बिलकिस बानो (Bilkis Bano) का नाम भारत के उन दुर्दांत अपराधों में से एक है, जिसने न केवल एक महिला को, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया. 2002 के गुजरात दंगों की आग में झुलसी बिलकिस की कहानी न्याय की लंबी और तकलीफदेह लड़ाई की मिसाल है. आज भी उनका संघर्ष जारी है, घाव अभी हरे हैं.
दर्दनाक हकीकत
बिलकिस बानो (Bilkis Bano) एक साधारण मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती है. उनका बचपन गुजरात के रणधोरवा के छोटे से गांव में बीता. 2002 में गुजरात दंगों के भयानक समय में बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके परिवार के साथ एक भीड़ ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं. उनकी आंखों के सामने उनके 7 परिजनों की निर्मम हत्या कर दी गई और उनका खुद गैंगरेप किया गया. यह अमानवीय अपराध न केवल उनके शरीर पर, बल्कि आत्मा पर भी गहरे जख्म छोड़ गया.
अंधेरे में उम्मीद की किरण: बिलकिस बानो की न्याय यात्रा
इस नृशंस अपराध के बावजूद, बिलकिस ने हार नहीं मानी. उन्होंने न्याय की मशाल जलाई और दोषियों को सजा दिलाने का संघर्ष शुरू किया. सीबीआई जांच के बाद 11 दोषियों को 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
जख्म को सहलाता फैसला, मगर खुशियां अधूरी
पिछले साल अगस्त में गुजरात सरकार ने राज्य की माफी नीति के तहत एक चौंकाने वाला कदम उठाया. उन्होंने निर्भया मामले समेत कई जघन्य अपराधों के दोषियों को रिहा कर दिया, जिनमें बिलकिस बानो के गैंगरेपिस्ट भी शामिल थे. इस फैसले ने न केवल बिलकिस, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया. महिला सुरक्षा पर सवाल उठने लगे और जज्बात आहत हुए.
फिर से जगी उम्मीद, संघर्ष अभी जारी
इस चौंकाने वाले फैसले के खिलाफ बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए एक बड़ी उम्मीद जगाई है. मामला अभी विचाराधीन है, लेकिन बिलकिस के न्याय की लड़ाई जारी है.
आज क्या कर रही हैं बिलकिस?
- बिलकिस अपनी तीन बेटियों के साथ मुंबई में रहती हैं.
- बिलकिस सुरक्षा और न्याय के लिए काम करने वाले एनजीओ से जुड़ी हैं.
- अपनी लड़ाई को महिलाओं की आवाज बना रही हैं, समाज में बदलाव की उम्मीद जगा रही हैं.
यह लेख बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के संघर्ष की झलक मात्र है. उनके अंदरूनी जख्म, समाज पर पड़े दाग और न्याय की प्यासी आंखों की कहानी किसी शब्द में पूरी नहीं बताई जा सकती. मगर यह जरूर कहा जा सकता है कि बिलकिस का संघर्ष लाखों महिलाओं की आवाज बन चुका है और उनकी लड़ाई एक ऐसी मिसाल है, जो हमें जगाती है, सवाल उठाती है और उम्मीद जगाती है कि अंत में सच्चाई और न्याय की जीत होगी.