उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर में एक कार ड्राइवर को ‘हेलमेट न पहनने’ के जुर्म में ट्रैफिक चालान भेज दिया गया। हैरान करने वाली बात यह थी कि चालान पर जिस वाहन की तस्वीर लगी थी, वह एक कार थी, न कि कोई दोपहिया वाहन। इस घटना ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं और लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर ऐसी गलती कैसे हो सकती है?
क्या था पूरा मामला?
यह घटना सोमवार की बताई जा रही है, जब गाजियाबाद पुलिस की ओर से एक कार मालिक को ऑनलाइन चालान जारी किया गया। चालान में उल्लंघन का कारण ‘हेलमेट न पहनना’ दर्शाया गया था। सबसे दिलचस्प बात यह थी कि चालान पर लगी तस्वीर में साफ दिख रहा था कि व्यक्ति कार चला रहा था। चालान में उल्लंघन का स्थान राजनगर एक्सटेंशन स्थित अजनारा सोसाइटी चौराहे के पास बताया गया। जैसे ही इस Ghaziabad traffic challan को लेकर कार चालक को जानकारी मिली, वह सकते में आ गया। उसने तुरंत इस अजीबो-गरीब चालान को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इसके बाद यह मामला तेजी से वायरल हो गया और देखते ही देखते यह एक viral challan Ghaziabad बन गया, जिस पर हर कोई अपनी प्रतिक्रिया देने लगा।
पुलिस की सफाई और ‘मानवीय भूल’
मामला सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने के बाद गाजियाबाद की यातायात पुलिस हरकत में आई। एडिशनल ट्रैफिक डीसीपी सच्चिदानंद ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘मानवीय भूल’ बताया। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि ऐसा कैसे हुआ। अधिकारियों ने स्पष्टीकरण दिया कि दरअसल, एक ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर ने नो-पार्किंग क्षेत्र में खड़ी एक कार की तस्वीर खींची थी। लेकिन, तकनीकी या मानवीय त्रुटि के कारण, यह तस्वीर गलती से दोपहिया वाहन उल्लंघन (हेलमेट न पहनने) वाले चालान में अपलोड हो गई। यह स्पष्टीकरण एक Traffic police error की पुष्टि करता है।
सोशल मीडिया पर बना मजाक और उठे सवाल
इस अजीबोगरीब चालान की तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड होते ही लोगों ने पुलिस का जमकर मजाक उड़ाया। कई यूजर्स ने मजाकिया लहजे में लिखा कि ‘अब कार चलाते समय भी हेलमेट पहनना होगा।’ वहीं, कुछ गंभीर यूजर्स ने सवाल उठाया कि जब चालान काटने में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो ऐसी बड़ी चूक कैसे हो सकती है? यह Social media viral news न केवल मनोरंजन का विषय बनी, बल्कि इसने यातायात नियमों के प्रवर्तन में तकनीक के सही इस्तेमाल और मानवीय निगरानी की आवश्यकता पर भी बहस छेड़ दी। यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल होते सिस्टम में भी गलतियों की गुंजाइश रहती है, जिन्हें सुधारना बेहद ज़रूरी है।