हाल ही में हुई एक नई स्टडी ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चौंका दिया है। इस शोध में यह बात सामने आई है कि अस्थमा और डिप्रेशन जैसी मानसिक और शारीरिक स्थितियों का किडनी की सेहत पर गहरा असर हो सकता है। जो लोग इस तरह की समस्याओं को झेल रहे हैं, उन्हें भविष्य में किडनी संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि कैसे इन बीमारियों का किडनी फेल होने के जोखिम से संबंध है और आप अपनी किडनी को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
अस्थमा और डिप्रेशन: किडनी पर गहराता खतरा
अस्थमा और डिप्रेशन को अक्सर अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में देखा जाता है, लेकिन हालिया शोध ने यह स्पष्ट किया है कि इन दोनों का किडनी स्वास्थ्य से गहरा संबंध हो सकता है। अमेरिकन गेरियाट्रिक्स सोसाइटी के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में लगभग 3,100 बुजुर्गों का 15 वर्षों तक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन ने दिखाया कि Asthma या Depression जैसी पुरानी बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों में किडनी के कार्य में तेजी से गिरावट आने की संभावना होती है, विशेषकर जब ये अन्य पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह या उच्च रक्तचाप के साथ मिलती हैं। यह खोज Kidney Health को समग्र रूप से देखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है, क्योंकि Asthma और Depression का दीर्घकालिक किडनी स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है।
अस्थमा और किडनी स्वास्थ्य का संबंध
अस्थमा मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन इसके प्रभाव किडनी तक भी पहुंच सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि अस्थमा का इतिहास रखने वाले वयस्कों में किडनी के कार्य में गिरावट की संभावना अधिक थी। यह क्रोनिक इन्फ्लामेशन (लंबे समय तक चलने वाली सूजन) जो अस्थमा में प्रमुख भूमिका निभाता है, अन्य अंगों, जैसे कि किडनी, पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव डाल सकता है। लंबे समय तक चलने वाली सूजन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे किडनी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। यह अंततः Kidney Failure के जोखिम को बढ़ा सकता है।
डिप्रेशन और किडनी पर इसका प्रभाव
डिप्रेशन को अक्सर केवल मानसिक स्वास्थ्य समस्या माना जाता है, लेकिन यह किडनी के लिए भी खतरनाक हो सकता है। अध्ययन में यह पाया गया कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्तियों में किडनी की कार्यक्षमता में तेजी से गिरावट आने की संभावना अधिक थी। यह हार्मोनल परिवर्तनों, उच्च तनाव स्तरों, और सूजन के मार्करों की वृद्धि से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, Depression के कारण जीवनशैली की आदतें, जैसे खराब आहार और व्यायाम की कमी, किडनी को और नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे Kidney Failure का खतरा बढ़ सकता है।
मल्टीमॉर्बिडिटी का बढ़ता जोखिम
अध्ययन में एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह था कि मल्टीमॉर्बिडिटी, यानी एक से अधिक Chronic Illness का होना, किडनी की गिरावट को तेज करता है। जब अस्थमा, डिप्रेशन, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप जैसे रोग एक साथ होते हैं, तो ये किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। उच्च रक्तचाप किडनी की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जबकि मधुमेह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, जो किडनी के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। इन सभी बीमारियों का संयुक्त प्रभाव किडनी के कार्य को और भी तेजी से कमजोर कर सकता है।
किडनी स्वास्थ्य की सुरक्षा के उपाय
यदि आप अस्थमा या डिप्रेशन से ग्रसित हैं, तो किडनी स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाना आवश्यक है:
- नियमित जांच: नियमित रूप से किडनी के कार्य की जांच कराएं।
- संतुलित आहार: एंटी-इन्फ्लेमेटरी आहार अपनाएं, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों।
- सक्रिय जीवनशैली: शारीरिक गतिविधियों में भाग लें और नियमित व्यायाम करें।
- रोग प्रबंधन: अस्थमा के लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करें और डिप्रेशन के लिए उचित उपचार प्राप्त करें।
- हाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें।
- शराब और सोडियम से बचें: अत्यधिक शराब और उच्च-सोडियम वाले आहार से बचें।
निष्कर्ष
अस्थमा और डिप्रेशन जैसे स्वास्थ्य मुद्दे केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन बीमारियों का Kidney Health पर प्रभाव को समझना न केवल व्यक्तिगत देखभाल के लिए आवश्यक है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी एक रणनीति के रूप में काम कर सकता है। नियमित किडनी कार्य की जांच और सही प्रबंधन से, इन स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जीने वाले लोग अपनी किडनी की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं और गंभीर समस्याओं जैसे Kidney Failure के जोखिम को कम कर सकते हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और किसी भी स्वास्थ्य समस्या पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।