हापुड़ जिले में डेंगू का प्रकोप अब जानलेवा साबित हो रहा है। काठी खेड़ा गांव में चार साल की मासूम बच्ची अंशिका गौरी की डेंगू से मौत हो गई, जिसके बाद पूरे गांव में मातम और दहशत का माहौल है। यह घटना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल खड़े कर रही है, क्योंकि ग्रामीण बुखार और डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच किसी भी तरह की सहायता न मिलने का आरोप लगा रहे हैं।
मासूम अंशिका की दर्दनाक मौत
काठी खेड़ा गांव के निवासी अमित की चार वर्षीय बेटी अंशिका गौरी को करीब छह दिन पहले तेज बुखार हुआ था। परिजनों ने तुरंत उसका उपचार शुरू कराया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। सात सितंबर को बच्ची को नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में उसे डेंगू (Dengue Fever) होने की पुष्टि हुई। कई दिनों तक उपचार चलने के बावजूद, बृहस्पतिवार की सुबह चिकित्सकों ने अंशिका को मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया और माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। अंशिका अपने माता-पिता की तीन बेटियों में से तीसरी थी। जिले में डेंगू से यह पहली मौत बताई जा रही है, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।
गांव में दहशत का माहौल: 70 से अधिक लोग बुखार की चपेट में
अंशिका की मौत के बाद काठी खेड़ा गांव में भय का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में तेजी से बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है और वर्तमान में 70 से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं। अब तो गांव में डेंगू (Hapur Dengue) के मामले भी सामने आने लगे हैं, जिससे लोगों में गंभीर चिंता है। यह स्थिति एक बड़े जन स्वास्थ्य (Public Health) संकट का संकेत दे रही है।
स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही के आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव में न तो कोई सर्वे कराया गया है और न ही मच्छरों पर नियंत्रण के लिए दवा का छिड़काव किया गया है। इस लापरवाही के कारण ही बुखार और डेंगू का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ग्रामीणों में स्वास्थ्य विभाग के प्रति गहरा रोष व्याप्त है और वे तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इस हिस्से में यह स्वास्थ्य संकट (Health Crisis) लगातार गहराता जा रहा है।
अस्पतालों में मरीजों की भीड़
जिले में बुखार का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि शायद ही कोई घर ऐसा बचा हो, जहां कोई सदस्य बुखार से पीड़ित न हो। निजी अस्पतालों से लेकर सरकारी अस्पताल तक मरीजों से भरे पड़े हैं। चिकित्सकों का कहना है कि वे सभी मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
डीएमओ ने दिए जांच के आदेश
इस गंभीर मामले पर डीएमओ सतेंद्र कुमार ने कहा है कि उन्हें बच्ची की मौत की जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हुई थी। उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी कर गांव में तत्काल सर्वे कराया जाएगा और उसके बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। उम्मीद है कि प्रशासन इस गंभीर स्थिति को गंभीरता से लेगा और ग्रामीणों को जल्द से जल्द राहत प्रदान करेगा।