इलिनोइस की धरती पर, सवाना व्हाइट (Savanna White) नामक एक माँ और उनके बेटे ने एक ऐसी दुर्घटना का सामना किया, जिसने उन्हें मौत के मुँह तक पहुँचा दिया। यह कहानी न केवल एक भयावह पल की है, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच की उस महीन रेखा की भी है, जहाँ से एक माँ अपने बच्चे के लिए वापस लौट आती है। एक Electronic Rickshaw Accident में गंभीर रूप से घायल होने के बाद, सवाना की रिकवरी किसी चमत्कार से कम नहीं थी।
वह fateful दिन
24 जुलाई को 28 वर्षीय सवाना व्हाइट (Savanna White) अपने सात वर्षीय बेटे, मालक के साथ एक चौराहे को पार कर रही थीं। वे अपने अपार्टमेंट वापस लौट रहे थे, लेकिन आइसक्रीम लेने के लिए सड़क के पार एक गैस स्टेशन पर रुकने का मन बनाया। सवाना ने डेली मेल को बताया, ‘हम सड़क पर कभी ऐसा नहीं करते हैं।’ जैसे ही वे चौराहे से बाहर निकले, एक तेज गति से आती लाल कार ने उन्हें टक्कर मार दी। ‘मैं… अपने बेटे को ले लो। हम हवा में लगभग 25 फीट ऊपर उड़ गए, (तब) कंक्रीट पर गिरे।’ यह भयानक Electronic Rickshaw Accident उनके जीवन का सबसे काला दिन बन गया।
मौत के मुँह से वापसी
सवाना के अनुसार, टक्कर इतनी भीषण थी कि उनका दिमाग उनके सिर में ‘लटक’ गया था। उनके माथे से उनके मस्तिष्क का एक हिस्सा बाहर निकल आया था। उन्होंने बताया, ‘मैंने चेतना खो दी क्योंकि मेरे मस्तिष्क का हिस्सा वास्तव में मेरे माथे से बच रहा था। मैं एक मिनट और 24 सेकंड के लिए ‘क्लीनिकली डेड’ (clinically dead) थी।’ मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण एक मिनट से अधिक समय तक उनका दिल रुका रहा। चोट इतनी गंभीर थी कि मस्तिष्क उनके दिल को सिग्नल नहीं भेज पा रहा था। एक समय तो ऐसा आया जब अंतिम संस्कार की व्यवस्था पर चर्चा करने और अंतिम अनुष्ठान करने के लिए एक मिशनरी को बुलाया गया।
रिकवरी का लंबा सफर
सवाना को 26 हड्डियां टूटीं, उनका चेहरा जमीन पर बुरी तरह से टूट गया, पेल्विक फ्रैक्चर हुए, फेफड़े ढह गए, दो स्ट्रोक आए और एक एन्यूरिज्म (aneurysm) भी विकसित हो गया – रक्त वाहिकाओं के कमजोर क्षेत्र में एक उभार। हालाँकि एन्यूरिज्म तब तक हानिरहित होता है जब तक वह टूटता नहीं, लेकिन इसके टूटने से मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है जो घातक साबित हो सकता है। उन्हें तीन सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। डॉक्टरों को उनकी त्वचा को उनके निशानों से जोड़कर माथे पर सीना पड़ा, जिसे ‘स्किन ग्राफ्ट’ (skin graft) प्रक्रिया कहते हैं। उनके चेहरे पर 26 हड्डियों को जोड़ने के लिए धातु की चादरें प्रत्यारोपित की गईं। उनके बेटे मालक को भी टूटे पैर के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसे दो हेड सर्जरी की आवश्यकता पड़ी। सवाना ने शुरू में अपनी चोटों पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने बताया, ‘मैं अस्पताल के फर्श पर जाग गया। सुरक्षा गार्ड ने कहा कि मैंने अस्पताल से छुटकारा पाने की कोशिश की। मुझे नहीं लगता था कि मुझे पीटा गया था। मैंने ट्रेकिआ (tracheia) को फाड़ दिया और अपने बच्चे को लौटने की कोशिश की।’ जब उन्हें आईने में अपना चेहरा दिखाया गया, तब उन्हें अपनी भयानक स्थिति का एहसास हुआ। उनकी Brain Injury Recovery एक लंबी और दर्दनाक प्रक्रिया थी।
शारीरिक घावों से परे
एक साल से अधिक समय बीतने के बाद, माँ और बेटा दोनों पूरी तरह से ठीक हो गए। सवाना के माथे पर अब केवल एक छोटा ‘हैरी पॉटर’ जैसा निशान बचा है। हालाँकि, इस दुर्घटना के कारण उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post-Traumatic Stress Disorder – PTSD) का सामना करना पड़ रहा है। उनके चेहरे पर हुई हड्डी की क्षति का मतलब है कि अब वह कुछ भी सूंघने में सक्षम नहीं होंगी, क्योंकि गंभीर चोट नाक को अवरुद्ध कर सकती है और गंध के लिए जिम्मेदार नसों को नुकसान पहुँचा सकती है। सवाना ने बताया कि उन्हें अभी भी ‘ड्राइविंग से डर लगता है’ और अकेले तनाव से निपटने में भी संघर्ष करना पड़ता है। यह PTSD Survival उनके लिए एक और बड़ी चुनौती है।
जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण
अपनी इस भयानक Near-Death Experience के बावजूद, सवाना ने कहा कि इस चुनौती ने उन्हें जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण और कृतज्ञता दी है। उन्होंने बताया, ‘(बेहोश होने के दौरान), मैं एक इंद्रधनुषी सुरंग से चला गया, और मैंने पाया कि रंग और प्रकाश यहाँ भी मौजूद नहीं था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने सब कुछ देखा है: पृथ्वी, स्वर्ग, नरक, सभी आयाम। मुझे यह चुनना था कि मैं कहाँ जाना चाहती हूँ।’ अंततः, उन्होंने अपने बच्चे के पास लौटने का विकल्प चुना। उन्हें खुद को भाग्यशाली महसूस हुआ क्योंकि उनके पास वह विकल्प था। उनकी Near-Death Experience ने उन्हें जीवन के महत्व का गहरा अहसास कराया।
सवाना व्हाइट (Savanna White) की कहानी एक ऐसी माँ की अदम्य भावना का प्रमाण है, जिसने मौत के मुँह से वापस आकर अपने जीवन को एक नया अर्थ दिया। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन कितना अनमोल है और हर चुनौती हमें मजबूत बना सकती है।