नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने सरकारी आवास को खाली करने के बाद इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) प्रमुख अभय सिंह चौटाला के दिल्ली स्थित फार्महाउस पर रहने का फैसला किया है। धनखड़ तब तक यहीं रहेंगे जब तक उन्हें सरकार की ओर से आधिकारिक आवास नहीं मिल जाता। यह फार्महाउस दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव में स्थित है। इस कदम ने कई लोगों को हैरान किया, लेकिन इसके पीछे धनखड़ और चौटाला परिवार के बीच लगभग 40 साल पुराने गहरे संबंध हैं।
40 साल पुराना है धनखड़ और चौटाला परिवार का रिश्ता
जगदीप धनखड़ और चौटाला परिवार के बीच यह रिश्ता 1989 से चला आ रहा है। तब हरियाणा के दिग्गज जाट नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने राजस्थान के युवा वकील जगदीप धनखड़ में एक ‘संभावित नेता’ की पहचान की थी। खुद जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ हमेशा देवीलाल को अपना ‘गुरु’ मानते थे। यह गुरु-शिष्य परंपरा समय के साथ पारिवारिक सम्मान में बदल गई।
अभय चौटाला का भावुक बयान
जगदीप धनखड़ के फार्महाउस में आने से पहले अभय चौटाला ने एक बातचीत में बताया, “जब मुझे पता चला कि धनखड़ जी रहने के लिए घर ढूंढ रहे हैं और उनका अपना घर तैयार नहीं है, तो मैंने उन्हें फ़ोन किया और हमारे घर पर रहने के लिए कहा। यह उस व्यक्ति के प्रति एक पारिवारिक सम्मान है जिसे हम अपने बड़े भाई के रूप में देखते हैं। मैंने उनसे कहा कि उन्हें कोई वैकल्पिक आवास ढूंढने की ज़रूरत नहीं है, यह उनका अपना घर है और उन्हें यहां आना चाहिए। उन्होंने विनम्रतापूर्वक इसे स्वीकार कर लिया।”
देवीलाल के लिए धनखड़ का समर्पण
धनखड़ ने 25 सितंबर 1989 को इंडिया गेट के पास बोट क्लब में देवीलाल के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित विपक्षी रैली के लिए राजस्थान से 500 वाहनों का प्रबंध करके देवीलाल का ध्यान आकर्षित किया था। देवीलाल उस समय विपक्षी गठबंधन के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जो केंद्र में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को चुनौती देने के लिए एकजुट हुए थे। बोट क्लब रैली की सफलता उस दिशा में एक बड़ा कदम थी।
देवीलाल ने बनाया था सांसद और मंत्री
1989 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन ने जनता दल के रूप में चुनाव लड़ा। देवीलाल ने धनखड़ को झुंझुनू लोकसभा सीट से जनता दल का टिकट दिया और उनके लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया। इससे न केवल उनके रिश्ते मज़बूत हुए, बल्कि इसका मतलब यह भी हुआ कि जब कांग्रेस की जगह लेने वाली जनता दल सरकार में देवीलाल उप-प्रधानमंत्री बने, तो धनखड़ को केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य) बना दिया गया।
हालांकि, जल्द ही देवीलाल और प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह के बीच संबंध खराब हो गए। 1990 में जब वी.पी. सिंह ने देवीलाल को बर्खास्त किया, तो धनखड़ एकमात्र मंत्री थे जिन्होंने जाट नेता के समर्थन में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। जनता दल गठबंधन टूटने के बाद, वी.पी. सिंह की जगह चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बनाया गया, जिसके बाद देवीलाल उप-प्रधानमंत्री और धनखड़ संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में वापस पद पर आ गए।
केंद्रीय मंत्री से विधायक तक का सफर
यह सरकार भी ज़्यादा दिन नहीं चली। देवीलाल द्वारा INLD का गठन करने के कुछ ही समय बाद धनखड़ ने जनता दल छोड़ दिया। 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद धनखड़ राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हुए और 1993 के विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से कांग्रेस के विधायक बने। संयोग से उसी चुनाव में देवीलाल के दूसरे पोते (अजय सिंह चौटाला, जो अब अभय के प्रतिद्वंद्वी हैं) ने INLD के टिकट पर राजस्थान की नोहर सीट से जीत हासिल की।
चौटाला परिवार के सुख-दुख के साथी
21 दिसंबर 2024 को जब INLD के तत्कालीन प्रमुख और देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला (अभय और अजय के पिता) का निधन हुआ, तो धनखड़ राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले पहले लोगों में से थे। धनखड़ ने उस समय कहा था, “पांच दिन पहले, मैंने चौटाला साहब (ओम प्रकाश चौटाला) से बात की थी और वे मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रहे थे। उन्हें मेरी ज़्यादा चिंता थी। उनका निधन मेरे लिए बहुत बड़ी क्षति है। किसानों की उन्नति और गांवों का विकास चौटाला की प्राथमिकता थी।” इसी साल मार्च में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने देवीलाल को श्रेय दिया कि उन्होंने उन्हें ‘प्लीडर’ से ‘पी’ हटाकर ‘लीडर’ बनने के लिए प्रेरित किया, जिससे उन्हें राजनीति में आने की प्रेरणा मिली।
अभय चौटाला का चौंकाने वाला दावा: ‘मोदी-शाह की साजिश’
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को धनखड़ के अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देने के बाद अभय चौटाला ने इसे एक ‘साज़िश’ बताया। तब उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने धनखड़ को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अभय ने किसानों से किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रहने के लिए मोदी सरकार पर हमला किया और कहा, “भाजपा ऐसे व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकती जो किसानों और उनके कल्याण की बात करता है। चौधरी देवीलाल से राजनीति सीखने वाले धनखड़ जी केवल किसानों के कल्याण की बात करते हैं। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफ़ा नहीं दिया है, बल्कि मोदी-शाह नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया है।”
अभय चौटाला ने अपनी बातचीत में आगे कहा, “हम बचपन से ही धनखड़ जी से मिलते रहे हैं। वे दुःख-सुख में हमारे परिवार का हिस्सा रहे हैं। मैं उनसे नियमित रूप से मिलता रहता हूं, और उनके उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा।” देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह (जो अभय परिवार से अलग हैं) भी धनखड़ को परिवार का सदस्य बताते हैं।