आज के डिजिटल युग में, लैपटॉप और स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसके चलते, ‘ड्राई आई’ (Dry Eye) की समस्या एक आम शिकायत बन गई है। आंखों में खुजली, जलन, थकान, दर्द और यहां तक कि सिरदर्द जैसी परेशानियां इसका सीधा परिणाम हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या यह सामान्य सी लगने वाली समस्या आंखों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है? और क्या ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ (Dry Eye Syndrome) के कारण व्यक्ति को अंधेपन जैसी गंभीर समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है? आइए, नई दिल्ली के एक वरिष्ठ मोतियाबिंद एवं रेटिना सर्जन, डॉ. पवन गुप्ता से इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
क्या है ड्राई आई?
डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार, ‘ड्राई आई’ एक ऐसी सामान्य स्थिति है, जो तब होती है जब आपकी आंखें पर्याप्त आंसू नहीं बना पाती हैं या बने हुए आंसू बहुत जल्दी सूख जाते हैं। ज्यादातर मामलों में, ‘ड्राई आई’ के कारण आंखों में खुजली, जलन, लालिमा या आंखों में रेत जैसा महसूस होने जैसे लक्षण अनुभव होते हैं। हालांकि ये लक्षण दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं और काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी पैदा कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसके कारण व्यक्ति को ‘परमानेंट विजन लॉस’ (Permanent Vision Loss) नहीं होता है।
क्या ड्राई आई के कारण दृष्टि हानि हो सकती है?
डॉ. पवन गुप्ता बताते हैं कि वैसे तो ‘ड्राई आई’ सीधे तौर पर ‘दृष्टि हानि’ (Vision Loss) का कारण नहीं बनती, लेकिन अगर लंबे समय तक इसका इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है। लगातार आंखों में सूखापन रहने के कारण ‘कॉर्निया’ की सतह को नुकसान पहुंच सकता है। ‘कॉर्निया’ आंख का पारदर्शी, सुरक्षात्मक अग्र भाग होता है, जो ‘दृष्टि’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन गंभीर और लगातार सूखेपन के कारण ‘कॉर्निया’ पर सूजन, खरोंच या अल्सर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह ‘कॉर्निया डैमेज’ (Corneal Damage) आंखों में दर्द और जलन का कारण बन सकता है।
जब ड्राई आई बन जाती है गंभीर समस्या: अंधेपन का खतरा
जब ‘ड्राई आई’ की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है और इसका उचित इलाज नहीं होता, तो परेशानियां बढ़ सकती हैं। डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार, ‘कॉर्निया’ पर निशान पड़ सकते हैं, जिससे व्यक्ति को धुंधलापन महसूस हो सकता है। यदि यह समस्या अत्यधिक गंभीर हो जाए, तो ‘आंशिक या पूरी तरह से दृष्टि हानि’ (Partial or Complete Vision Loss) भी हो सकती है, जिसे सामान्य भाषा में ‘अंधापन’ (Blindness) कहा जाता है। इसलिए, हालांकि ‘ड्राई आई’ अकेले ‘अंधेपन’ का कारण नहीं बनती, लेकिन गंभीर लक्षणों को बहुत लंबे समय तक नजरअंदाज करने से ‘दृष्टि-घातक समस्याओं’ का खतरा बढ़ सकता है और आपकी ‘Eye Health’ गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
ड्राई आई का बचाव और उपचार
डॉ. पवन गुप्ता जोर देते हैं कि ‘ड्राई आई’ की समस्या का समय पर इलाज करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए ‘आर्टिफिशियल आंसू’ (Artificial Tears), दवाइयों और जीवनशैली में बदलाव जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। एक ‘स्वस्थ जीवनशैली’ (Healthy Lifestyle) अपनाना और यदि कोई ‘अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति’ (Underlying Health Conditions) है, तो उसका समाधान करना आमतौर पर गंभीर परेशानियों को रोकने में सहायक होता है।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः, ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ (Dry Eye Syndrome) स्वयं में ‘अंधेपन’ (Blindness) के लिए जिम्मेदार नहीं है। लेकिन यदि ‘ड्राई आई’ की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है और इसका उचित उपचार नहीं किया जाता है, तो यह ‘कॉर्निया’ में अल्सर, खरोंच, सूजन और धुंधलापन जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। यही समस्याएं आगे चलकर ‘विजन लॉस’ (Vision Loss) और दुर्लभ मामलों में ‘अंधेपन’ का कारण बन सकती हैं। इसलिए, अपनी ‘Eye Health’ को बनाए रखने और ‘ड्राई आई’ से राहत पाने के लिए, इसका समय पर इलाज कराना और जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलावों को अपनाना बेहद ज़रूरी है।