिताब अपने नाम करेगी।
- शांति प्रिय गोयल (भारतीय क्रिकेट के सुपरफैन): अपनी तिरंगा कलर की दाढ़ी के लिए मशहूर गोयल ने कहा, ‘भारत यह मैच ज़रूर जीतेगा। कागज़ों पर और मैदान पर भी, हम काफ़ी मज़बूत हैं और हमारे पास अच्छे स्पिनर भी हैं।’
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान ‘Asia Cup’ मैच सिर्फ एक क्रिकेट मुकाबला नहीं, बल्कि भावनाएं, राजनीति और खेल भावना के बीच का एक जटिल ताना-बाना बन गया है। जहां एक ओर ‘Boycott Call’ और ‘Political Reactions’ की भरमार है, वहीं दूसरी ओर खिलाड़ी और असली क्रिकेट प्रशंसक मैदान पर होने वाले प्रदर्शन और खेल के रोमांच पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। अब देखना यह है कि क्या यह ‘Cricket Controversy’ खेल के जुनून पर भारी पड़ती है, या फिर मैदान पर खिलाड़ी अपनी क्षमता का परिचय देकर सभी का ध्यान केवल खेल पर खींच पाएंगे।