भारत में अपना आशियाना बनाने का सपना कई लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सपना अब और भी मुश्किल होता जा रहा है? हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में घरों की बढ़ती कीमतें ग्राहकों के लिए एक बड़ी परेशानी बन गई हैं। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों भारतीय परिवारों की चिंता का विषय है।
भारत में घर खरीदने की चुनौती: बढ़ती कीमतें बनीं बड़ी बाधा
ANAROCK Consumer Sentiment Survey 2025 की पहली छमाही के नतीजों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस सर्वे के मुताबिक, भारत में घर खरीदने वाले 81 फीसदी लोगों के लिए बढ़ती कीमतें एक बड़ी समस्या बन चुकी हैं। पिछले सिर्फ दो सालों में घरों की औसत कीमत में 50 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उदाहरण के लिए, देश के 7 बड़े शहरों में 2023 की दूसरी तिमाही में औसत कीमत ₹6,001 प्रति वर्ग फीट थी, जो 2025 की दूसरी तिमाही में बढ़कर ₹8,990 प्रति वर्ग फीट पर पहुंच गई है। यह स्थिति real estate India में घर खरीदने की क्षमता पर सीधा असर डाल रही है।
ग्राहकों की निराशा: विकल्पों और लोकेशन से असंतुष्टि
बढ़ती property prices के साथ-साथ, ग्राहक घरों के उपलब्ध विकल्पों से भी खुश नहीं हैं। सर्वे में 62 फीसदी लोगों ने कहा कि वे घरों के उपलब्ध विकल्पों से संतुष्ट नहीं हैं, जबकि 92 फीसदी लोग प्रोजेक्ट्स के लोकेशन से नाखुश दिखे। ANAROCK Group के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार, अलग-अलग शहरों में ग्राहक अपने शहर में घरों की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित हैं। मुंबई जैसे महंगे real estate market में भी, 39 फीसदी लोगों ने घरों की तेजी से बढ़ती कीमतों पर गहरी चिंता व्यक्त की, जबकि 20 फीसदी को खास फर्क नहीं पड़ा और 41 फीसदी थोड़े चिंतित थे।
प्रीमियम घरों में बढ़ती दिलचस्पी, सस्ते घरों की घटती मांग
दिलचस्प बात यह है कि जहां एक तरफ किफायती घरों की तलाश मुश्किल हो रही है, वहीं दूसरी ओर प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट में लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। सर्वे में ₹90 लाख से ₹1.5 करोड़ तक की कीमत वाले घरों में सबसे ज्यादा लोगों ने रुचि दिखाई। इससे यह साफ होता है कि home buying का रुझान बड़े और महंगे घरों की ओर मुड़ रहा है। इसके विपरीत, ₹45 लाख से कम कीमत वाले affordable housing सेगमेंट में ग्राहकों की दिलचस्पी तेजी से घटी है। 2020 की पहली छमाही में जहां ऐसे घरों में 40 फीसदी लोगों की रुचि थी, वहीं अब यह घटकर सिर्फ 17 फीसदी रह गई है। बड़े घरों की मांग भी बढ़ी है, जिसमें 45% लोगों ने 3BHK घरों में अपनी प्राथमिकता बताई।
सस्ते घरों की घटती आपूर्ति और कीमतें बढ़ने के कारण
पुरी ने बताया कि टॉप 7 शहरों में affordable housing यानी सस्ते घरों की सप्लाई में भी बड़ी गिरावट आई है। 2023 की पहली छमाही में यह 18 फीसदी थी, जो इस साल की पहली छमाही में घटकर मात्र 12 फीसदी रह गई है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि सीमित प्लॉट, शहरों की ओर बढ़ता माइग्रेशन और लगातार बेहतर होता इंफ्रास्ट्रक्चर ही घरों की कीमतों में इस तेजी के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, सर्वे से यह भी पता चला कि रेडी-टू-मूव घरों (Ready-to-move homes) की मांग घट रही है, जबकि नए लॉन्च हुए प्रोजेक्ट्स (new launches) की ओर रुझान बढ़ा है। इस साल की पहली छमाही में रेडी-टू-मूव और नए लॉन्चेज के बीच का अनुपात 16:29 था, जो 2024 की पहली छमाही में 20:25 था।
निष्कर्षतः, भारत में घर खरीदना अब एक जटिल प्रक्रिया बन गया है। बढ़ती कीमतें, सीमित विकल्प और ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताएं रियल एस्टेट बाजार के सामने नई चुनौतियां पेश कर रही हैं। ऐसे में, डेवलपर्स और सरकार दोनों को ही खरीदारों की जरूरतों और बाजार की बदलती गतिशीलता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है ताकि हर भारतीय का अपना घर होने का सपना साकार हो सके।