IIT Kharagpur ने अपने छात्रों के लिए प्लेसमेंट सीजन से पहले एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। संस्थान ने स्पष्ट सलाह दी है कि छात्रों को अपने बायोडाटा (CV) में ‘डिपार्टमेंट रैंक’ का उल्लेख नहीं करना चाहिए, बल्कि सिर्फ अपना CGPA ही दिखाना चाहिए। यह कदम छात्रों पर अनावश्यक दबाव को कम करने और भर्ती प्रक्रिया में होने वाले संभावित भेदभाव को रोकने के लिए उठाया गया है, ताकि हर छात्र को निष्पक्ष मौका मिल सके। यह निश्चित रूप से छात्रों के करियर (Career) को एक नई दिशा देगा।
करियर डेवलपमेंट सेंटर के नए दिशा-निर्देश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पहल Career Development Centre (CDC) के नवीनीकरण और सुधार का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व अगस्त 2025 से मेकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर संजय गुप्ता कर रहे हैं। CDC के एक अधिकारी ने बताया कि संस्थान की एकेडमिक ब्रांच और ERP सिस्टम सभी डिपार्टमेंट के लिए डिपार्टमेंटल रैंक जारी नहीं करती। ऐसे में छात्रों के लिए CV में डिपार्टमेंट रैंक लिखना उचित नहीं है। इसका सीधा मतलब है कि अब रिक्रूटर्स छात्रों का मूल्यांकन केवल उनके CGPA (Cumulative Grade Point Average) के आधार पर करेंगे, न कि उनकी रैंक के आधार पर। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो छात्रों के लिए Placement Tips के रूप में सामने आया है।
IIT खड़गपुर निदेशक का अहम बयान
आईआईटी खड़गपुर की निदेशक सुमन चक्रवर्ती ने इस नीति का समर्थन करते हुए कहा, “हम आधिकारिक तौर पर रैंक नहीं देते हैं। अगर कोई कंपनी विशेष रूप से रैंक न मांगे, तो इसे देने का कोई तार्किक कारण नहीं है। CV में डिपार्टमेंट रैंक लिखने से भेदभाव होता है। कुछ छात्रों को इसका फायदा मिलता है और बाकी छात्र हाशिए पर चले जाते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि असाधारण एकेडमिक प्रदर्शन को अलग सर्टिफिकेट के जरिए दिखाया जा सकता है, उसके लिए रैंक की जरूरत नहीं है। उनका यह बयान छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण Career Advice है।
छात्रों और प्रोफेसरों की प्रतिक्रिया
इस कदम पर छात्रों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ छात्र इसकी सराहना कर रहे हैं और कहते हैं कि इससे छात्रों की प्रोफाइलिंग और भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात कम होगा, जिससे सभी को समान Student Success के अवसर मिलेंगे। वहीं, कुछ छात्रों ने IIT प्रशासन को पत्र लिखा और कहा कि उन्हें CV में डिपार्टमेंट रैंक लिखने की अनुमति दी जाए। एक सीनियर प्रोफेसर ने नई नीति का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि रैंक पर अधिक जोर छात्रों पर दबाव डालता है। उन्होंने कहा, “छात्र सहपाठी और मित्र बनने के बजाय प्रतियोगी बन रहे हैं। रैंक की वजह से तनाव और दबाव बढ़ता है। छात्रों के करियर का मूल्यांकन उनके एकेडमिक रिकॉर्ड, नॉलेज और स्किल के आधार पर होना चाहिए, न कि केवल रैंक के आधार पर। यह नई नीति निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए है और CGPA को महत्व देती है।”
CDC की नई रणनीति
CDC अधिकारी ने बताया कि अब इंस्टीट्यूट केवल बड़े सैलरी पैकेज पर नहीं, बल्कि पेशेवर संतुष्टि और सतत करियर विकास (Sustainable Career Growth) के संतुलन पर भी जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य इंजीनियरिंग नौकरियों के साथ-साथ नॉन-कोर नौकरियों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि छात्रों को अपनी रुचि और कौशल के अनुसार बेहतर अवसर मिल सकें। यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को बहुमुखी Placement Tips मिलें।