हाल के दिनों में भारतीय शेयर बाजार में Defense Stocks में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में अच्छी खासी तेजी दर्ज की गई, जिससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), और कोचीन शिपयार्ड जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों को पंख लग गए। यह तेजी आकस्मिक नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनमें सरकार की नीतियां और वैश्विक भू-राजनीतिक हालात शामिल हैं। आइए जानते हैं कि भारतीय Defense Stocks में यह रौनक क्यों लौटी है और भविष्य में इस सेक्टर की क्या संभावनाएं हैं।
डिफेंस स्टॉक्स में तेजी के मुख्य कारण
रक्षा क्षेत्र के शेयरों में उछाल के पीछे दो बड़ी वजहें बताई जा रही हैं:
- GST में कमी: नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा उपकरणों पर जीएसटी में कमी के फैसले से कंपनियों पर टैक्स का बोझ घटा है। हाई वैल्यू इंपोर्ट और महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स को इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (IGST) से मिली GST Exemption के बाद यह सेक्टर निवेशकों के लिए पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक हो गया है।
- स्वदेशी उत्पादन पर बढ़ता फोकस: सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत डिफेंस इक्विपमेंट के देश में ही निर्माण पर लगातार जोर दे रही है। इससे घरेलू डिफेंस कंपनियों को बड़े ऑर्डर और निवेश के अवसर मिल रहे हैं।
इस साल जहां निफ्टी प्रमुख सूचकांक 5.47 फीसदी चढ़ा है, वहीं निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में 22.98 फीसदी की शानदार तेजी आई है, जो इस सेक्टर की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
‘मेक इन इंडिया’ से मजबूत हुआ डिफेंस सेक्टर
रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत ‘टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव कैपेबिलिटी रोडमैप (TPCR) 2025’ ने भविष्य की युद्धक प्रौद्योगिकियों और सशस्त्र बलों के विजन को स्पष्ट किया है। इस रोडमैप के नए एडिशन से भारतीय नौसेना और वायु सेना की प्रमुख जरूरतों का पता चला है, जिससे Indian Defense Sector को लेकर सकारात्मक माहौल बना है।
टीपीसीआर से नौसेना के लिए बड़े एयरक्राफ्ट्स, लाइट कमर्शियल एयरक्राफ्ट्स और नई पनडुब्बियों के निर्माण की योजनाओं के बारे में जानकारी मिली है। इसी तरह, वायु सेना के लिए भी बड़े निवेश की योजनाएं सामने आई हैं। यह सब डिफेंस सेक्टर के लिए आने वाले समय को और बेहतर बनाने वाला है।
बढ़ता रक्षा बजट और निर्यात
पिछले कुछ सालों में सरकार ने रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 2014 के मुकाबले यह 2.6 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2026 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों को देखते हुए देश में ही डिफेंस इक्विपमेंट के उत्पादन पर सरकार का फोकस बढ़ा है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश में भी वृद्धि हुई है।
सरकार डिफेंस कंपनियों को Defense Exports बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। वित्त वर्ष 2025 में रक्षा निर्यात बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वहीं, डिफेंस सेक्टर का कुल उत्पादन वित्त वर्ष 2020 के 79,071 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 1,50,590 करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान, डिफेंस सेक्टर के कुल उत्पादन में प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़कर 23 फीसदी तक पहुंच गई है, जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
प्रमुख डिफेंस स्टॉक्स में उछाल
15 सितंबर को निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में अच्छी तेजी दिखी, जो 0.68 फीसदी बढ़कर 8,099 अंक पर पहुंच गया। इस दौरान कई डिफेंस कंपनियों के शेयरों में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला:
- भारत डायनेमिक्स (BDL): शेयर 2.27 फीसदी की उछाल के साथ 1600 रुपये के स्तर को पार कर गया।
- कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard): शेयर 3 फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 1,799.50 रुपये पर पहुंच गया।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL): कंपनी के शेयरों में भी 1 फीसदी से ज्यादा तेजी देखने को मिली।
यह उछाल दर्शाता है कि निवेशक भारतीय डिफेंस सेक्टर की मजबूत बुनियाद और भविष्य की वृद्धि क्षमता पर भरोसा कर रहे हैं। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल और निरंतर बढ़ते निवेश के साथ, यह सेक्टर आने वाले समय में भी भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ बना रहेगा और निवेशकों को आकर्षित करता रहेगा।