देहरादून में अब सफर करना किसी यूरोपीय शहर जैसा अनुभव देने वाला होगा! उत्तराखंड की राजधानी की सड़कों पर जल्द ही बाई-आर्टिकुलेटेड इलेक्ट्रिक बसें (दो कोच वाली बसें) दौड़ती नजर आएंगी, जो शहर के सार्वजनिक परिवहन का चेहरा बदल देंगी। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UKMRC) ने इसके लिए एक स्विस कंपनी HESS के साथ करार किया है, जिसने देहरादून की यातायात जरूरतों के अनुसार अपनी रिपोर्ट तैयार की है। यह प्रस्ताव अगले महीने शासन के सामने रखा जाएगा। आइए जानते हैं क्या खास है इन हाई-टेक बसों में।
क्या हैं ये हाई-टेक बाई-आर्टिकुलेटेड बसें?
ये अत्याधुनिक बैटरी से चलने वाली बसें हैं, जिनमें दो कोच एक साथ जुड़े होते हैं। विदेशों में, खासकर स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के कुछ शहरों में, ऐसी बसें पहले से ही सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं। देहरादून में चलने वाली ये बसें फ्लैश चार्जिंग तकनीक का उपयोग करेंगी, जिससे ये कुछ ही मिनटों में पूरी तरह चार्ज हो जाएंगी। शहर में इनकी रफ्तार 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी।
इन बसों का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण के लिए है। डीजल-पेट्रोल की आवश्यकता न होने के कारण ये पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त होंगी, जिससे देहरादून की हवा स्वच्छ और साफ बनी रहेगी।
पहले चरण में इन प्रमुख कॉरिडोर पर दौड़ेगी बसें
पहले चरण में, ये बसें दो बड़े कॉरिडोर को कवर करेंगी, जिससे शहर की लगभग 40% आबादी सीधे जुड़ जाएगी। इन कॉरिडोर को आगे चलकर अन्य स्थानीय परिवहन जैसे विक्रम, मैजिक और ई-रिक्शा से जोड़ा जाएगा, जिससे लगभग 75% आबादी को इन सेवाओं का लाभ मिलेगा। पहले चरण के दो प्रमुख कॉरिडोर इस प्रकार हैं:
- आईएसबीटी से गांधी पार्क: यह 8.5 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर होगा जिसमें 10 स्टेशन बनाए जाएंगे।
- एफआरआई से रायपुर: यह 13.9 किलोमीटर का कॉरिडोर होगा और इसमें 15 स्टेशन शामिल होंगे।
दूसरे चरण में कवर होंगे शहर के ये अहम इलाके
दूसरे चरण में, बाई-आर्टिकुलेटेड बसें देहरादून के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को कवर करेंगी। इनमें रेलवे स्टेशन से पंडितवाड़ी, गांधी पार्क से आईटी पार्क, क्लेमेंटटाउन से बल्लीवाला चौक, रिस्पना से विंडलास रिवर वैली, प्रेमनगर, मैक्स अस्पताल और देहरादून विश्वविद्यालय जैसे अहम इलाके शामिल हैं। इस विस्तार के साथ, शहर के कुल 42 वार्ड सीधे इन आधुनिक परिवहन सेवाओं से जुड़ जाएंगे।
मेट्रो से सस्ती, पर्यावरण अनुकूल और संचालन में आसान
बाई-आर्टिकुलेटेड बस सिस्टम नियो मेट्रो से अधिक महंगा, लेकिन पारंपरिक मेट्रो परियोजनाओं की तुलना में काफी कम लागत वाला है। इसके रखरखाव का खर्च भी न्यूनतम है, जो इसे एक किफायती विकल्प बनाता है। देहरादून की भीड़भाड़ वाली और संकरी सड़कों पर मेट्रो की तुलना में इनका संचालन कहीं अधिक आसान होगा।
कम निर्माण लागत और तेजी से तैयार होने वाला यह प्रोजेक्ट देहरादून में सार्वजनिक परिवहन का चेहरा बदलने को तैयार है। अगर शासन और केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल जाती है, तो राजधानी की सड़कों पर जल्द ही ये चमचमाती हाई-टेक बसें दिखेंगी, जो सफर को सुविधाजनक, पर्यावरण-अनुकूल और सुखद बनाएंगी।