भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार, 11 सितंबर को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और Angel One Limited के शेयरों में 5% तक की तेज गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के पीछे एक बड़ी खबर थी – बाजार सूत्रों के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) जल्द ही साप्ताहिक F&O (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) कॉन्ट्रैक्ट्स को समाप्त करने और मासिक एक्सपायरी की ओर बढ़ने का प्रस्ताव दे सकता है।
क्या खत्म होंगे साप्ताहिक F&O कॉन्ट्रैक्ट्स?
सूत्रों के मुताबिक, SEBI अगले एक महीने के भीतर एक परामर्श पत्र जारी कर सकता है। इस कंसल्टेशन पेपर में साप्ताहिक F&O कॉन्ट्रैक्ट्स को समाप्त करने और सभी एक्सपायरी को मासिक आधार पर लाने का प्रस्ताव शामिल हो सकता है। इसके साथ ही, इस बड़े बदलाव के लिए एक निर्धारित समयसीमा भी तय की जा सकती है। यह कदम बाजार में स्थिरता लाने और अत्यधिक सट्टेबाजी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से देखा जा रहा है।
रेग्युलेटर सभी एक्सचेंजों पर derivative contracts के लिए एक ही दिन एक्सपायरी की संभावना पर भी विचार कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस संबंध में एक्सचेंजों के साथ अगले सप्ताह से ही चर्चा शुरू हो सकती है। SEBI की बोर्ड मीटिंग शुक्रवार, 12 सितंबर को होने वाली है, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
रिटेल निवेश पर लग सकती है लगाम
परामर्श पत्र में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव शामिल हो सकता है – F&O सेगमेंट में रिटेल निवेश पर रोक लगाना या एक निश्चित सीमा तय करना। यह कदम छोटे निवेशकों को अत्यधिक जोखिम वाले डेरिवेटिव्स बाजार में अनियंत्रित भागीदारी से बचाने के लिए उठाया जा सकता है। यह संभावित नियम रिटेल निवेशकों के लिए weekly options ट्रेडिंग को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
पहले भी दिखी है गिरावट, बाजार पर असर
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी खबरों ने BSE और Angel One के शेयरों पर असर डाला है। 21 अगस्त को भी दोनों कंपनियों के शेयर 9% तक गिरे थे, जब SEBI के चेयरमैन ने derivative contracts की अवधि बढ़ाने की बात कही थी। ताजा खबर के बाद, बुधवार को BSE के शेयर 3% और Angel One के शेयर 4% गिरकर ₹2,242 पर आ गए। पिछले एक महीने में, दोनों शेयरों में क्रमशः 9% और 12% की गिरावट देखी गई है, जो इन संभावित नियामक बदलावों के प्रति बाजार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
SEBI का डेरिवेटिव्स बाजार पर बढ़ा फोकस
हाल के दिनों में इक्विटी डेरिवेटिव्स क्षेत्र SEBI के नियामक फोकस में रहा है। नियामक ने ट्रेडिंग की मात्रा पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे प्रति एक्सचेंज केवल एक साप्ताहिक कॉन्ट्रैक्ट की अनुमति देना और कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी के दिन तय करना। पिछले महीने, SEBI चेयरमैन ने इक्विटी डेरिवेटिव्स की अवधि बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया था और कहा था कि जल्द ही इस संबंध में एक परामर्श पत्र जारी किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया था कि कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले उद्योग के साथ व्यापक परामर्श किया जाएगा।
ब्रोकिंग और एक्सचेंज कंपनियों पर संभावित प्रभाव
कुछ बाजार सहभागियों को आशंका है कि derivative contracts की अवधि बढ़ने और साप्ताहिक कॉन्ट्रैक्ट्स के खत्म होने से BSE और ब्रोकिंग कंपनियों जैसे Angel One के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे इन कंपनियों के राजस्व पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे भारतीय stock market के इन सेगमेंट में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।