बिहार में Bihar jobs की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने चुनाव से ठीक पहले 3303 नए राजस्व कर्मचारियों की बहाली को मंजूरी देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसे मुख्यमंत्री Nitish Kumar सरकार का एक ‘मास्टरस्ट्रोक’ माना जा रहा है, जिसका सीधा असर राज्य में भूमि प्रबंधन और राजस्व कार्यों पर पड़ने वाला है। इस फैसले से न केवल रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, बल्कि प्रशासनिक दक्षता में भी उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद है।
3303 नए पदों को मिली मंजूरी
मंगलवार को हुई कैबिनेट की अहम बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अंतर्गत 3303 नए राजस्व कर्मचारियों के पदों के सृजन को हरी झंडी दे दी गई। यह Revenue Employee Recruitment राज्य भर में नियुक्तियों का रास्ता खोलेगा, जिससे भूमि से संबंधित कार्यों में तेज़ी आएगी और आम जनता को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इन पदों के सृजन के लिए कुल 131 करोड़ 74 लाख 21 हज़ार 368 रुपए का भारी-भरकम वित्तीय प्रावधान भी स्वीकृत किया गया है, जो इस परियोजना के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।
भूमि प्रबंधन में ‘गेम चेंजर’
सरकार का मानना है कि इन नए राजस्व कर्मचारियों की नियुक्ति से भूमि प्रबंधन, पंजीकरण और राजस्व कार्यों की रफ्तार बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि 3303 नए कर्मचारियों की बड़ी फौज ज़मीन से जुड़े विवादों, रजिस्ट्री में होने वाली देरी और दलालों के वर्चस्व को काफी हद तक कम करने में सहायक सिद्ध होगी। इसे वास्तव में Bihar Land Reform की दिशा में एक ‘गेम चेंजर’ बताया जा रहा है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी और ई-गवर्नेंस को मजबूती मिलेगी।
अन्य महत्वपूर्ण कैबिनेट फैसले
कैबिनेट ने केवल राजस्व कर्मचारियों की बहाली तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि राज्यकर्मियों को यात्रा भत्ता में संशोधन की भी सौगात दी है। इसके अलावा, राज्य की आकस्मिकता निधि को 26 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ाकर 31,689.50 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह फैसला आपदाग्रस्त इलाकों में राहत पहुंचाने में होने वाली देरी को रोकने और त्वरित सहायता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
राजनीतिक गलियारों में हलचल और ‘Election Impact’
इस बड़े फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे आगामी चुनावों को देखते हुए ‘लोकलुभावन स्टंट’ करार दिया है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सरकार को जनता की नहीं, बल्कि अपने वोट बैंक की चिंता है। वहीं, सत्ता पक्ष का दावा है कि यह फैसला गरीब, किसान और आम आदमी को सीधा फायदा पहुंचाने वाला है, और इसका दूरगामी Election Impact राज्य के विकास पर सकारात्मक होगा। शहरी लीज व्यवस्था से उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को नई रफ्तार मिलेगी, जिससे आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
निष्कर्ष: विकास और तरक्की का संदेश
कुल मिलाकर, सरकार का यह फैसला सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि एक साफ राजनीतिक संदेश भी है – ‘ज़मीन अब झगड़े की नहीं, तरक्की की पहचान होगी।’ यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार का यह ‘मास्टरस्ट्रोक’ बिहार की जनता और आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव डालता है और क्या यह वास्तव में राज्य में भूमि विवादों को सुलझाने और पारदर्शिता लाने में सफल रहता है।