राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में हमेशा हलचल बनी रहती है, खासकर जब बात कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति की हो। हाल ही में सचिन पायलट CM के जन्मदिन पर उनके मुख्यमंत्री बनने की मांग एक बार फिर उठी। इस पर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने एक बेहद दिलचस्प जवाब दिया है, जिसने कई कयासों को जन्म दे दिया है। आइए जानते हैं क्या कुछ कहा डोटासरा ने और किन मुद्दों पर घेरा भाजपा सरकार को।
मुख्यमंत्री पद पर डोटासरा का रोचक जवाब
गोविंद सिंह डोटासरा ने टोंक में मीडिया से बातचीत करते हुए यह साफ किया कि मुख्यमंत्री बनाने का फैसला उनका नहीं, बल्कि पार्टी के ‘हाईकमान’ का होगा। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि यह निर्णय न तो मेरा है और न ही मीडिया का। यह बयान तब आया जब उनसे पूछा गया कि क्या अगली बार कांग्रेस के बहुमत में आने पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बताते चलें कि सचिन पायलट के हालिया मेवाड़ दौरे पर भी उनके सीएम बनने की मांग उठी थी। यह मुद्दा पहले भी 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद गरमाया था, जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर भारी खींचतान हुई थी, जिसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था और पार्टी में सुलह हुई थी।
भाजपा और RSS पर डोटासरा का तीखा हमला
इस दौरान डोटासरा ने भाजपा सरकार पर कई मुद्दों को लेकर जमकर निशाना साधा। उन्होंने विशेष रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की अनदेखी, BJP RSS के दखल और लोकतंत्र पर मंडराते संकट को लेकर सरकार को घेरा। डोटासरा ने कहा कि RSS कभी चुनाव नहीं लड़ता, लेकिन जब भाजपा सत्ता में आती है तो वही सत्ता चलाता है, जिसे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग की लिस्ट में भी RSS का दखल साफ दिखाई देता है।
अतिवृष्टि और सरकार की अनदेखी
प्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण उत्पन्न हुए बाढ़ जैसे हालात पर भी डोटासरा ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि लोगों की जानें गईं, किसानों की फसलें बर्बाद हुईं, गरीबों के घर-मकान ढह गए, लेकिन सरकार ने कोई सहायता नहीं दी। हेलिकॉप्टर से एक-दो मंत्रियों को घुमाकर इतिश्री कर ली गई। डोटासरा ने मुख्यमंत्री से सवाल उठाया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा क्यों नहीं किया गया, जबकि जनता इस त्रासदी से जूझ रही है।
मंत्रिमंडल फेरबदल और ‘मगरमच्छ’ पर तंज
वहीं, Rajasthan Politics में मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर भी डोटासरा ने संकेत दिए। उन्होंने कहा कि सभी को बदलाव का इंतजार है, खासकर शिक्षा मंत्री के पद पर। कब होगा बदलाव और शिक्षा मंत्री कब बदलेगा? यह सवाल प्रदेश की राजनीति में अंदरखाने चल रहा है। डोटासरा ने मुख्यमंत्री के ‘मगरमच्छ’ वाले बयान पर भी तंज कसा। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम के दौरान टोडारायसिंह में कहा था कि मगरमच्छ कब पकड़ेंगे, तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पीएसओ को गिरफ्तार कर लिया। इस पर डोटासरा ने पलटवार करते हुए कहा कि कब पकड़े जाएंगे? मैं तो घूम ही रहा हूं। पर्ची बदल जाएगी, उसके बाद बड़े मगरमच्छ पकड़ोगे क्या?
लोकतंत्र पर खतरा और विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप
डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष को धमकाकर बैठा दिया जाता है, और विपक्ष के लिए अलग कानून, पक्ष के लिए अलग। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष एकतरफा काम कर रहे हैं और लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने विधानसभा में कैमरे लगाकर विपक्ष की जासूसी करने का भी गंभीर आरोप लगाया। साथ ही, निकाय और पंचायत चुनाव न कराने को लेकर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि 5 साल से चुनाव कराने का संवैधानिक प्रावधान है, लेकिन ये मान ही नहीं रहे। जनता आक्रोशित है, इनको मंत्री-मुख्यमंत्री नहीं मान रही।
कुल मिलाकर, गोविंद सिंह डोटासरा का यह बयान न सिर्फ Congress Rajasthan की अंदरूनी खींचतान को दर्शाता है, बल्कि भाजपा सरकार पर उनकी तीखी आलोचना आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस की रणनीति का भी संकेत देती है। देखना होगा कि आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति में ये मुद्दे क्या मोड़ लेते हैं और सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने का सपना कब पूरा होता है।